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लखनऊ: दहेज न देने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए छात्रों ने किया नुक्कड़ नाटक

यूपी के लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट के एमपी थिएटर में दहेज न देने के विषय पर नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया किया. इसमें यूनिवर्सिटीज और कॉलेज से तकरीबन 10 से 12 टीमों ने प्रतिभाग किया. नुक्कड़ नाटक का विषय 'जन-जन तक पहुंचे पैगाम दहेज देना भी है हराम' रखा गया था.

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Published : Oct 6, 2019, 8:18 AM IST

दहेज न देने के लिए छात्रों ने किया नुक्कड़ नाटक.

लखनऊ: हमारे आसपास कई ऐसे मसले होते हैं, जिनके बारे में कुछ प्रयोजनों द्वारा ही लोगों तक एक संदेश पहुंचाया जा सकता है. नुक्कड़ नाटक एक ऐसा कार्यक्रम है जो सकारात्मक संदेश देने के साथ लोगों के जहन में भी याद रहता है. नुक्कड़ नाटक ऐसा कार्यक्रम होता है, जिससे लोगों को कई संदेश मिल जाते हैं. इसी सिलसिले में गोमती रिवर फ्रंट पर पैगाम संस्था द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें दहेज न देने के विषय पर छात्रों ने अलग-अलग गुटों में नुक्कड़ नाटक कर संदेश दिया.

दहेज न देने के लिए छात्रों ने किया नुक्कड़ नाटक.

नुक्कड़ नाटक का आयोजन
कार्यक्रम का आयोजन कराने वाले द न्यू डेफिनेशन ऑफ यंगस्टर्स संस्था के डायरेक्टर देश दीपक सिंह ने बताया कि पैगाम 2019 की शुरुआत की जा चुकी है. गोमती रिवर फ्रंट के एमपी थिएटर में नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर रहे हैं. इस बार की थीम 'दहेज लेना ही नहीं, देना भी अभिशाप है' रखा गया है. क्योंकि अक्सर देखते हैं कि जो दहेज लेता है वह तो जुर्म करता ही है पर दहेज देने वाला भी कम दोषी नहीं होता. यह संदेश देना है कि जो दहेज देते हैं अगर वह दहेज देना ही बंद कर दे तो आस-पास काफी कुछ बदल सकता है.

नुक्कड़ नाटक में 10 से 12 टीमों ने किया प्रतिभाग
नुक्कड़ नाटक में लखनऊ भर की तमाम यूनिवर्सिटीज और कॉलेज से तकरीबन 10 से 12 टीमों ने प्रतिभाग किया है. नुक्कड़ नाटक को जज कर रहे अधिवक्ता अनिलेश तिवारी ने बताया कि दहेज न देने के विषय पर जो नुक्कड़ नाटक छात्रों द्वारा किया जा रहा है, उसकी कैटेगरी में कई तरह की बातें रखी गई हैं. इसके आधार पर हम इसे जज कर रहे हैं. मुख्य मकसद यह है कि इन बच्चों के अंदर भी नुक्कड़ नाटक के साथ इस बात के प्रति जागरूकता आए ताकि वह समाज में खुलकर अपनी आवाज उठा सकें.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: दहेज बना युवती के लिए श्राप, दारोगा ने कहा शादी करनी है तो लाओ 50 लाख

एक अन्य जज के रूप में उपस्थित कथा कथन संस्था की नूतन वशिष्ठ कहती हैं कि यह विषय काफी अच्छा है कि दहेज लेने के बजाय दहेज न देने पर नुक्कड़ नाटक किया जाए. समाज में दहेज लेने को अभिशाप माना जाता है और मैं देख रही हूं कि नुक्कड़ नाटक में प्रतिभाग लेने वाली कई टीमों में दहेज लेने के विषय को ही अपने दिमाग में रखकर परफॉर्मेंस दी गई है. सिर्फ दो या तीन टीमों ने ही असल विषय पर प्रतिभाग किया है. इसलिए मुझे लगता है कि इसके प्रति जागरूकता फैलाने की काफी ज्यादा जरूरत है.

