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आलू से महंगा भूसा, गेंहू से ऊपर चोकर के दाम, किसान बेहाल

संसद से लेकर सड़क तक किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है. मगर मौजूदा समय मे किसानों के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. दरअसल आलू और गेहूं की कीमत मवेशियों को खिलाने वाले भूसे और चोकर से भी कम हो गई है. ऐसे में किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है.

फसलों की लागत निकलना मुश्किल.
फसलों की लागत निकलना मुश्किल.
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Published : Jan 24, 2021, 11:56 AM IST

लखनऊ : अपने खेतों में दिन-रात मेहनत और पैसा लगाकर उगाने वाले अनाज और सब्जियों के दाम पशुओं के चारे से भी कम हो गया है. जी हां, भूसा सब्जियों के राजा आलू से भी महंगा हो गया है. इतना ही नहीं जानवरों को दिए जाने वाला चोकर भी गेहूं से महंगा बिक रहा है. भूसे की कीमत अगले 2 महीने में 15 से 17 रुपए प्रति किलो तक पहुंचने का अनुमान है.

फसलों की लागत निकलना मुश्किल.

किसानों को भारी नुकसान
आलू के दाम कम होने से किसानों की लागत निकले या न निकले मगर इन सब के बीच बिचौलिए और पंसारी बीच में मोटा पैसा कमा रहे हैं. दुबग्गा मंडी आलू के थोक कारोबारी अनुरोध पांडेय ने बताया की मंडी में आलू ज्यादा आ जाने से आलू के दामों में भारी गिरावट आ गई है. शानिवार को आलू 8 से 9 रुपए प्रति किलो की दर से बिका है. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी ओर भूसा 10 से 11 रुपए किलो तो वहीं फुटकर में इसकी कीमत 12 रुपए किलो तक पहुंच गई है.

मवेशियों को पालना मुश्किल
मलिहाबाद के किसान बबलू बताते है कि एक गाय प्रतिदिन 6 से 8 किलो भूसा खाती है. 6 महीने पहले 6 रुपए किलो मिलने वाले भूसे के दाम दुगने हो गए. एक गाय पर प्रतिदिन जहां 150 से 200 का खर्च आता था. अब वही बढ़कर 300 से 350 तक पहुंच गया है. अगर ऐसे ही दामों में बढ़ोत्तरी रही तो मजबूरन गाय को किसी गौशाला में छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा. वहीं गेंहू कारोबारी संतराम गुप्ता ने बताया की मौजूदा समय मे गेंहू की कीमत 15 से 16 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है. तो वहीं मवेशियों को खिलाने वाला चोकर 20 रुपए प्रति किलो बिक रहा है.

फसलों की लागत निकलना मुश्किल
राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद के महमूदनगर के जागरूक किसानों ने बताया कि मौजूदा समय मे देश के अन्नदाता की हालत बाद से बदतर हो चुकी है. आलू की कीमत 8-10 रुपए प्रति किलो व गेंहू की कीमत 15-16 प्रति किलो है जो कि कम है. खेतों में बुवाई के साथ पानी, खाद और अन्य चीजों के इस्तेमाल के बाद लागत ज्यादा आ रही है. बाजार में जो भाव है उनसे लागत भी नही निकल पा रही है. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि किसानों की दयनीय स्तिथि के ऊपर ध्यान दे नहीं तो हम लोग कर्ज के बोझ तले दब जाएंगे.

लखनऊ : अपने खेतों में दिन-रात मेहनत और पैसा लगाकर उगाने वाले अनाज और सब्जियों के दाम पशुओं के चारे से भी कम हो गया है. जी हां, भूसा सब्जियों के राजा आलू से भी महंगा हो गया है. इतना ही नहीं जानवरों को दिए जाने वाला चोकर भी गेहूं से महंगा बिक रहा है. भूसे की कीमत अगले 2 महीने में 15 से 17 रुपए प्रति किलो तक पहुंचने का अनुमान है.

फसलों की लागत निकलना मुश्किल.

किसानों को भारी नुकसान
आलू के दाम कम होने से किसानों की लागत निकले या न निकले मगर इन सब के बीच बिचौलिए और पंसारी बीच में मोटा पैसा कमा रहे हैं. दुबग्गा मंडी आलू के थोक कारोबारी अनुरोध पांडेय ने बताया की मंडी में आलू ज्यादा आ जाने से आलू के दामों में भारी गिरावट आ गई है. शानिवार को आलू 8 से 9 रुपए प्रति किलो की दर से बिका है. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी ओर भूसा 10 से 11 रुपए किलो तो वहीं फुटकर में इसकी कीमत 12 रुपए किलो तक पहुंच गई है.

मवेशियों को पालना मुश्किल
मलिहाबाद के किसान बबलू बताते है कि एक गाय प्रतिदिन 6 से 8 किलो भूसा खाती है. 6 महीने पहले 6 रुपए किलो मिलने वाले भूसे के दाम दुगने हो गए. एक गाय पर प्रतिदिन जहां 150 से 200 का खर्च आता था. अब वही बढ़कर 300 से 350 तक पहुंच गया है. अगर ऐसे ही दामों में बढ़ोत्तरी रही तो मजबूरन गाय को किसी गौशाला में छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा. वहीं गेंहू कारोबारी संतराम गुप्ता ने बताया की मौजूदा समय मे गेंहू की कीमत 15 से 16 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है. तो वहीं मवेशियों को खिलाने वाला चोकर 20 रुपए प्रति किलो बिक रहा है.

फसलों की लागत निकलना मुश्किल
राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद के महमूदनगर के जागरूक किसानों ने बताया कि मौजूदा समय मे देश के अन्नदाता की हालत बाद से बदतर हो चुकी है. आलू की कीमत 8-10 रुपए प्रति किलो व गेंहू की कीमत 15-16 प्रति किलो है जो कि कम है. खेतों में बुवाई के साथ पानी, खाद और अन्य चीजों के इस्तेमाल के बाद लागत ज्यादा आ रही है. बाजार में जो भाव है उनसे लागत भी नही निकल पा रही है. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि किसानों की दयनीय स्तिथि के ऊपर ध्यान दे नहीं तो हम लोग कर्ज के बोझ तले दब जाएंगे.

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