लखनऊ: हम राही नहीं राहों के अन्वेषी हैं. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की यह एक पंक्ति उनके पूरे व्यक्तित्व और जीवन दर्शन से परिचय कराती है. ETV Bharat से खास बातचीत में लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल पाण्डेय कहते हैं कि अज्ञेय का पूरा जीवन इन्हीं पंक्तियों के इर्दगिर्द है. चाहें साहित्य की रचना हो, स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर जीवन संघर्ष. अज्ञेय कभी भी पुरानी राहों पर चलने के बजाए अपनी राह खुद तैयार की. इसी का नतीजा है कि आज भी उनकी रचनाओं को सिविल सेवा परीक्षा से लेकर विश्वविद्यालयों तक में हिंदी साहित्य को विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय हैं.
अज्ञेय पुण्यतिथि विशेष: 'हम राही नहीं राहों के अन्वेषी हैं' - सम्पादक और अध्यापक
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय का हिन्दी साहित्य में एक अमिट पहचान है. कवि, शैलीकार, कथाकार, निबंधकार, सम्पादक और अध्यापक जैसी कई विधाओं में पारंगत. आज चार अप्रैल को अज्ञेय की पुण्यतिथि है. युवा पीढ़ी को इस शख्सियत से रूबरू कराने के लिए ETV Bharat ने लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल पाण्डेय से खास बातचीत की. पेश है विशेष रिपोर्ट.
लखनऊ: हम राही नहीं राहों के अन्वेषी हैं. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की यह एक पंक्ति उनके पूरे व्यक्तित्व और जीवन दर्शन से परिचय कराती है. ETV Bharat से खास बातचीत में लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल पाण्डेय कहते हैं कि अज्ञेय का पूरा जीवन इन्हीं पंक्तियों के इर्दगिर्द है. चाहें साहित्य की रचना हो, स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर जीवन संघर्ष. अज्ञेय कभी भी पुरानी राहों पर चलने के बजाए अपनी राह खुद तैयार की. इसी का नतीजा है कि आज भी उनकी रचनाओं को सिविल सेवा परीक्षा से लेकर विश्वविद्यालयों तक में हिंदी साहित्य को विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय हैं.