नुक्कड़ नाटक का विषय 'जन-जन तक पहुंचे पैगाम दहेज देना भी है हराम' रखा गया था. इस आयोजन में आईटी गर्ल्स कॉलेज, लखनऊ यूनिवर्सिटी, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, टेक्नो ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, जीसीआरजी, सिटी लॉ कॉलेज, अंबालिका इंस्टिट्यूट और नाट्यशाला जैसे संस्थानों से आए छात्रों की टोलियों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया.

लखनऊ: हमारे आसपास कई ऐसे मसले होते हैं, जिनके बारे में कुछ प्रयोजनों द्वारा ही लोगों तक एक संदेश पहुंचाया जा सकता है. नुक्कड़ नाटक एक ऐसा कार्यक्रम है जो सकारात्मक संदेश देने के साथ लोगों के जहन में भी याद रहता है. नुक्कड़ नाटक ऐसा कार्यक्रम होता है, जिससे लोगों को कई संदेश मिल जाते हैं. इसी सिलसिले में गोमती रिवर फ्रंट पर पैगाम संस्था द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें दहेज न देने के विषय पर छात्रों ने अलग-अलग गुटों में नुक्कड़ नाटक कर संदेश दिया.

दहेज न देने के लिए छात्रों ने किया नुक्कड़ नाटक.

नुक्कड़ नाटक का आयोजन
कार्यक्रम का आयोजन कराने वाले द न्यू डेफिनेशन ऑफ यंगस्टर्स संस्था के डायरेक्टर देश दीपक सिंह ने बताया कि पैगाम 2019 की शुरुआत की जा चुकी है. गोमती रिवर फ्रंट के एमपी थिएटर में नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर रहे हैं. इस बार की थीम 'दहेज लेना ही नहीं, देना भी अभिशाप है' रखा गया है. क्योंकि अक्सर देखते हैं कि जो दहेज लेता है वह तो जुर्म करता ही है पर दहेज देने वाला भी कम दोषी नहीं होता. यह संदेश देना है कि जो दहेज देते हैं अगर वह दहेज देना ही बंद कर दे तो आस-पास काफी कुछ बदल सकता है.

नुक्कड़ नाटक में 10 से 12 टीमों ने किया प्रतिभाग
नुक्कड़ नाटक में लखनऊ भर की तमाम यूनिवर्सिटीज और कॉलेज से तकरीबन 10 से 12 टीमों ने प्रतिभाग किया है. नुक्कड़ नाटक को जज कर रहे अधिवक्ता अनिलेश तिवारी ने बताया कि दहेज न देने के विषय पर जो नुक्कड़ नाटक छात्रों द्वारा किया जा रहा है, उसकी कैटेगरी में कई तरह की बातें रखी गई हैं. इसके आधार पर हम इसे जज कर रहे हैं. मुख्य मकसद यह है कि इन बच्चों के अंदर भी नुक्कड़ नाटक के साथ इस बात के प्रति जागरूकता आए ताकि वह समाज में खुलकर अपनी आवाज उठा सकें.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: दहेज बना युवती के लिए श्राप, दारोगा ने कहा शादी करनी है तो लाओ 50 लाख

एक अन्य जज के रूप में उपस्थित कथा कथन संस्था की नूतन वशिष्ठ कहती हैं कि यह विषय काफी अच्छा है कि दहेज लेने के बजाय दहेज न देने पर नुक्कड़ नाटक किया जाए. समाज में दहेज लेने को अभिशाप माना जाता है और मैं देख रही हूं कि नुक्कड़ नाटक में प्रतिभाग लेने वाली कई टीमों में दहेज लेने के विषय को ही अपने दिमाग में रखकर परफॉर्मेंस दी गई है. सिर्फ दो या तीन टीमों ने ही असल विषय पर प्रतिभाग किया है. इसलिए मुझे लगता है कि इसके प्रति जागरूकता फैलाने की काफी ज्यादा जरूरत है.

नुक्कड़ नाटक का विषय 'जन-जन तक पहुंचे पैगाम दहेज देना भी है हराम' रखा गया था. इस आयोजन में आईटी गर्ल्स कॉलेज, लखनऊ यूनिवर्सिटी, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, टेक्नो ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, जीसीआरजी, सिटी लॉ कॉलेज, अंबालिका इंस्टिट्यूट और नाट्यशाला जैसे संस्थानों से आए छात्रों की टोलियों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया.

