लखनऊ : आज कल कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर विवाद चरम पर है, लेकिन ऐसा विवाद पहली बार सामने आया हो यह भी नहीं है. पिछले दिनों ओलंपिक एसोसिएशन के महासचिव आनंदेश्वर पांडेय पर भी गंभीर आरोप लगे थे और सनसनीखेज फोटो भी वायरल हुए थे. वर्ष 2013 में भी ऐसा ही एक विवाद सामने आया था, जब टेनिस खिलाड़ियों ने सुविधाएं न देने का आरोप लगाते हुए दक्षिण कोरिया के खिलाफ डेविस कप का मैच खेलने से इनकार कर दिया था. यह मैच दिल्ली में होने वाला था. इसके बावजूद खेल संघों में विवाद न हों और ऐसी स्थिति से बचा जा सके इसके लिए ठोस उपाय नहीं किए गए. नतीजा सामने है. जब खिलाड़ी और संघ खेल को छोड़कर अन्य मसलों में सक्रिय हो जाते हैं, तो इसका सबसे ज्यादा फर्क खेल पर ही पड़ता है. निश्चित रूप से ताजा विवाद का असर भी खेलों पर पड़ेगा.
ताजा विवाद में दो विश्व चैंपियन स्तर के खिलाड़ी और तीन ओलंपिक पदक विजेता कुश्ती महासंघ संघ के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गए थे. इस दौरान खिलाड़ी विनेश फोगाट ने संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए. खिलाड़ियों ने कोच पर भी उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. खिलाड़ियों ने महासंघ के अध्यक्ष पर मनमानी करने और पर्याप्त सुविधाएं न देने के भी आरोप लगाए. इस संबंध में भारतीय ओलंपिक संघ ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सात सदस्यीय जांच टीम गठित की है. इसके बाद खिलाड़ियों ने धरना समाप्त कर दिया. कुछ माह पहले इसी तरह का एक और मामला सामने आया था, जब भारतीय ओलंपिक संघ की उत्तर प्रदेश शाखा के सचिव आनंदेश्वर पांडे पर यौन शोषण का आरोप लगा. इससे पहले उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें भी वायरल हुई थीं. यही नहीं उन पर रेप के भी आरोप हैं. अब बृजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोपों के मामले में आनंदेश्वर पांडे ने उनका बचाव किया है. उन्होंने कहा कि यदि बृजभूषण पर लगे आरोप सही पाए गए तो वह खेल जगत से संन्यास ले लेंगे.
सरकार को ऐसी घटनाओं से सबक लेकर खेल संघों में सुधार करना चाहिए और दागी छवि के पदाधिकारियों को बाहर करने का रास्ता निकालना चाहिए. यही नहीं नेताओं के स्थान पर पूर्व खिलाड़ियों को खेल संघों के नेतृत्व का जिम्मा दिया जाना चाहिए. इस तरह की जिम्मेदारी देने से पहले पदाधिकारियों के आचरण और अतीत की जांच भी करानी चाहिए. यदि खिलाड़ी खेल संघों में पदाधिकारी बनेंगे तो वह खिलाड़ियों की समस्याओं और जरूरतों को अच्छी तरह समझ कर उनका निदान करने में भी सक्षम होंगे. कई विवादों के बावजूद इस विषय में सुधारों को लेकर गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं. स्वभावता है ऐसी स्थिति में खेलों से ज्यादा विवादों को हवा मिलेगी.
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर दुबे कहते हैं कि अभी बृजभूशण शरण सिंह पर आरोप लगे हैं. इससे पहले आनंदेश्वर पांडेय पर आरोप लगे हैं. यदि बृजभूशण शरण सिंह की बात करें, तो वह लगातार चर्चा में रहे हैं. उन्होंने कई बार विवादित बयान भी दिए हैं, जिसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा सकते हैं. इसमें जो भी जरूरी होगा सरकार वह कार्रवाई करेगी ही. हालांकि कहीं न कहीं ऐसे मामलों को राजनीतिक रंग भी दिया जाता है. इस मामले में यह स्पष्ट दिख रहा है.' उमाशंकर दुबे कहते हैं कि सरकार को इस तरह की चीजों को स्वीकार नहीं करना चाहिए. गंभीरता से कार्रवाई भी होनी चाहिए, चाहे जो भी हो. इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच जरूर होनी चाहिए.