लखनऊ: एक तरफ पूरे देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई थी. वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा 'स्वच्छ भारत मिशन' गांवों तक पहुंचते-पहुंचते अपना दम तोड़ रहा है. इस मिशन को 2 अक्टूबर 2014 से शुरु किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को स्वच्छता से जुड़ने का संदेश दिया था.
इसे भी पढ़ें-लखनऊ: बारिश ने किसानों पर ढाया कहर, अधिकारियों ने नहीं ली कोई खबर
लोगों का कहना है कि गांव में सड़क तक नहीं है. बारिश के मौसम में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार लोग इस टूटी सड़क पर गिर भी जाते हैं. लोगों का कहना है कि गांव में कोई भी जनप्रतिनिधि या सरकारी अधिकारी नहीं आता है. कई बार तहसील दिवस पर गांव की समस्याओं की शिकायत भी की गई, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया. लोगों ने ग्राम प्रधान पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम प्रधान भी समस्याओं को अनदेखा कर देते हैं.
स्वच्छता मिशन पर उठ रहा सवाल
ऐसे में देखने वाली बात होगी कि जहां एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत अभियान को एक मिशन की तरह चला रही है और लोगों तक स्वच्छता का संदेश पहुंचा रही है. वहीं उसके जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं. सत्ता के शीर्ष कहे जाने वाले राजधानी लखनऊ के गांव का जब ऐसा हाल है तो बाकी प्रदेश का हाल क्या होगा.