लखनऊः गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर (Lord Shesh Nagesh Tileshwar Mahadev Temple ) प्रकरण में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board ) की ओर से दाखिल सिविल निगरानी याचिका पर विपक्षी हिंदू पक्ष की ओर से बहस पूरी कर ली गई है. इसके बाद एडीजे प्रफुल्ल कमल (ADJ Prafulla Kamal) ने 7 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
कोर्ट में लार्ड नागेश्वर टीलेश्वर महादेव विराजमान की ओर वकील शेखर निगम ने अंतिम बहस करते हुए कहा है कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने अधिकृत निगरानीकर्ता को उनके पद से हटा दिया है. इसलिए निगरानी पोषणीय नहीं है. पत्रावली पर निगरानी को खारिज करने की मांग वाली अर्जी के साथ-साथ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रोफेसर सैयद शफीक अहमद अशरफ द्वारा जारी पत्र को दाखिल किया गया. पत्र में निगरानीकर्ता मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान रहमानी को इमाम के पद से हटाए जाने की बात कही गई है. जिसमें कहा गया है कि मुकदमे की पैरवी के लिए नियुक्त मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान को पद से हटा दिया गया है. लिहाजा अब वह इस याचिका के निगरानीकर्ता नहीं रह गए है. इसलिए निगरानिकर्ता के अभाव में सिविल निगरानी पोषणीय नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए.
याचिका के विरोध में राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) द्वारा विरोध किया गया. जबकि निगरानी कर्ता की ओर से याचिका पर बार बार समय देने के बावजूद बहस नहीं की गई. अदालत ने अधिवक्ता शेखर निगम एवं डीजीसी(सिविल) की सुनने के बाद 7 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
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