लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी चर्चा में है. बरेली में हंगामा कर रहे कांवड़ियों पर लाठी चार्ज करवाने वाले एसएसपी प्रभाकर चौधरी को हटा दिया गया है. सरकार ने उन्हें बरेली से हटाकर 32वीं वाहिनी पीएसी लखनऊ भेज दिया है. ये पहली बार नहीं है जब वर्ष 2010 बैच के तेज तर्रार आईपीएस अफसर प्रभाकर चौधरी चर्चा में हैं. हालांकि पहले हुई चर्चा उनके ईमानदार कार्यप्रणाली को लेकर हुई है.
पिट्ठू बैग लाद कर बस से ज्वाइनिंग लेने पहुंचे थे प्रभाकर चौधरी : अक्टूबर 2016, प्रभाकर चौधरी को सरकार ने कानपुर देहात का पुलिस कप्तान बनाया था. प्रभाकर चौधरी उस वक्त लखनऊ में ही मौजूद थे. ऐसे में उन्होंने चारबाग बस स्टेशन से कानपुर देहात की रोड वेज बस पकड़ी और पहुंच गए कानपुर देहात. वहां से प्रभाकर चौधरी एक टेंपो में बैठे और सीधा पहुंचे एसपी बंगला. प्रभाकर चौधरी के पास उस समय सिर्फ एक पिट्ठू बैग था. वही पीठ पर लाद कर एसपी बंगले के अंदर सुरक्षा गार्ड की सहमति से घुसते हैं और एसपी ऑफिस में बैठे पुलिसकर्मी से सीयूजी सिम मांगते हैं. पुलिसकर्मी हड़क कर पूछता है, कौन हो तुम जो सिम मांग रहे हो. उन्होंने कहा कि मैं प्रभाकर चौधरी हूं, बस क्या था जिले में हड़कंप मच गया कि नए पुलिस कप्तान पहुंच चुके हैं.
बिना वर्दी में मेरठ घूमते रहे IPS प्रभाकर : पांच वर्ष बाद मुरादाबाद में एसएसपी के पद पर तैनात प्रभाकर को जून 2021 को मेरठ का एसएसपी बनाया गया, लेकिन प्रभाकर चौधरी ने दो दिनों तक ज्वाइनिंग ही नहीं ली. ऐसे में मेरठ की पुलिस बिना कप्तान के आराम मुद्रा में आ गई. शायद ही उन पुलिसकर्मियों को मालूम था कि मेरठ के थानों में कैसा काम होता है, वहां के चौराहों पर पुलिसकर्मियों की उपस्थिति कैसी है और पुलिस का लोगों के प्रति व्यवहार क्या है ये पता लगाने के लिए उनके नए एसएसपी दो दिन तक छुट्टी लेकर अपनी इनोवा से जिले का चप्पा चप्पा छान रहे हैं. ट्रांसफर होने के दो दिन बाद प्रभाकर ने ज्वाइनिंग की थी.
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