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निलंबित IPS अभिषेक दीक्षित पर कसा शिकंजा, दर्ज किया गया बयान

निलंबित आईपीएस अधिकारी अभिषेक दीक्षित से शुक्रवार को लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) कानून-व्यवस्था नीलाब्जा चौधरी ने पूछताछ की. इस दौरान उनका बयान दर्ज किया गया. बता दें कि प्रयागराज के एसएसपी रहे अभिषेक दीक्षित पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं.

suspended ssp abhishek dixit
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Published : Jun 18, 2021, 12:10 PM IST

लखनऊ: भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति के संगीन आरोप में निलंबित चल रहे प्रयागराज के तत्कालीन एसएसपी अभिषेक दीक्षित पर शिकंजा कसता जा रहा है. विभागीय जांच कर रहे लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) कानून-व्यवस्था नीलाब्जा चौधरी ने अभिषेक दीक्षित को चार घंटे ऑफिस में बैठाकर बयान दर्ज किया. इसके साथ ही उन्होंने एडीजी जोन प्रयागराज प्रेम प्रकाश के भी बयान दर्ज किए.

बता दें कि निलंबित आईपीएस अभिषेक दीक्षित को नोटिस देकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था. शुक्रवार को ज्वाइंट कमिश्नर के कार्यालय पहुंचकर अभिषेक दीक्षित ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर सफाई दी. सूत्रों के अनुसार अभिषेक दीक्षित अपने साथ अधिवक्ता को लेकर आए थे, लेकिन जेसीपी ने बयान दर्ज करने के दौरान अधिवक्ता को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं दी. जेसीपी ने करीब चार घंटे अभिषेक दीक्षित से एक-एक कर कई सवाल पूछे. बता दें कि, निलंबित आईपीएस अभिषेक दीक्षित के विरुद्ध एडीजी प्रयागराज जोन ने रिपोर्ट दी थी. इसके चलते ही लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) कानून-व्यवस्था नीलाब्जा चौधरी ने उनके बयान दर्ज किए हैं.

ये है पूरा मामला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति के तहत शासन ने फरार आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार व प्रयागराज के निलंबित एसएसपी अभिषेक दीक्षित के विरुद्ध सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) से जांच कराए जाने के निर्देश दिए थे. सितंबर 2020 में विजिलेंस ने महोबा व प्रयागराज पुलिस पर लगे भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों की जांच शुरू की थी, जबकि दिसंबर 2020 में शासन ने दोनों आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति की विजिलेंस जांच का निर्देश दिया था.

विभागीय अनियमितता के मामले में 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिषेक दीक्षित को आठ सितंबर 2020 को निलंबित कर दिया गया था. अभिषेक दीक्षित तीन बिंदुओं पर दोषी पाए गए हैं. विजिलेंस जांच में उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का ठीक ढंग से अनुपालन न कराने व उनके द्वारा दी गई जांचें सही ढंग से न कराने का दोषी पाया गया. इसके अलावा वह प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरित किए गए स्टेनो को बैकडेट में छुट्टी देने के भी दोषी पाए गए.

इसे भी पढ़ें:- फर्जी पुलिसकर्मी निकला विकास दुबे का भांजा, बिकरू कांड भूमिका में होगी जांच

स्टेनो को उसका स्थानान्तरण रुकवाने की पैरवी का पूरा मौका देने के लिए यह कदम उठाया गया था. इसके अलावा थानेदारों की पोस्टिंग में गड़बड़ी करने की बात भी सामने आई. थानेदारों की पोस्टिंग में लेनदेन का संगीन आरोप अभिषेक दीक्षित पर लगा था. हालांकि विजिलेंस को इसके साक्ष्य नहीं मिले, लेकिन यह साफ हो गया कि थानेदारों की तैनाती में नियमों की अनदेखी की गई थी. विजिलेंस अब अभिषेक दीक्षित के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है.

लखनऊ: भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति के संगीन आरोप में निलंबित चल रहे प्रयागराज के तत्कालीन एसएसपी अभिषेक दीक्षित पर शिकंजा कसता जा रहा है. विभागीय जांच कर रहे लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) कानून-व्यवस्था नीलाब्जा चौधरी ने अभिषेक दीक्षित को चार घंटे ऑफिस में बैठाकर बयान दर्ज किया. इसके साथ ही उन्होंने एडीजी जोन प्रयागराज प्रेम प्रकाश के भी बयान दर्ज किए.

बता दें कि निलंबित आईपीएस अभिषेक दीक्षित को नोटिस देकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था. शुक्रवार को ज्वाइंट कमिश्नर के कार्यालय पहुंचकर अभिषेक दीक्षित ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर सफाई दी. सूत्रों के अनुसार अभिषेक दीक्षित अपने साथ अधिवक्ता को लेकर आए थे, लेकिन जेसीपी ने बयान दर्ज करने के दौरान अधिवक्ता को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं दी. जेसीपी ने करीब चार घंटे अभिषेक दीक्षित से एक-एक कर कई सवाल पूछे. बता दें कि, निलंबित आईपीएस अभिषेक दीक्षित के विरुद्ध एडीजी प्रयागराज जोन ने रिपोर्ट दी थी. इसके चलते ही लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) कानून-व्यवस्था नीलाब्जा चौधरी ने उनके बयान दर्ज किए हैं.

ये है पूरा मामला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति के तहत शासन ने फरार आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार व प्रयागराज के निलंबित एसएसपी अभिषेक दीक्षित के विरुद्ध सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) से जांच कराए जाने के निर्देश दिए थे. सितंबर 2020 में विजिलेंस ने महोबा व प्रयागराज पुलिस पर लगे भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों की जांच शुरू की थी, जबकि दिसंबर 2020 में शासन ने दोनों आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति की विजिलेंस जांच का निर्देश दिया था.

विभागीय अनियमितता के मामले में 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिषेक दीक्षित को आठ सितंबर 2020 को निलंबित कर दिया गया था. अभिषेक दीक्षित तीन बिंदुओं पर दोषी पाए गए हैं. विजिलेंस जांच में उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का ठीक ढंग से अनुपालन न कराने व उनके द्वारा दी गई जांचें सही ढंग से न कराने का दोषी पाया गया. इसके अलावा वह प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरित किए गए स्टेनो को बैकडेट में छुट्टी देने के भी दोषी पाए गए.

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स्टेनो को उसका स्थानान्तरण रुकवाने की पैरवी का पूरा मौका देने के लिए यह कदम उठाया गया था. इसके अलावा थानेदारों की पोस्टिंग में गड़बड़ी करने की बात भी सामने आई. थानेदारों की पोस्टिंग में लेनदेन का संगीन आरोप अभिषेक दीक्षित पर लगा था. हालांकि विजिलेंस को इसके साक्ष्य नहीं मिले, लेकिन यह साफ हो गया कि थानेदारों की तैनाती में नियमों की अनदेखी की गई थी. विजिलेंस अब अभिषेक दीक्षित के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है.

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