लखनऊ : मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के रिटायरमेंट यानी 17 नवंबर से पहले देश के सबसे प्रतिक्षित अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला आने वाला है. 6 अगस्त से 16 अक्टूबर 2019 तक कुल 40 दिन की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अयोध्या भूमि विवाद
इस मामले में भी फैसला अगले 7 दिनों में संभवत: 15 नवंबर को आ जाएगा. देश 1949 से अयोध्या भूमि विवाद की कानूनी जंग के नतीजे का इंतजार कर रहा है. 70 साल के कानूनी दांवपेच के बाद आने वाला नतीजा भारत की राजनीति की दशा और दिशा तय करेगा.
फिलहाल फैसले के बाद हालात सामान्य बनाने के लिए केंद्र और यूपी सरकार ने कमर कस ली है. अयोध्या में सुरक्षा बलों ने किलेबंदी कर दी है. शहर में 22 स्थान ऐसे हैं, जहां पर रैपिड एक्शन फोर्स के जवान सक्रिय हैं. वहीं 16 स्थानों पर एटीएस के कमांडो तैनात हैं. अयोध्या में लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों जैसे चौक क्षेत्र, श्रीरामजन्मभूमि क्षेत्र से सटा हुआ आउटर राम कोट क्षेत्र, हनुमान गढ़ी चौराहा, मकबरा रोड, रीकाबगंज और लक्ष्मण किला रोड पर ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है.
उपद्रवियों को रखने के लिए आजमगढ़ और अंबेडकर नगर में अस्थायी जेल बनाई गई हैं. इस केस से जुड़े सभी पक्षकारों ने लोगों से सद्भाव बनाए रखने की अपील की है. शांति कमेटियों के माध्यम से पूरे उत्तर प्रदेश में सभी धर्म के नेता कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने का आग्रह कर रहे हैं. बता दें अयोध्या भूमि विवाद के पक्षकार निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा, रामजन्मभूमि न्यास समेत मुसलिम पक्ष ने भी अदालत के फैसले को मानने का एलान कर रखा है.
सबरीमाला मंदिर
चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट से पहले सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर भी फैसला आने की संभावना है. सबरीमाला विवाद में केरल सरकार और भाजपा के रुख को देखते हुए यह अनुमान लगाना सहज है कि मलयाली हिंदू की प्रतिक्रिया पूरे भारत को अलर्ट पर रख सकता है. 800 साल पुराने इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद जारी है. 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया था. हिंदू संगठनों के विरोध के बीच केरल सरकार ने 2 जनवरी को मंदिर में दो महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित कराया था. 2 जनवरी की सुबह करीब 3:45 बजे महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन किए. इसके बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए थे. इसके पक्ष में तर्क दिया गया कि मंदिर को शुद्ध किया जा रहा है. फिर दोपहर 12 बजे के आसपास कपाट खोल दिए गए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमति नहीं रखने वाले संस्थाओं और लोगों की ओर से पुनर्विचार के लिए 60 याचिका दायर की गईं थीं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
राफेल और आरटीआई केस
इन दो केसों के अलावा 16 नवंबर तक आरटीआई और राफेल के केस में सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णय सुना सकता है.
सुप्रीम अदालत का फैसला मोदी सरकार व उसके प्रशासनिक निर्णय को परखेगा. इन दोनों मामलों में अदालत का रुख भारत की राजनीति में विपक्ष की हैसियत को भी नए सिरे से संभलने या बिखरने का मौका देगा.