लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (लखनऊ) के पैरामेडिकल विज्ञान संकाय ने शनिवार को ऑनलाइन माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) कार्यक्रम आयोजन किया. इस साल की थीम 'पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली' रखी गई है. पृथ्वी में मानव और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं. इसका मतलब पृथ्वी पर पारिस्थितिकी प्रणाली (Ecosystem) को मजबूत कर पर्यावरण को बेहतर बनाना है.
KGMU के मुख्य वक्ता पैरामेडिकल विज्ञान संकाय (Faculty of Paramedical Sciences) के डीन एवं सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर विनोद जैन ने कहा कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखना है. पर्यावरण में पिछले कुछ सालों से कई तरह के असामान्य और अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. ये परिवर्तन प्रकृति के प्रमुख घटकों जल, जंगल, जमीन और समस्त वायुमंडल को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. ये दुष्प्रभाव इतना ज्यादा है कि इसके कारण पृथ्वी व इसके वायुमंडल और संपूर्ण जीव जगत के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. उन्होंने बताया की शनिवार को पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं ने करीब 400 पौधों का रोपण किया.
संकट में जीवों का अस्तित्व
इस दौरान विवेक गुप्ता, फैकल्टी ऑफ पैरामेडिकल साइंसेस ने पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं को बताया की प्रकृति में असंतुलन उत्पन्न होने से जीवों का अस्तित्व संकट में आ सकता है. उन्होंने कहा चिलका झील जैसी बहुत सारी झीलों, नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है, जो की खतरे का संकेत है. इसलिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए एवं इसके लिए बनाए गए कानूनों का पालन करना चाहिए. कार्यक्रम डॉक्टर विनोद जैन के तत्वाधान में सोनिया शुक्ला ने संचालित किया. कार्यक्रम के सफल संचालन में वीनू दुबे, राघवेन्द्र शर्मा, प्रह्लाद मौर्या एवं शिवांगम गिरी का विशेष योगदान रहा. इस जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन को डब्ल्यूएचओ ने भी सम्मानित किया. रोगी आहार सेवाओं के लिए प्रयोग किए हुए डिस्पोजेबल प्लास्टिक प्लेटों का उपयोग एक प्रमुख मुद्दा था, क्योंकि प्रतिदिन भारी मात्रा में प्लास्टिक एकत्रित होता था.
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वातावरण को स्वच्छ रखें
कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉक्टर बिपिन पुरी ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक डिश वॉशिंग सुविधा का उद्घाटन किया. इसके लिए अब से स्टेनलेस स्टील प्लेट का इस्तेमाल किया जाएगा. रसोई में सब्जी के कचरे और बचे हुए भोजन को खाद में बदलने वाली एक मशीन का भी उद्घाटन किया गया, जिससे कार्बन फुटप्रिंट कम होगा और इसका वातावरण को स्वच्छ रखने में भी योगदान रहेगा. विश्वविद्यालय परिसर में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए परिसर के अंदर कई प्रकार के पेड़-पौधे भी लगाए गए.