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Spoofing Case : कानपुर ही नहीं लखनऊ के दारोगा को भी DGP बताकर जालसाज ने की थी कॉल

बीते दिनों यूपी के डीजीपी के सीयूजी नंबर की स्पूफिंग का मामला (Spoofing Case) सामने आया था. जालसाज ने सीयूजी नंबर की स्पूफिंग करके कई पुलिस अधिकारियों को धमकाया था.

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Published : Mar 6, 2023, 8:37 PM IST

जानकारी देते साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे

लखनऊ : डीजीपी के नंबर की स्पूफिंग कर कानपुर के दो थानों में कॉल करने का मामला कोई पहली बार नहीं था, इससे पहले राजधानी के एक थाने में तैनात दारोगा को भी ऐसे ही डीजीपी के सीयूजी नंबर की स्पूफिंग कर कॉल की गई थी. तत्काल मुकदमा दर्ज कर साइबर की टीम इसकी जांच में जुट गई थी, हालांकि अब तक उस जालसाज को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. ऐसे में इस बार कानपुर मामले को गंभीरता से लेकर साइबर टीम और हजरतगंज पुलिस जालसाज की तलाश में जुटी हुई है.

सूत्रों के मुताबिक, बीते साल नवंबर माह में लखनऊ के विभूतिखंड थाने में तैनात एक सब इंस्पेक्टर को यूपी डीजीपी के सीयूजी नंबर से कॉल आई थी. बातचीत के दौरान सब इंस्पेक्टर को समझ में आ गया कि यह कॉल साइबर जालसाज ने की है. ऐसे में उन्होंने तत्काल गोमतीनगर स्थित साइबर क्राइम थाने में शिकायत दी थी. मिली जानकारी के मुताबिक, स्पूफिंग के इस मामले में कई दिनों तक साइबर टीम जालसाज की पहचान करने में जुटी रही, लेकिन विदेशी सर्वर से की गई इस इंटरनेट कॉल की डिटेल न मिल पाने की वजह से साइबर टीम को सफलता नहीं मिल सकी थी.



CM के नाम से स्पूफिंग कर IAS अधिकारियों को की गई थी कॉल : ऐसा नहीं है कि स्पूफिंग कॉल कर जालसाजी करने का ये कोई नया तरीका है, इससे पहले भी साइबर अपराधियों ने स्पूफिंग कॉल का बड़े अधिकारियों को ठगने के लिए इस्तेमाल किया था. साल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निजी सचिव के नंबर से राज्य के कई जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को कॉल गई थी. कॉल करने वाले ने इन सभी अधिकारियों से कुछ काम करने के लिए कहा, जिस पर एक दो अधिकारियों ने बताए गए काम कर भी दिए. इसी दौरान एक आईएएस अधिकारी को कॉल करने वाले पर शक हुआ तो उसने सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री से इस बात की शिकायत की और जब जांच हुई तो सामने आया कि ये कॉल स्पूफिंग कॉल थी, जो निजी सचिव के नंबर का इस्तेमाल कर को गई थी. हालांकि साइबर की तीन टीमें दो महीने की मेहनत के बाद भी कॉल करने वाले ठग की तलाश नहीं कर सकी थीं.


दरअसल, ताजा मामला कानपुर जिले से जुड़ा था, जहां बीते 19 व 24 फरवरी को दो थाने बाबू पुरवा और सजेती थाने के इंस्पेक्टर को डीजीपी के नंबर से कॉल गई थी. इस दौरान थानेदारों से अवैध कार्य करने, गली गलौज और जेल भेजने की कॉल करने वाले ने धमकी भी दी. मामला अलाधिकारियों के संज्ञान में आते ही तत्काल गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस व साइबर टीम जांच में जुट गई है. हजरतगंज थाना प्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा के मुताबिक, 'केस की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी कर रहे है. यही नहीं साइबर सेल की भी टीम स्पूफिंग करने वाले जालसाज को ट्रेस करने में जुटी है. जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.'


