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क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों तक पहुंचेगी घोटालों के जांच की आंच?

यूपी में अवैध खनन और चीनी मिल घोटालों की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कर रहे हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्रा से बातचीत की. उन्होंने कहा सीबीआई स्वायत्तशासी संस्था है, जिसके भी खिलाफ सबूत मिलेंगे उस पर कार्रवाई की जाएगी. किसी को भी बख्सा नहीं जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्रियों तक पहुंचेगी घोटालों के जांच की आंच! बिहार की तरह जेल जा पाएंगे बड़े चेहरे
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Published : Jul 15, 2019, 2:46 PM IST

लखनऊ: यूपी में अवैध खनन और चीनी मिल घोटाला की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कर रहे हैं. अवैध खनन में सीबाआई कई अफसरों पर शिकंजा भी कस चुकी है. वहीं अब सवाल यह उठता है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच पूर्व सीएम अखिलेश यादव और मायावती तक पहुंच पाएगी. क्योंकि यूपी में अभी तक पूर्व में हुए घोटालों के इतिहास में कोई भी पूर्व सीएम जेल की सलाखों तक नहीं पहुंच पाया है.

इसी को लेकर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक डॉ एसपी सिंह और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्रा से बातचीत की.

संवाददाता ने दी मामले की जानकारी.

जानिए क्या है पूरा मामला-

  • मायावती सरकार के दौरान बड़े पैमाने पर चीनी मिल घोटाला हुए है.
  • घोटाले में करीब 17 सौ करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई.
  • वहीं अखिलेश यादव की सरकार के दौरान कई जिलों में अवैध खनन करके हजारों रुपये का घोटाला किया गया.
  • केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां लगातार इन दोनों घोटालों की सक्रियता से जांच कर रही है.
  • सीबीआई ने अवैध घोटालों में लिप्त अफसरों पर शिकंजा कसना भी शुरू कर दिया है.
  • पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति से भी अवैध खनन मामले को लेकर सीबाआई जल्दी पूछताछ करने वाली है.
  • सीबाआई ने इसके लिए नोटिस भी जारी कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ एसपी सिंह ने कहा कि कोई भी फैसला होता है तो वह ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर ही नहीं सीमित रहता है. बकायदा कोई भी बड़ा फैसला होता है तो वह कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद होती है. ऐसे में सिर्फ ब्यूरोक्रेसी को ही जिम्मेदार मान लेना ठीक नहीं है. चीनी मिल की जो बिक्री हुई और उसमें करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हुई. उसका भी फैसला कैबिनेट से हुआ था और मुख्यमंत्री स्तर पर हुआ.

इसके बाद खनन को लेकर जो निर्णय हुआ और उसके बाद घोटाला सामने आया उसका भी फैसला ब्यूरोक्रेसी के अलावा कैबिनेट की मंजूरी के बाद हुआ. कुछ समय तक तो खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास था तो सिर्फ ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर घोटाला हो गया और किसी को कुछ पता नहीं तो यह बहुत ही हास्यास्पद है. निश्चित तौर पर जांच ढंग से होगी. इसकी आंच ऊपर तक भी पहुंचेगी और सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य के साथ जांच नहीं होनी चाहिए.

सीबीआई स्वायत्तशासी संस्था है. ऐसे में यह लोग अपनी जांच तथ्यों के आधार पर करते हैं, जिसके खिलाफ सबूत मिलेंगे उसके आधार पर कार्रवाई होगी. इसमें कोई बख्शा नहीं जाएगा. चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो.
-डॉ. मनोज मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

लखनऊ: यूपी में अवैध खनन और चीनी मिल घोटाला की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कर रहे हैं. अवैध खनन में सीबाआई कई अफसरों पर शिकंजा भी कस चुकी है. वहीं अब सवाल यह उठता है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच पूर्व सीएम अखिलेश यादव और मायावती तक पहुंच पाएगी. क्योंकि यूपी में अभी तक पूर्व में हुए घोटालों के इतिहास में कोई भी पूर्व सीएम जेल की सलाखों तक नहीं पहुंच पाया है.

इसी को लेकर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक डॉ एसपी सिंह और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्रा से बातचीत की.

संवाददाता ने दी मामले की जानकारी.

जानिए क्या है पूरा मामला-

  • मायावती सरकार के दौरान बड़े पैमाने पर चीनी मिल घोटाला हुए है.
  • घोटाले में करीब 17 सौ करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई.
  • वहीं अखिलेश यादव की सरकार के दौरान कई जिलों में अवैध खनन करके हजारों रुपये का घोटाला किया गया.
  • केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां लगातार इन दोनों घोटालों की सक्रियता से जांच कर रही है.
  • सीबीआई ने अवैध घोटालों में लिप्त अफसरों पर शिकंजा कसना भी शुरू कर दिया है.
  • पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति से भी अवैध खनन मामले को लेकर सीबाआई जल्दी पूछताछ करने वाली है.
  • सीबाआई ने इसके लिए नोटिस भी जारी कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ एसपी सिंह ने कहा कि कोई भी फैसला होता है तो वह ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर ही नहीं सीमित रहता है. बकायदा कोई भी बड़ा फैसला होता है तो वह कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद होती है. ऐसे में सिर्फ ब्यूरोक्रेसी को ही जिम्मेदार मान लेना ठीक नहीं है. चीनी मिल की जो बिक्री हुई और उसमें करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हुई. उसका भी फैसला कैबिनेट से हुआ था और मुख्यमंत्री स्तर पर हुआ.

