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अब नौकरी के साथ भी पीएचडी कर सकेंगे छात्र - नौकरी के साथ भी पीएचडी कर सकेंगे छात्र

शोध में रुचि लेने वाले छात्र अब नौकरी के साथ ही पीएचडी भी कर सकेंगे. लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से तैयार ऑर्डिनेंस को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब नौकरी के साथ पीएचडी करने की राह आसान हो गई है.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Feb 5, 2021, 3:12 AM IST

लखनऊ: अब नौकरी कर रहे छात्र-छात्राएं भी पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे. इसके लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नए ऑर्डिनेंस को मंजूरी दे दी है. लखनऊ विश्वविद्यालय की डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर पूनम टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किए गए पीएचडी के नए ऑर्डिनेंस को राजभवन से मंजूरी दे दी गई है.

प्रोफेसर पूनम टंडन ने जानकारी बताया कि ऑर्डिनेंस के तहत कई सारे बदलाव हुए हैं. अब छात्र-छात्राएं नौकरी के साथ-साथ पार्ट टाइम पीएचडी भी कर सकेंगे. इसके अलावा पीएचडी की ऑनलाइन मौखिक परीक्षा के लिए कुलपति की अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. अब इस नए बदलाव के साथ पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने बताया कि ऑर्डिनेंस आने से 2021 में पूर्णकालिक और अंशकालिक पीएचडी की जा सकेगी.

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक अभी तक नौकरी के साथ पीएचडी करने का नियम नहीं था. इससे तमाम ऐसे छात्र जिन्हें शोध में रुचि है लेकिन नौकरी भी करते थे, वह इससे वंचित रह जाते थे. लेकिन अब उन्हें पार्ट टाइम पीएचडी का मौका मिलेगा. छात्रों को केवल प्रोफेसरों या एसोसिएट प्रोफेसरों की देखरेख में नामांकित किया जाएगा. एक अकादमिक वर्ष में सिर्फ एक अंशकालिक शोध छात्र के नामांकन की अनुमति एक संकाय के तहत दी जाएगी. इन शोध छात्रों को कोर्स वर्क परीक्षा को पास करना अनिवार्य होगा.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि नए ऑर्डिनेंस के अनुसार ही दाखिले के लिए जाएंगे. नए ऑर्डिनेंस से शोधार्थियों को राहत मिलेगी. अभी तक थीसिस प्रिंट कराने उसकी कई कापियां जमा करने में शोधार्थियों को काफी पैसा खर्च होता था. अब पीएचडी की कॉपी के लिए ई-मेल की सुविधा रहेगी. शोधार्थी रिसर्च सेल में मेल कर सकेंगे, इससे उनका खर्च बचेगा.

प्रोफेसर टंडन ने बताया कि पीएचडी अवार्ड की व्यवस्था में भी कई सारे बदलाव किए गए हैं. नए ऑर्डिनेंस के मुताबिक शोधार्थियों को मौखिक परीक्षा के दिन से पीएचडी अवार्ड की तिथि मानी जाएगी. इसके अलावा देश-विदेश के प्रोफेसर भी मौखिक परीक्षा के परीक्षक बनाए जा सकेंगे. उन्हें यहां बुलाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. यह परीक्षा ऑनलाइन ली जा सकेगी. हर विभाग में रिसर्च एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी. जहां शोधार्थियों को हर 6 महीने में दो बार प्रेजेंटेशन देकर शोध से जुड़ी रिपोर्ट देनी होगी.

लखनऊ: अब नौकरी कर रहे छात्र-छात्राएं भी पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे. इसके लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नए ऑर्डिनेंस को मंजूरी दे दी है. लखनऊ विश्वविद्यालय की डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर पूनम टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किए गए पीएचडी के नए ऑर्डिनेंस को राजभवन से मंजूरी दे दी गई है.

प्रोफेसर पूनम टंडन ने जानकारी बताया कि ऑर्डिनेंस के तहत कई सारे बदलाव हुए हैं. अब छात्र-छात्राएं नौकरी के साथ-साथ पार्ट टाइम पीएचडी भी कर सकेंगे. इसके अलावा पीएचडी की ऑनलाइन मौखिक परीक्षा के लिए कुलपति की अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. अब इस नए बदलाव के साथ पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने बताया कि ऑर्डिनेंस आने से 2021 में पूर्णकालिक और अंशकालिक पीएचडी की जा सकेगी.

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक अभी तक नौकरी के साथ पीएचडी करने का नियम नहीं था. इससे तमाम ऐसे छात्र जिन्हें शोध में रुचि है लेकिन नौकरी भी करते थे, वह इससे वंचित रह जाते थे. लेकिन अब उन्हें पार्ट टाइम पीएचडी का मौका मिलेगा. छात्रों को केवल प्रोफेसरों या एसोसिएट प्रोफेसरों की देखरेख में नामांकित किया जाएगा. एक अकादमिक वर्ष में सिर्फ एक अंशकालिक शोध छात्र के नामांकन की अनुमति एक संकाय के तहत दी जाएगी. इन शोध छात्रों को कोर्स वर्क परीक्षा को पास करना अनिवार्य होगा.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि नए ऑर्डिनेंस के अनुसार ही दाखिले के लिए जाएंगे. नए ऑर्डिनेंस से शोधार्थियों को राहत मिलेगी. अभी तक थीसिस प्रिंट कराने उसकी कई कापियां जमा करने में शोधार्थियों को काफी पैसा खर्च होता था. अब पीएचडी की कॉपी के लिए ई-मेल की सुविधा रहेगी. शोधार्थी रिसर्च सेल में मेल कर सकेंगे, इससे उनका खर्च बचेगा.

प्रोफेसर टंडन ने बताया कि पीएचडी अवार्ड की व्यवस्था में भी कई सारे बदलाव किए गए हैं. नए ऑर्डिनेंस के मुताबिक शोधार्थियों को मौखिक परीक्षा के दिन से पीएचडी अवार्ड की तिथि मानी जाएगी. इसके अलावा देश-विदेश के प्रोफेसर भी मौखिक परीक्षा के परीक्षक बनाए जा सकेंगे. उन्हें यहां बुलाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. यह परीक्षा ऑनलाइन ली जा सकेगी. हर विभाग में रिसर्च एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी. जहां शोधार्थियों को हर 6 महीने में दो बार प्रेजेंटेशन देकर शोध से जुड़ी रिपोर्ट देनी होगी.

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