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केजीएमयू से लाखों का सामान बाहर ले जाने में फंसे निलंबित इंजीनियर अब बर्खास्त ...पढ़िए पूरी खबर

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Published : Mar 12, 2022, 10:34 AM IST

केजीएमयू में डेढ़ साल पहले लाखों का सामान बाहर ले जाने के आरोप में निलंबित इंजीनियर को अब बर्खास्त कर दिया गया है. क्या था पूरा मामला चलिए जानते हैं.

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केजीएमयू का लाखों का सामान बाहर ले जाने में फंसे निलंबित इंजीनियर अब बर्ख़ास्त.

लखनऊ : केजीएमयू में डेढ़ साल पहले ट्रक से लाखों का सामान बाहर भेजने का खेल उजागर हुआ था. जांच के बाद इंजीनियर को निलंबित कर दिया गया था. अब उस इंजीनियर को बर्खास्त कर दिया गया है.


केजीएमयू में नेडा द्वारा एलईडी लाइट भेजी गई थीं. पांच अक्टूबर 2020 को सुबह एक ट्रक ( संख्या यूपी 32 एटी 8181) फर्जी गेट पास के माध्यम से एक जनरेटर, एलईडी व अन्य उपकरण लोड कर केजीएमयू से बाहर जा रहा था. मुख्य पीआरओ दफ्तर के पास कर्मचारियों ने ट्रक को रोक लिया और जांच की.

ट्रक ड्राइवर व कर्मचारियों ने दस्तावेज दिखाए. कर्मचारियों को दस्तावेज फर्जी लगे. कर्मचारियों ने इसकी सूचना तत्कालीन चीफ प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा को दी. प्रॉक्टर टीम संग मौके पर पहुंचे. ट्रक में 990 एलईडी लाइट मिलीं. इन लाइटों की स्टॉक में इंट्री नहीं की गयी थीं. इंजीनियर ने इसके लिए कंपनी को रिसीविंग भी दी थी लेकिन ये लाइट कहीं नहीं लगाई गईं. ट्रक में 10 केवीए का जनरेटर लदा था. इसकी स्टॉक में इंट्री नहीं थी.

ये भी पढ़ेंः 15 मार्च को शपथ ले सकते हैं योगी आदित्यनाथ और उनका मंत्रिमंडल, पीएम मोदी के समारोह में आने की उम्मीद


केजीएमयू प्रशासन ने उच्चस्तरीय चार सदस्यीय जांच कमेठी गठित की थी. मामले में केजीएमयू के इंजीनियर की भूमिका संदिग्ध मिली. कमेटी ने आरोपी इंजीनियर को चार्जशीट देकर उसके बयान लिए थे. जांच समिति ने इंजीनियर को तीन मामलों में आरोपी बनाया. कमेटी को जांच में आरोप सही मिले.


वहीं, जेई ने आरोपों को सिरे से खारिज किया, खुद को निर्दोष बताया. जेई के मुताबिक ट्रक पर लदे सामान का गबन नहीं किया जा रहा था. इसे शताब्दी भवन में रखा जाना था. इस संबंध में संबंधित व्यक्ति से बात हुई थी. सुबह नौ बजे के बाद परिसर के भीतर भारी वाहनों की नो इंट्री हो जाती है इसलिए सुबह सात बजे का समय तय किया गया. वहीं, एलईडी लाइट गायब होने के आरोप को भी उन्होंने नकारा.

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लखनऊ : केजीएमयू में डेढ़ साल पहले ट्रक से लाखों का सामान बाहर भेजने का खेल उजागर हुआ था. जांच के बाद इंजीनियर को निलंबित कर दिया गया था. अब उस इंजीनियर को बर्खास्त कर दिया गया है.


केजीएमयू में नेडा द्वारा एलईडी लाइट भेजी गई थीं. पांच अक्टूबर 2020 को सुबह एक ट्रक ( संख्या यूपी 32 एटी 8181) फर्जी गेट पास के माध्यम से एक जनरेटर, एलईडी व अन्य उपकरण लोड कर केजीएमयू से बाहर जा रहा था. मुख्य पीआरओ दफ्तर के पास कर्मचारियों ने ट्रक को रोक लिया और जांच की.

ट्रक ड्राइवर व कर्मचारियों ने दस्तावेज दिखाए. कर्मचारियों को दस्तावेज फर्जी लगे. कर्मचारियों ने इसकी सूचना तत्कालीन चीफ प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा को दी. प्रॉक्टर टीम संग मौके पर पहुंचे. ट्रक में 990 एलईडी लाइट मिलीं. इन लाइटों की स्टॉक में इंट्री नहीं की गयी थीं. इंजीनियर ने इसके लिए कंपनी को रिसीविंग भी दी थी लेकिन ये लाइट कहीं नहीं लगाई गईं. ट्रक में 10 केवीए का जनरेटर लदा था. इसकी स्टॉक में इंट्री नहीं थी.

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केजीएमयू प्रशासन ने उच्चस्तरीय चार सदस्यीय जांच कमेठी गठित की थी. मामले में केजीएमयू के इंजीनियर की भूमिका संदिग्ध मिली. कमेटी ने आरोपी इंजीनियर को चार्जशीट देकर उसके बयान लिए थे. जांच समिति ने इंजीनियर को तीन मामलों में आरोपी बनाया. कमेटी को जांच में आरोप सही मिले.


वहीं, जेई ने आरोपों को सिरे से खारिज किया, खुद को निर्दोष बताया. जेई के मुताबिक ट्रक पर लदे सामान का गबन नहीं किया जा रहा था. इसे शताब्दी भवन में रखा जाना था. इस संबंध में संबंधित व्यक्ति से बात हुई थी. सुबह नौ बजे के बाद परिसर के भीतर भारी वाहनों की नो इंट्री हो जाती है इसलिए सुबह सात बजे का समय तय किया गया. वहीं, एलईडी लाइट गायब होने के आरोप को भी उन्होंने नकारा.

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