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लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

शहीदी दिवस के मौके पर लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि दी. छात्रों ने शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए.

छात्रों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
छात्रों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
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Published : Mar 23, 2021, 1:27 PM IST

लखनऊ: शहीद दिवस के मौके पर मंगलवार सुबह लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में मेले जैसा माहौल देखने को मिला. सुबह 8 बजे विश्वविद्यालय के छात्रों ने यूनिवर्सिटी में स्थापित शहीदों की प्रतिमा की सफाई की. इसके बाद छात्रों ने शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर शहीदों की कुर्बानियों को याद करते हुए छात्र अमन दुबे ने कहा की आज के समय में युवा अपने गौरवमई इतिहास को भूल कर बाहर के लोगों से प्रेरणा ले रहे हैं, ऐसे में हम युवाओं को अपने इन क्रांतिकारियों के त्याग को याद कर इनसे मिली सीखों को अपने जीवन में उतारना चाहिए, जिससे देश का युवा भारत को विश्वगुरु बनाने में अपनी भागीदारी दे सके. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र रजत मिश्र, अक्षय तिवारी, अमित कुमार, अक्षय प्रताप सिंह, सौरभ आदि लोगों की उपस्थित रहे.

1931 में दी गई थी फांसी
अमन दुबे ने कहा कि देश की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया गया. लोगों ने अपने अपने तरीके से अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया. कुछ लोग गांधीवादी राह पर चलकर अहिंसा के साथ इस संघर्ष को लड़े तो वहीं भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव जैसे वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती देने का रास्ता अपनाया. इनकी देशभक्ति का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि बिना डरे छोटी सी उम्र में इन्होंने फांसी को भी गले लगा लिया. आज की युवा पीढ़ी को सही और गलत का फर्क करना और अपनी बात रखने का तरीका सीखना चाहिए.

लखनऊ: शहीद दिवस के मौके पर मंगलवार सुबह लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में मेले जैसा माहौल देखने को मिला. सुबह 8 बजे विश्वविद्यालय के छात्रों ने यूनिवर्सिटी में स्थापित शहीदों की प्रतिमा की सफाई की. इसके बाद छात्रों ने शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर शहीदों की कुर्बानियों को याद करते हुए छात्र अमन दुबे ने कहा की आज के समय में युवा अपने गौरवमई इतिहास को भूल कर बाहर के लोगों से प्रेरणा ले रहे हैं, ऐसे में हम युवाओं को अपने इन क्रांतिकारियों के त्याग को याद कर इनसे मिली सीखों को अपने जीवन में उतारना चाहिए, जिससे देश का युवा भारत को विश्वगुरु बनाने में अपनी भागीदारी दे सके. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र रजत मिश्र, अक्षय तिवारी, अमित कुमार, अक्षय प्रताप सिंह, सौरभ आदि लोगों की उपस्थित रहे.

1931 में दी गई थी फांसी
अमन दुबे ने कहा कि देश की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया गया. लोगों ने अपने अपने तरीके से अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया. कुछ लोग गांधीवादी राह पर चलकर अहिंसा के साथ इस संघर्ष को लड़े तो वहीं भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव जैसे वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती देने का रास्ता अपनाया. इनकी देशभक्ति का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि बिना डरे छोटी सी उम्र में इन्होंने फांसी को भी गले लगा लिया. आज की युवा पीढ़ी को सही और गलत का फर्क करना और अपनी बात रखने का तरीका सीखना चाहिए.

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