जालसाज का पता लगना है मुश्किल : इस मामले में जांच कर रहे साइबर सेल के एक अधिकारी ने बताया कि 'हालांकि हमारी टीम इस केस पर काम जरूर कर रही है, लेकिन इस तरह की कॉल डिटेल मिलना बहुत ही मुस्किल होती है. उनके मुताबिक, वे कॉल भले ही कानपुर से ही की गई हो, लेकिन यह कॉल वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) के द्वारा की जाती है. इसमें भारत का नहीं बल्कि अन्य किसी देश जैसे चीन या फिर ऐसे देश जहां से सर्वर डिटेल निकलवाना टेढ़ी खीर होती है उसका इस्तेमाल करते हैं. अधिकारी कहते हैं कि साइबर अपराधियों के नए अस्त्र कॉलिंग स्पूफ को ध्वस्त करना बेहद मुश्किल है. ऐसे फोन कॉल्स के ऑर्गेनाइजेशन का पता लगाना बेहद मुश्किल है. इंटरनेट पर कई वेबसाइट ऐसी हैं जो चंद पैसों के लिए स्पूफ कॉल की सुविधा देती हैं, उन्हें बैन करने की जरूरत है. ऐसे में बहुत मुश्किल होगा कि इस मामले में भी डिटेल मिल जाए.'


क्या होती है स्पूफिंग? : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि 'स्पूफ कॉल उन्हें कहा जाता है जिसमें जालसाज जिसे कॉल करता है उस फोन स्क्रीन में जो नंबर दिखता है, उसे अपराधी तय करता है. कोई भी अपराधी किसी को किसी भी रिश्तेदार, दोस्त या ऑफिस बॉस के नंबर से कॉल कर सकता है. वह भी तब जब अपराधी के पास वो मोबाइल नंबर हो भी ना. यह खतरनाक इसलिए भी है क्योंकि अपराधी आपके नंबर से कॉल करके किसी व्यक्ति को भी ठग सकते हैं. पीड़ित और पुलिस को लगेगा कि फोन आपने किया है. स्पूफ कॉलिंग के लिए ऐसे कई ऐप आते हैं, जिसके जरिए स्पूफ किया जा सकता है. इसमें होता ये है कि उस ऐप में आप जिसका मोबाइल नंबर और नाम डालेंगे वही नाम और नंबर कॉल रिसीव करने वाले को दिखेगा.'



कैसे ठगी होने करें बचाव? : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि 'आपका कोई अपना भी अगर आपको कॉल करे और पैसे मांगे और अगर आपको आवाज अलग लगे तो काल काट कर उसके नंबर पर दोबारा कॉल कर वेरिफाई करें. क्योंकि स्पूफिंग कर जालसाज कॉल कर तो सकता है, लेकिन रिसीव नहीं कर सकेगा. उनके मुताबिक, साइबर फ्रॉड होने पर आप गृह मंत्रालय के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. 1930 पर कॉल करके आप अपनी मुश्किलें बता सकते हैं.'

यह भी पढ़ें : UP Politics : आजम खान के बाद बेटे की सीट पर चुनाव लड़ सकती है यह मशहूर अभिनेत्री

जानकारी देते साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे

लखनऊ : डीजीपी के नंबर की स्पूफिंग कर कानपुर के दो थानों में कॉल करने का मामला कोई पहली बार नहीं था, इससे पहले राजधानी के एक थाने में तैनात दारोगा को भी ऐसे ही डीजीपी के सीयूजी नंबर की स्पूफिंग कर कॉल की गई थी. तत्काल मुकदमा दर्ज कर साइबर की टीम इसकी जांच में जुट गई थी, हालांकि अब तक उस जालसाज को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. ऐसे में इस बार कानपुर मामले को गंभीरता से लेकर साइबर टीम और हजरतगंज पुलिस जालसाज की तलाश में जुटी हुई है.

सूत्रों के मुताबिक, बीते साल नवंबर माह में लखनऊ के विभूतिखंड थाने में तैनात एक सब इंस्पेक्टर को यूपी डीजीपी के सीयूजी नंबर से कॉल आई थी. बातचीत के दौरान सब इंस्पेक्टर को समझ में आ गया कि यह कॉल साइबर जालसाज ने की है. ऐसे में उन्होंने तत्काल गोमतीनगर स्थित साइबर क्राइम थाने में शिकायत दी थी. मिली जानकारी के मुताबिक, स्पूफिंग के इस मामले में कई दिनों तक साइबर टीम जालसाज की पहचान करने में जुटी रही, लेकिन विदेशी सर्वर से की गई इस इंटरनेट कॉल की डिटेल न मिल पाने की वजह से साइबर टीम को सफलता नहीं मिल सकी थी.



