हैदराबादः लखनऊ की सरोजनी नगर विधानसभा सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक स्वाति सिंह का टिकट काटकर ED के पूर्व डायरेक्टर राजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. उनके टिकट कटने की वजह पति दयाशंकर की भी दावेदारी बताई जा रही है. हालांकि स्वाति सिंह ने इन विवादों को दरकिनार करने के लिए खुद को बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता बताते हुए संतोष जताया है. अगर उनके राजनीतिक करियर पर निगाह डालेंगे तो पाएंगे कि कैसे खुद की सशक्त छवि की बदौलत वह रसोई से निकलकर मंत्री की कुर्सी तक पहुंचीं.
स्वाति सिंह एक ठाकुर परिवार से हैं. उनकी पढ़ाई लिखाई लखनऊ में हुई है. उन्होंने 2001 में इलाहाबाद की एमएनएनआईटी से एमएमएस किया था और उसके बाद उन्होंने 2007 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलएम किया. वह तब चर्चा में आईं थी जब उनके पति दयाशंकर सिंह को भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष पद से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया गया था.
दरअसल, दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर एक विवादित टिप्पणी कर दी थी. इससे आक्रोशित बसपाइयों ने दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी को लेकर विवादित बयान दिया था. इसी के बाद स्वाति सिंह सुर्खियों में आ गईं थीं. उन्होंने खुलेआम मायावती को चुनौती दे डाली थी. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी और कहा था कि मायावती यूपी में किसी भी सामान्य सीट से चुनाव लड़ें, वो खुद उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. बीजेपी को उनकी यह फायर ब्रांड छवि बेहद ही पसंद आई. 2016 में स्वाति सिंह को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. बीजेपी ने स्वाति सिंह के फायरब्रांड इमेज को देखते हुए उन्हें सीधे प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया. विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की सूची में भी उन्हें शामिल कर लिया था.
स्वाति सिंह को बीजेपी ने नई पीढ़ी के फायर ब्रांड महिला नेता के रूप में आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्हें 2017 के चुनाव में लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार बनाया गया. इस सीट पर पर बीजेपी बीते 30 सालों से जीत के लिए तरस रही थी. स्वाति सिंह ने यह सीट जीतकर बीजेपी के खाते में ला दी. इसका ईनाम बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनाकर दिया. साथ ही उपाध्यक्ष पद से उनके पति का निलंबन भी वापस ले लिया गया.
विवाद में भी नाम सामने आया
एक बियर बार के उद्घाटन को लेकर उन पर सवाल उठे. इसके बाद बड़े मंगल के अवसर पर भंडारे के दौरान प्रसाद में 100-100 रुपए बांटने को लेकर स्वाति सिंह विवादों में घिरी रहीं.
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पति दयाशंकर सिंह ने टिकट के लिए खोला मोर्चा
लखनऊ की सरोजनी नगर की जिस सीट से स्वाति सिंह विधायक हैं उसी सीट से टिकट के लिए पति दयाशंकर सिंह ने कुछ महीने पहले से ही मोर्चा खोल दिया. पूरे विधानसभा क्षेत्र में दावेदारी वाली होर्डिंगें और बैनर पोस्टर लगा दिए. साथ ही मीडिया में पति दयाशंकर सिंह की ओर से सरोजनी नगर सीट के टिकट के दावे वाले बयान सामने आने लगे. बस यहीं से एक सीट के लिए पति और पत्नी के दावेदारी का विवाद सामने आने लगा. इस बीच एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें स्वाति सिंह बोलतीं सुनाई दे रही थी कि मंत्री होने के बावजूद उनके पति दयाशंकर सिंह उन पर हाथ उठा देते हैं. हालांकि ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है. पिछले दो महीने के दौरान कई अहम तारीखों पर दयाशंकर सिंह की मौजूदगी वाले बाइक जुलूस, पैदल यात्राओं और जनसंपर्क अभियानों ने अटकलों को हवा दी. इस बीच बीजेपी ने पति और पत्नी की दावेदारी को दरकिनार कर ED के पूर्व डायरेक्टर राजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बना दिया.
टिकट काटने की वजह यह रही
टिकट काटने को लेकर कई वजहें बताईं जा रहीं हैं. बीजेपी जानतीं थी कि इस सीट पर पति या पत्नी जिस किसी को भी टिकट दिया तो दूसरा किसी अन्य दल का दामन न थाम ले. साथ ही इस विवाद से पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा था. बीजेपी थिंक टैंक यह भी समझ रहा था कि यदि दोनों में किसी को भी टिकट न दिया जाए तो इससे न केवल पार्टी की छवि सुधरेगी बल्कि यह संदेश जाएगा कि पार्टी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दे रही है. साथ ही इनका टिकट कटने से बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. किसी तीसरे को लाने के पीछे पार्टी की मंशा यह भी थी कि इससे गुटबाटी य़ा भितरघात न बढ़ सके. शायद यही वजह कि इस सीट से इस बार पति और पत्नी दोनों की दावेदारी बीजेपी ने दरकिनार कर दी. स्वाति सिंह सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से अपना टिकट कटने के बाद समाजवादी पार्टी में जाने को लेकर चर्चा में थी. मगर उन्होंने ऐसी किसी भी अफवाह का खंडन किया.
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