Intro:लखनऊ। हमारे आसपास कई ऐसे मसले होते हैं जिनके बारे में कुछ प्रयोजनों द्वारा ही लोगों तक एक संदेश पहुंचाया जा सकता है। सामाजिक संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के लिए कई ऐसे जतन किए जाते हैं जो सकारात्मक संदेश देने के साथ लोगों के जहन में भी याद रहते हैं। पर इन सबके बीच नुक्कड़ नाटक ऐसा कार्यक्रम होता है जिसमें छोटे छोटे किस्से लोगों को कई संदेश मिल जाते हैं। इसी सिलसिले में गोमती रिवर फ्रंट पर पैगम संस्था द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें दहेज न देने के विषय पर छात्रों ने अलग-अलग गुटों में नुक्कड़ नाटक कर संदेश दिया।


Body:वीओ1 इस कार्यक्रम का आयोजन कराने वाले द न्यू डेफिनेशन ऑफ यंगस्टर्स संस्था के डायरेक्टर देश दीपक सिंह ने बताया कि पैगाम 2019 की शुरुआत की जा चुकी है आज गोमती रिवर फ्रंट के एमपीथिएटर में हम नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर रहे हैं इस बार की थीम 'दहेज लेना ही नहीं देना भी अभिशाप है' रखा गया है क्योंकि अक्सर हम देखते हैं कि जो दहेज लेता है वह तो जुर्म करता ही है पर दहेज देने वाला भी कम दोषी नहीं होता। हमें यह संदेश भी देना है कि जो दहेज देते हैं अगर वह इस बात को ही रोक ले तो हमारे आस पास काफी कुछ बदल सकता है। नुक्कड़ नाटक के लिए लखनऊ भर के तमाम यूनिवर्सिटीज और कॉलेज से तकरीबन 10 से 12 टीमों ने प्रतिभाग किया है जो इस विषय पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। नुक्कड़ नाटक को जज कर रहे अधिवक्ता अनिलेश तिवारी ने बताया कि दहेज ना देने के विषय पर भी जो नुक्कड़ नाटक छात्रों द्वारा किया जा रहा है उसकी कैटेगरी में कई तरह के बातें रखी गई हैं जिसके आधार पर हम इसे जज कर रहे हैं। मुख्य मकसद यह है कि इन बच्चों के अंदर भी नुक्कड़ नाटक के साथ इस बात के प्रति जागरूकता आए ताकि वह समाज में खुलकर अपनी आवाज उठा सकें। एक अन्य जज के रूप में उपस्थित कथा कथन संस्था की नूतन वशिष्ठ कहती हैं कि यह विषय काफी अच्छा है कि दहेज लेने के बजाय दहेज न देने पर नुक्कड़ नाटक किया जाए और इसे हम जांच भी कर रहे हैं। हालांकि हमारे समाज में दहेज लेने को अभिशाप माना जाता है और मैं देख रही हूं कि नुक्कड़ नाटक में प्रति भाग लेने वाले कई टीमों में दहेज लेने के विषय को ही अपने दिमाग में रखकर परफॉर्मेंस दी है। सिर्फ दो या तीन टीमों ने ही असल विषय पर प्रतिभाग किया है। इसलिए मुझे लगता है कि इसके प्रति जागरूकता फैलाने की काफी ज्यादा जरूरत है।


Conclusion:लुक्का नाटक कब से जन-जन तक पहुंचे पैगाम दहेज देना भी है हराम रखा गया था। इस आयोजन में आईटी गर्ल्स कॉलेज, लखनऊ यूनिवर्सिटी, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, टेक्नो ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट, जीसीआरजी, सिटी लॉ कॉलेज, अंबालिका इंस्टिट्यूट और नाट्यशाला जैसे संस्थानों से आए छात्रों की टोलियों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। बाइट देश दीपक सिंह डायरेक्टर, द न्यू डेफिनेशन ऑफ यंगस्टर्स संस्था बाइट अनिलेश तिवारी, अधिवक्ता बाइट नूतन वशिष्ठ, कथा कथन संस्था रामांशी मिश्रा
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