लखनऊ: राजधानी में संविधान दिवस पर आयोजित विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सदन में योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया. उन्होंने सदन में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार और जनसंख्या नियंत्रण कानून समाप्त करने पर विचार करने की बात कही. साथ ही उन्होंने संविधान में बाद में जोड़े गए पंथनिरपेक्ष शब्द को संशोधित कर हटाए जाने की मांग भी उठाई. उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण विषय है और इस पर संविधान दिवस के अवसर पर विस्तार से चर्चा आवश्यक है.
- मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि समान नागरिक संहिता के बारे में संविधान के अंदर लिखा हुआ है. संविधान में लिखा है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
- 1978 में आर्टिकल 44 के तहत एक संशोधन लाया गया. उसके अंदर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अधिकार दिया है कि आप परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बना सकते हैं.
- यह सदन राजनीति से ऊपर उठकर पहला राज्य होगा, जहां पर इस पर कानून बनाया जाएगा. मुझे लगता है कि यह सारे विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस पर विचार किया जा सकता है.
हिंदू कोई धर्म नहीं ,बल्कि एक पद्धति है
संविधान की मूल भावना है, जिसके अंदर समाजवादी पंथ निरपेक्ष की चर्चा नहीं की गई, जिसे संविधान में लिखा भी नहीं गया है. उसका मूल कारण यह था कि जो संविधान निर्माता हैं, उन्हें पता था कि भारत की संस्कृति के अंदर हम लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई भाई के तौर पर रहते हैं, लेकिन जो मूल इतिहास है, वह हिंदू है. हिंदू कोई धर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की पद्धति है और रहने का एक तरीका है.
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