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लखनऊ: पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के साथ विफल हुई संघर्ष समिति की वार्ता - पावर कारपोरेशन की हड़ताल

यूपी की राजधानी लखनऊ में पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के साथ संघर्ष समिति की वार्ता हुई, जिसका कोई भी सार्थक परिणाम नहीं निकल सका. इसे लेकर बिजली कर्मचारी सोमवार को हड़ताल करेंगे.

पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के साथ विफल हुई संघर्ष समिति की वार्ता
पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के साथ विफल हुई संघर्ष समिति की वार्ता
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Published : Oct 5, 2020, 2:50 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबन्धन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच रविवार को शक्ति भवन में हुई लम्बी वार्ता का कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकला. वार्ता के दौरान संघर्ष समिति ने बिजली व्यवस्था में सुधार और राजस्व वसूली में वृद्धि किए जाने के लिए कई रचनात्मक सुझाव दिए, लेकिन प्रबन्धन निजीकरण की जिद पर अड़ा रहा, जिससे वार्ता विफल हो गई. अब सोमवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री के साथ बिजली विभाग के संगठनों की वार्ता होगी.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पांच अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहे कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली उत्पादन गृहों, 765/400 केवी के विद्युत उपकेंद्रों व प्रणाली नियंत्रण में शिफ्ट में कार्य करने वाले कार्य बहिष्कार में शामिल नही होगें, जिससे कि जनता को अनावश्यक तकलीफ न हो. उन्होंने यह भी बताया कि कार्य बहिष्कार के दौरान अस्पतालों एवं पेयजल व अन्य आवश्यक सेवाओं की विद्युत आपूर्ति बहाल रखी जाएगी, जिससे कि आम जनता को असुविधा का सामना न करना पड़े.

शैलेंद्र दुबे ने बताया कि वार्ता के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने पांच अप्रैल 2018 को ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ हुए लिखित समझौते 'उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जायेगी. कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना यूपी में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जायेगा.'

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि समझौते के अनुसार प्रबन्धन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर कार्रवाई करे, जिस पर प्रबन्धन द्वारा कुछ भी पहल नहीं की गई. संघर्ष समिति ने प्रस्ताव दिया कि समझौते के अनुसार निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त कर सुधार की कार्य योजना बनाई जाए, जिसके लिये बिजलीकर्मी संकल्पबद्ध हैं. संघर्ष समिति के सुधार के संकल्प के बावजूद ऊर्जा निगम प्रबन्धन निजीकरण पर अड़ा रहा. उन्होंने बताया कि यूपी ऊर्जा प्रबन्धन की हठधर्मिता के कारण उप्र के बिजली कामगारों के कार्य बहिष्कार के समर्थन में राष्ट्रीय स्तर पर एनसीसीओईईई ने यह घोषणा की है कि पांच अक्टूबर को यूपी के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियन्ताओं के आंदोलन को बल प्रदान करने के लिये एकता दिवस के रुप में देश भर के 15 लाख कर्मचारी भी कार्य बहिष्कार पर उतरेगें.

राजधानी लखनऊ के शक्ति भवन में हुई वार्ता में प्रबन्धन की ओर से अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) अरविंद कुमार, पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक एम. देवराज, उत्पादन निगम के प्रबन्ध निदेशक सेन्थिल पांडियन सी. और संघर्ष समिति की ओर से शैलेन्द्र दुबे, एके सिंह, प्रभात सिंह, जीबी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पाण्डेय, सुहैल आबिद, महेन्द्र राय, के एस रावत, शशिकान्त श्रीवास्तव, विनय शुक्ला, डीके मिश्रा, परशुराम, एके श्रीवास्तव, वीके सिंह कलहंस, आरके सिंह, हसमत, राकेश, कपिल मुनि, सुनील प्रकाश पाल, नितिन शुक्ला, राजेन्द्र शामिल थे.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबन्धन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच रविवार को शक्ति भवन में हुई लम्बी वार्ता का कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकला. वार्ता के दौरान संघर्ष समिति ने बिजली व्यवस्था में सुधार और राजस्व वसूली में वृद्धि किए जाने के लिए कई रचनात्मक सुझाव दिए, लेकिन प्रबन्धन निजीकरण की जिद पर अड़ा रहा, जिससे वार्ता विफल हो गई. अब सोमवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री के साथ बिजली विभाग के संगठनों की वार्ता होगी.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पांच अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहे कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली उत्पादन गृहों, 765/400 केवी के विद्युत उपकेंद्रों व प्रणाली नियंत्रण में शिफ्ट में कार्य करने वाले कार्य बहिष्कार में शामिल नही होगें, जिससे कि जनता को अनावश्यक तकलीफ न हो. उन्होंने यह भी बताया कि कार्य बहिष्कार के दौरान अस्पतालों एवं पेयजल व अन्य आवश्यक सेवाओं की विद्युत आपूर्ति बहाल रखी जाएगी, जिससे कि आम जनता को असुविधा का सामना न करना पड़े.

शैलेंद्र दुबे ने बताया कि वार्ता के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने पांच अप्रैल 2018 को ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ हुए लिखित समझौते 'उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जायेगी. कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना यूपी में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जायेगा.'

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि समझौते के अनुसार प्रबन्धन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर कार्रवाई करे, जिस पर प्रबन्धन द्वारा कुछ भी पहल नहीं की गई. संघर्ष समिति ने प्रस्ताव दिया कि समझौते के अनुसार निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त कर सुधार की कार्य योजना बनाई जाए, जिसके लिये बिजलीकर्मी संकल्पबद्ध हैं. संघर्ष समिति के सुधार के संकल्प के बावजूद ऊर्जा निगम प्रबन्धन निजीकरण पर अड़ा रहा. उन्होंने बताया कि यूपी ऊर्जा प्रबन्धन की हठधर्मिता के कारण उप्र के बिजली कामगारों के कार्य बहिष्कार के समर्थन में राष्ट्रीय स्तर पर एनसीसीओईईई ने यह घोषणा की है कि पांच अक्टूबर को यूपी के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियन्ताओं के आंदोलन को बल प्रदान करने के लिये एकता दिवस के रुप में देश भर के 15 लाख कर्मचारी भी कार्य बहिष्कार पर उतरेगें.

राजधानी लखनऊ के शक्ति भवन में हुई वार्ता में प्रबन्धन की ओर से अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) अरविंद कुमार, पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक एम. देवराज, उत्पादन निगम के प्रबन्ध निदेशक सेन्थिल पांडियन सी. और संघर्ष समिति की ओर से शैलेन्द्र दुबे, एके सिंह, प्रभात सिंह, जीबी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पाण्डेय, सुहैल आबिद, महेन्द्र राय, के एस रावत, शशिकान्त श्रीवास्तव, विनय शुक्ला, डीके मिश्रा, परशुराम, एके श्रीवास्तव, वीके सिंह कलहंस, आरके सिंह, हसमत, राकेश, कपिल मुनि, सुनील प्रकाश पाल, नितिन शुक्ला, राजेन्द्र शामिल थे.

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