लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है. छात्र विश्वविद्यालय में बने छात्रसंघ भवन की दुर्दशा को लेकर नाराज हैं. विश्वविद्यालय में बीते करीब 15-16 वर्षों से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं. छात्रों का आरोप है कि बावजूद इसके हर साल छात्रों से दाखिले के समय ही छात्रसंघ शुल्क लिया जाता है. यह शुल्क करीब चार से पांच रुपये तक है. हर साल करीब 15 से 18 हजार छात्र-छात्राएं दाखिले ले रहे हैं. छात्रों का कहना है कि कई वर्षों से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुआ है. पैसा है, बावजूद इसके छात्रसंघ भवन का रख-रखाव नहीं किया जा रहा है.
छात्रों की ओर से मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को ज्ञापन सौंपा गया. छात्रों ने साफ किया है कि अगर 48 घंटे के अंदर छात्रों की मांगों को नहीं पूरा किया गया तो समस्त छात्र खुद ही साफ-सफाई का कार्य शुरू करेंगे. चंदा लेकर बोर्ड लगाने का कार्य करेंगे. इस मौके पर मुख्य रूप से आर्यन मिश्रा, देव सिंह, सार्थक शुक्ला, नवीन पटेल, हिमांशु तिवारी, आकाश अवस्थी एवं अन्य मौजूद रहे.
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विश्वविद्यालय नहीं चाहता छात्रसंघ
लखनऊ विश्वविद्यालय में कुछ छात्र भले ही छात्रसंघ को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हों लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन इसे दोबारा लागू नहीं कराना चाहता. वर्ष 2012 से छात्र हेमंत सिंह की याचिका का हवाला देकर अभी तक छात्रसंघ चुनावों को टाला जाता था. बीते वर्ष याचिका पास होने से यह बहाना भी खत्म हो गया.
पूर्व कुलपति एसके शुक्ला के समय ही यह खत्म हो गया था. अब सबकुछ सरकार और प्रशासन के हाथ में है. बावजूद इसके, कोई फैसला लेने को तैयार नहीं है. जानकारों की मानें तो छात्रसंघ आने से विश्वविद्यालय प्रशासन के हर फैसले और मनमानी पर अंगुलियां उठेंगी. इसी डर के कारण इसे लागू करने से घबरा रहे हैं.
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