CM के नाम से स्पूफिंग कर IAS अधिकारियों को की गई थी कॉल : ऐसा नहीं है कि स्पूफिंग कॉल कर जालसाजी करने का ये कोई नया तरीका है, इससे पहले भी साइबर अपराधियों ने स्पूफिंग कॉल का बड़े अधिकारियों को ठगने के लिए इस्तेमाल किया था. साल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निजी सचिव के नंबर से राज्य के कई जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को कॉल गई थी. कॉल करने वाले ने इन सभी अधिकारियों से कुछ काम करने के लिए कहा, जिस पर एक दो अधिकारियों ने बताए गए काम कर भी दिए. इसी दौरान एक आईएएस अधिकारी को कॉल करने वाले पर शक हुआ तो उसने सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री से इस बात की शिकायत की और जब जांच हुई तो सामने आया कि ये कॉल स्पूफिंग कॉल थी, जो निजी सचिव के नंबर का इस्तेमाल कर को गई थी. हालांकि साइबर की तीन टीमें दो महीने की मेहनत के बाद भी कॉल करने वाले ठग की तलाश नहीं कर सकी थीं.


दरअसल, ताजा मामला कानपुर जिले से जुड़ा था, जहां बीते 19 व 24 फरवरी को दो थाने बाबू पुरवा और सजेती थाने के इंस्पेक्टर को डीजीपी के नंबर से कॉल गई थी. इस दौरान थानेदारों से अवैध कार्य करने, गली गलौज और जेल भेजने की कॉल करने वाले ने धमकी भी दी. मामला अलाधिकारियों के संज्ञान में आते ही तत्काल गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस व साइबर टीम जांच में जुट गई है. हजरतगंज थाना प्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा के मुताबिक, 'केस की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी कर रहे है. यही नहीं साइबर सेल की भी टीम स्पूफिंग करने वाले जालसाज को ट्रेस करने में जुटी है. जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.'


जालसाज का पता लगना है मुश्किल : इस मामले में जांच कर रहे साइबर सेल के एक अधिकारी ने बताया कि 'हालांकि हमारी टीम इस केस पर काम जरूर कर रही है, लेकिन इस तरह की कॉल डिटेल मिलना बहुत ही मुस्किल होती है. उनके मुताबिक, वे कॉल भले ही कानपुर से ही की गई हो, लेकिन यह कॉल वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) के द्वारा की जाती है. इसमें भारत का नहीं बल्कि अन्य किसी देश जैसे चीन या फिर ऐसे देश जहां से सर्वर डिटेल निकलवाना टेढ़ी खीर होती है उसका इस्तेमाल करते हैं. अधिकारी कहते हैं कि साइबर अपराधियों के नए अस्त्र कॉलिंग स्पूफ को ध्वस्त करना बेहद मुश्किल है. ऐसे फोन कॉल्स के ऑर्गेनाइजेशन का पता लगाना बेहद मुश्किल है. इंटरनेट पर कई वेबसाइट ऐसी हैं जो चंद पैसों के लिए स्पूफ कॉल की सुविधा देती हैं, उन्हें बैन करने की जरूरत है. ऐसे में बहुत मुश्किल होगा कि इस मामले में भी डिटेल मिल जाए.'


क्या होती है स्पूफिंग? : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि 'स्पूफ कॉल उन्हें कहा जाता है जिसमें जालसाज जिसे कॉल करता है उस फोन स्क्रीन में जो नंबर दिखता है, उसे अपराधी तय करता है. कोई भी अपराधी किसी को किसी भी रिश्तेदार, दोस्त या ऑफिस बॉस के नंबर से कॉल कर सकता है. वह भी तब जब अपराधी के पास वो मोबाइल नंबर हो भी ना. यह खतरनाक इसलिए भी है क्योंकि अपराधी आपके नंबर से कॉल करके किसी व्यक्ति को भी ठग सकते हैं. पीड़ित और पुलिस को लगेगा कि फोन आपने किया है. स्पूफ कॉलिंग के लिए ऐसे कई ऐप आते हैं, जिसके जरिए स्पूफ किया जा सकता है. इसमें होता ये है कि उस ऐप में आप जिसका मोबाइल नंबर और नाम डालेंगे वही नाम और नंबर कॉल रिसीव करने वाले को दिखेगा.'



कैसे ठगी होने करें बचाव? : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि 'आपका कोई अपना भी अगर आपको कॉल करे और पैसे मांगे और अगर आपको आवाज अलग लगे तो काल काट कर उसके नंबर पर दोबारा कॉल कर वेरिफाई करें. क्योंकि स्पूफिंग कर जालसाज कॉल कर तो सकता है, लेकिन रिसीव नहीं कर सकेगा. उनके मुताबिक, साइबर फ्रॉड होने पर आप गृह मंत्रालय के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. 1930 पर कॉल करके आप अपनी मुश्किलें बता सकते हैं.'

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