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संविधान दिवस पर विशेष सत्र का आयोजन, मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने बताए तीन महत्वपूर्ण बिंदु

यूपी के लखनऊ में संविधान दिवस पर आयोजित विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सदन में योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सवाल उठाए.

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मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने दी जानकारी.
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Published : Nov 27, 2019, 1:51 AM IST

लखनऊ: राजधानी में संविधान दिवस पर आयोजित विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सदन में योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया. उन्होंने सदन में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार और जनसंख्या नियंत्रण कानून समाप्त करने पर विचार करने की बात कही. साथ ही उन्होंने संविधान में बाद में जोड़े गए पंथनिरपेक्ष शब्द को संशोधित कर हटाए जाने की मांग भी उठाई. उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण विषय है और इस पर संविधान दिवस के अवसर पर विस्तार से चर्चा आवश्यक है.

मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने दी जानकारी.
मंत्री ने दी जानकारी
  • मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि समान नागरिक संहिता के बारे में संविधान के अंदर लिखा हुआ है. संविधान में लिखा है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
  • 1978 में आर्टिकल 44 के तहत एक संशोधन लाया गया. उसके अंदर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अधिकार दिया है कि आप परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बना सकते हैं.
  • यह सदन राजनीति से ऊपर उठकर पहला राज्य होगा, जहां पर इस पर कानून बनाया जाएगा. मुझे लगता है कि यह सारे विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस पर विचार किया जा सकता है.


हिंदू कोई धर्म नहीं ,बल्कि एक पद्धति है

संविधान की मूल भावना है, जिसके अंदर समाजवादी पंथ निरपेक्ष की चर्चा नहीं की गई, जिसे संविधान में लिखा भी नहीं गया है. उसका मूल कारण यह था कि जो संविधान निर्माता हैं, उन्हें पता था कि भारत की संस्कृति के अंदर हम लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई भाई के तौर पर रहते हैं, लेकिन जो मूल इतिहास है, वह हिंदू है. हिंदू कोई धर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की पद्धति है और रहने का एक तरीका है.

इसे भी पढ़ें:- भूतपूर्व सैनिक ने रक्षामंत्री से की शिकायत, 20 साल से नहीं हुआ क्लर्क का ट्रांसफर

लखनऊ: राजधानी में संविधान दिवस पर आयोजित विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सदन में योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया. उन्होंने सदन में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार और जनसंख्या नियंत्रण कानून समाप्त करने पर विचार करने की बात कही. साथ ही उन्होंने संविधान में बाद में जोड़े गए पंथनिरपेक्ष शब्द को संशोधित कर हटाए जाने की मांग भी उठाई. उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण विषय है और इस पर संविधान दिवस के अवसर पर विस्तार से चर्चा आवश्यक है.

मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने दी जानकारी.
मंत्री ने दी जानकारी
  • मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि समान नागरिक संहिता के बारे में संविधान के अंदर लिखा हुआ है. संविधान में लिखा है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
  • 1978 में आर्टिकल 44 के तहत एक संशोधन लाया गया. उसके अंदर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अधिकार दिया है कि आप परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बना सकते हैं.
  • यह सदन राजनीति से ऊपर उठकर पहला राज्य होगा, जहां पर इस पर कानून बनाया जाएगा. मुझे लगता है कि यह सारे विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस पर विचार किया जा सकता है.


हिंदू कोई धर्म नहीं ,बल्कि एक पद्धति है

संविधान की मूल भावना है, जिसके अंदर समाजवादी पंथ निरपेक्ष की चर्चा नहीं की गई, जिसे संविधान में लिखा भी नहीं गया है. उसका मूल कारण यह था कि जो संविधान निर्माता हैं, उन्हें पता था कि भारत की संस्कृति के अंदर हम लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई भाई के तौर पर रहते हैं, लेकिन जो मूल इतिहास है, वह हिंदू है. हिंदू कोई धर्म नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की पद्धति है और रहने का एक तरीका है.

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Intro:लखनऊ: विधानसभा में योगी के मंत्री सिद्धार्थ ने समान नागरिक संहिता से लेकर जनसंख्या नियंत्रण जैसे कही ये तीन बातें

लखनऊ। संविधान दिवस पर आयोजित विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सदन में योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया। उन्होंने सदन में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार और जनसंख्या नियंत्रण कानून समाप्त करने पर विचार करने की बात कही। संविधान में बाद में जोड़े गए पंथनिरपेक्ष शब्द को संशोधित कर हटाए जाने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण विषय हैं और इस पर संविधान दिवस के अवसर पर विस्तार से चर्चा आवश्यक है।


Body:योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि आज संविधान दिवस पर आयोजित इस सत्र में अनेक सकारात्मक चर्चाएं हुईं। लेकिन हमने अन्य विषयों पर चर्चा करते हुए तीन महत्वपूर्ण विषयों को भी रखा। विभिन्न धाराओं का उल्लेख करते हुए हमने कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में संविधान के अंदर लिखा हुआ है। संविधान में लिखा है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

दूसरा फिर मैने कहा कि जब 1978 में आर्टिकल 44 के तहत एक संशोधन लाया गया। उसके अंदर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अधिकार दिया है कि आप परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बना सकते हो। तो क्या यह सदन राजनीति से ऊपर उठकर पहला राज्य होगा जहां पर इसपर कानून बनाया जाएगा। मुझे लगता है कि यह सारे विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसपर विचार किया जा सकता है।

संविधान की मूल भावना है जिसके अंदर समाजवादी पंथनिरपेक्ष की चर्चा नहीं की गई। जिसे लिखा भी नहीं गया। उसका मूल कारण यह था कि जो संविधान निर्माता हैं उन्हें पता था कि भारत की संस्कृति के अंदर हम लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई भाई के तौर पर रहते हैं। लेकिन मूल इतिहास है, वह हिंदू है। हिंदू कोई धर्म नहीं है। इसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट ने भी किया है। कोर्ट ने कहा है कि यह जीवन जीने की पद्धति है। रहने का एक तरीका है।

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट कह सकता है। संविधान निर्माता भी कहते हैं। डॉक्टर अंबेडकर स्वयं कहते हैं। तो 1976 में जो समाजवादी पंथनिरपेक्ष जोड़ा गया। यह सही नहीं है। संविधान की मूल आत्मा के विपरीत है। संविधान का जो मूल आत्मा है। इसके ऊपर भी हम लोगों को पुनर्विचार करना चाहिए।

दिलीप शुक्ला, 9450663213


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