लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति केपी सिंह के साथ सदस्य ओपी दीक्षित, डीजी विषेश जांच जीएल मीना और सचिव एके सिंह समेत कई अधिकारी मौजूद इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में रहे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए सदस्यों ने कहा कि प्रदेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के बढ़ते हुए मामलों के चलते पुलिस, जेल, स्वास्थ्य एवं राजस्व विभाग को मानवाधिकार के संरक्षण के लिए खास तौर पर निर्देश दिए गए हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने पिछले एक साल में 24,285 केस का फैसला किया है, लेकिन अभी भी नए और पुराने मामलों को मिलाकर 97,887 केस का फैसला होना बाकी है. उन्होंने कहा कि आयोग के सेवानिवृत्त चेयरमैन के समय से उनकी बेंच के 38,996 केस भी इसमें शामिल हैं. साथ ही नए और पुराने मामलों को मिलाकर 29,189 मामले विचाराधीन हैं. उन्होंने बताया कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देने एवं संरक्षण के लिए आयोग स्वतंत्र रूप से राज्य सरकार को निर्देश जारी कर सकता है. क्योंकि मानवाधिकार संरक्षण कानून 1993 के तहत प्रत्येक मानव को स्वतंत्रता, समानता और सम्मान के साथ जीवन जीने का पूरा अधिकार है.
मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित ने बताया कि मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए आयोग को न्यायालय की शक्तियां मिली हुई हैं. मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से किसी भी अधिकारी की मदद ली जा सकती है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के अतिक्रमण के संबंध में की गई शिकायतों की जांच के लिए संबंधित संस्था से रिपोर्ट भी मांगने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि आयोग पीड़ित व्यक्ति को तत्काल अंतरिम सहायता मंजूर करने के लिए सरकार से सिफारिश भी कर सकता है.
अवैध रूप से स्पीड ब्रेकर को को हटाने के निर्देश
मानवाधिकार आयोग के सदस्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई जगह अवैध रूप से स्पीड ब्रेकर बनाए गए थे. यह स्पीड ब्रेकर लोगों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से बनाए थे. इन्हें हटाने के निर्देश दिए गए थे. आयोग ने जनता से अपील करते हुए कहा है कि ऐसी समस्याओं के लिए वह आयोग को सूचित कर सकते हैं.