इसके बाद खनन को लेकर जो निर्णय हुआ और उसके बाद घोटाला सामने आया उसका भी फैसला ब्यूरोक्रेसी के अलावा कैबिनेट की मंजूरी के बाद हुआ. कुछ समय तक तो खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास था तो सिर्फ ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर घोटाला हो गया और किसी को कुछ पता नहीं तो यह बहुत ही हास्यास्पद है. निश्चित तौर पर जांच ढंग से होगी. इसकी आंच ऊपर तक भी पहुंचेगी और सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य के साथ जांच नहीं होनी चाहिए.

सीबीआई स्वायत्तशासी संस्था है. ऐसे में यह लोग अपनी जांच तथ्यों के आधार पर करते हैं, जिसके खिलाफ सबूत मिलेंगे उसके आधार पर कार्रवाई होगी. इसमें कोई बख्शा नहीं जाएगा. चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो.
-डॉ. मनोज मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

Intro:एंकर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बात अवैध खनन की हो या फिर चीनी मिल घोटाला सवाल यह है कि क्या सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती तक पहुंच पाएगी सवाल इसलिए भी कि उत्तर प्रदेश में अभी तक पूर्व में हुए घोटालों में यूपी के इतिहास में कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री जेल की सलाखों तक नहीं पहुंच पाया। राजनीतिक उद्देश्य से की जाने वाली जांच की आंच आज वहां तक नहीं पहुंच पाती। पूर्व नौकरशाह राजनीतिक विश्लेषक डॉ एसपी सिंह ने भी ईटीवी से बातचीत में कहा कि अब तो इंतजार किस बात का है कि क्या जांच किया तक पहुंचेगी और पूर्व मुख्यमंत्री जेल तक पहुंचेंगे।



Body:वीओ
उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान बड़े पैमाने पर चीनी मिल घोटाला हुआ जिसमें करीब 17 सौ करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई इसके बाद उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार के दौरान कई जिलों में अवैध खनन करके हजारों रुपए का घोटाला किया गया केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां लगातार इन दोनों घोटालों की सक्रियता से जांच कर रही है
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति से भी पूछताछ जल्दी की जाने वाली है इसकी तरफ से नोटिस भी जारी की जा चुकी है वहीं सीबीआई की तरफ से लगातार कई बड़े अफसरों के खिलाफ छापेमारी की गई और उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या यह जांच सिर्फ ब्यूरोक्रेसी तक सीमित रहेगी या फिर ब्यूरोक्रेसी को निर्देश देने वाले तत्कालीन दोनों मुख्यमंत्रियों तक भी जांच की आंच पहुंच पाएगी और यह लोग भी जेल जाएंगे। सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि पड़ोसी राज्य बिहार में घोटाले की जद में आने पर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जेल भी पहुंचे यूपी में मायावती और अखिलेश यादव जेल तक जाएंगे या फिर बच निकलेंगे, यह सवाल सवाल बना हुआ है।
बाईट
डॉ एसपी सिंह, पूर्व नौकरशाह व राजनीतिक विश्लेषक
देखिए कोई भी फैसला होता है तो वह ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर ही नहीं सीमित रहता है। बकायदा कोई भी बड़ा नहीं फैसला होता है तो वह कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद होती है सिर्फ ब्यूरोक्रेसी तक सीमित नहीं रहता ऐसे में सिर्फ ब्यूरोक्रेसी को ही जिम्मेदार मान लेना ठीक नहीं है चीनी मिल की जो बिक्री हुई और उसमें करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई उसका भी फैसला कैबिनेट से हुआ था और मुख्यमंत्री स्तर पर हुआ इसके बाद खनन को लेकर जो निर्णय हुआ और उसके बाद घोटाला सामने आया उसका भी फैसला ब्यूरोक्रेसी के अलावा कैबिनेट की मंजूरी के बाद हुआ कुछ समय तक तो खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास था तो सिर्फ ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर घोटाला हो गया और किसी को कुछ पता नहीं तो यह बहुत ही हास्यास्पद है निश्चित तौर पर जांच ढंग से होगी इसकी आंच ऊपर तक भी पहुंचेगी और सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य के साथ जांच नहीं होनी चाहिए।



Conclusion:बाईट
डॉ मनोज मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा
जांच एजेंसियां स्वशासी संस्थाएं हैं सीबीआई भी स्वायत्तशासी संस्था है ऐसे में यह लोग अपनी जांच तथ्यों के आधार पर करते हैं जिसके खिलाफ भेजो सबूत मिलेगी उसके आधार पर कार्यवाही होगी इसमें कोई बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो।

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