लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के साथ सुभासपा चीफ ओम प्रकाश राजभर के रिश्ते सुधरने की सुगबुगाहट ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की चिंता बढ़ा दी है. इसी चिंता को और बल राजभर अपने बयानों से दे रहे हैं. सोमवार को मीडिया से बात करते हुए राजभर ने निषाद पर निशाना साधा. कहा कि संजय निषाद मछुवारा जाति की आरक्षण बचाओ रैली की नौटंकी कर रहे हैं.
इन जातियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं संजय निषाद और ओपी राजभर. ओम प्रकाश राजभर सोमवार को अपने कार्यालय में मीडिया से बात कर रहे थे. राजभर ने प्रदेश सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने संजय निषाद के मछुआरा आरक्षण बचाओ के महाजनसंपर्क अभियान पर पलटवार करते हुए कहा कि निषाद खुद मंत्री है, उन्ही की सरकार है, ऐसे में महा जनसंपर्क अभियान चलाकर कौन सी नौटंकी कर रहे है. राजभर ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर संजय निषाद ने अपने समाज को इकट्ठा किया और मजबूत संगठन तैयार किया, इतना ही नही उनके समाज ने उनका इसलिए साथ दिया कि उनके समाज को अनसूचित जाति का दर्जा मिले. इसी को लेकर संजय निषाद ने आंदोलन किया और वादा किया कि यदि सत्ता मिली तो वो अनसूचित जाति का दर्जा दिलाएंगे. अब उन्हें सत्ता भी मिल गई और मंत्री भी बन गए तो क्यों नही वादा पूरा करते है. उन्होंने कहा कि एक वीडियो देखा जिसमें ग़ाज़ियाबाद में इनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी हुई थी। वे अपनी ही जाति के लोगों को न्याय नहीं दिला पा रहे तो दूसरों का क्या भला करेंगे.बता दें कि निषाद पार्टी सुप्रीमो संजय निषाद 28 जून से आरक्षण के लिए अभियान चलाने जा रहे हैं. इसके लिए वो और उनकी पार्टी सभी विधानसभा क्षेत्रों में मछुआ आरक्षण पर राय मांगेंगे. इस अभियान के दौरान 17 उपजातियों से गोरखपुर,बस्ती, आज़मगढ़ और आयोध्या मंडल में महासंपर्क किया जाएगा.
दरअसल, संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर में इस बात के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी हुई है, कि कौन भाजपा के लिए अधिक लाभप्रद हैं. ऐसे में जहां ओपी राजभर बीजेपी नेताओं के करीब आ रहे है तो संजय निषाद बड़े नेताओं से मुलाकात करने के साथ साथ खुद की पार्टी की महा जनसंपर्क अभियान चला कर अपनी ताकत दिखाने को कोशिश कर रहें हैं. राजनीतिक पंडित मानते है कि यदि राजभर भाजपा के साथ आते हैं तो इससे एनडीए में डॉ. संजय निषाद के दबदबे को झटका लग सकता है. इसके पीछे की वजह है कि है दोनों ही नेता अपनी-अपनी जातियों में ठीक पकड़ रखते हैं. ऐसे में अगर दोनों ही गठबंधन में सहयोगी होंगे तो उससे प्रभाव में कुछ कमी तो जरूर ही आएगी.
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