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लखनऊ की नवाबी तो सुनी होगी, अब जानिए यहां के चौराहों की 'रईसी'

यूपी की राजधानी लखनऊ को तो नवाबों का शहर कहा जाता है. इस शहर की खूबसूरती को कुछ प्रसिद्ध चौराहे चार चांद लगा रहे हैं. इन चौराहों के बारे में इतिहासकार योगेश प्रवीण ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

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लखनऊ स्थित इमामबड़ा.
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Published : Dec 10, 2019, 10:27 AM IST

लखनऊः नवाबों के शहर और प्रदेश की राजधानी लखनऊ ऐतिहासिक इमारतों के लिए जितनी मशहूर है उतने ही यहां के चौराहे भी खास हैं. ऐतिहासिक चौराहों की बात करें तो इनमें सबसे प्रसिद्ध चौक चौराहा है. नवाबों के नाम या उनके वजीर के नाम से बसाए गए इन चौराहों में भी कई अभी भी अपनी पहचान राजधानी में ही नहीं बल्कि विश्वस्तर पर बनाए हुए हैं. कुछ चौराहों की बनावट अनूठी है.

चौराहों के बारे में जानकारी देते इतिहासकार.
प्रसिद्ध कुछ चौराहों पर एक नजर
1. चौक चौराहा
नवाबी काल की बात हो और चौक का नाम न लिया जाए तो बेमानी होगा. चौक चौराहा लखनऊ की शान है. इस चौराहे के विषय पर इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि 5 हजार से अधिक बड़ी दुकानों वाले इस इलाके में रौनक देखते ही बनती है. 5 सड़कों वाले इस खूबसूरत चौराहे का संबंध पूर्व प्रधानमंत्री और लखनऊ के सांसद स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी से रहा है.
2.कैसरबाग चौराहा
चौराहों की बात हो तो उसमें कैसरबाग चौराहे का नाम लेना तो बनता है. यह चौराहा लखनऊ के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने अपने कार्यकाल 1847 से 1856 के बीच कराया था. इस चौराहे पर 6 सड़कें आकर मिलती हैं.

3.कोनेश्वर चौराहा
चौक इलाके का यह चौराहा शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. मुस्लिम समुदाय क्षेत्र होने के बावजूद भी यह चौराहा गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण है.

4.अटल चौराहा (हजरतगंज चौराहा)
लखनऊ का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज चौराहे को अब अटल चौक के नाम से जाना जाता है. इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने 1827 ई. में चाइना बाजार और कप्तान बाजार को मिलाकर हजरतगंज की स्थापना की थी. इस चौराहे की खासियत यह है कि यहां से 6 सड़कें निकलती हैं.

5.छन्नीलाल चौराहा
योगेश प्रवीण बताते हैं कि महानगर के छन्नीलाल के नाम से मशहूर 'छन्नीलाल चाय की दुकान' अभी भी मौजूद है. इस चौराहे के बारे में यह प्रसिद्ध है कि महानगर में जब नंबर के हिसाब से मकान की तलाश मुश्किल हो जाती थी. तब पता पूछने के लिए लोग छन्नीलाल के पास आते थे. दशकों के बाद भी इस चौराहे को इसी नाम से जाना जाता है. नवाबी काल से शहर के चौराहों की पहचान रही है. नवाबों के शहर में काफी बदलाव हुए उन्हीं में चौराहें भी शामिल हैं. गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल बन रहे यह चौराहे नई इबारत लिख रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊः गुलदाउदी-कोलियस के फूलों की प्रदर्शनी को देखने के लिए दर्शकों का तांता लगा

लखनऊः नवाबों के शहर और प्रदेश की राजधानी लखनऊ ऐतिहासिक इमारतों के लिए जितनी मशहूर है उतने ही यहां के चौराहे भी खास हैं. ऐतिहासिक चौराहों की बात करें तो इनमें सबसे प्रसिद्ध चौक चौराहा है. नवाबों के नाम या उनके वजीर के नाम से बसाए गए इन चौराहों में भी कई अभी भी अपनी पहचान राजधानी में ही नहीं बल्कि विश्वस्तर पर बनाए हुए हैं. कुछ चौराहों की बनावट अनूठी है.

चौराहों के बारे में जानकारी देते इतिहासकार.
प्रसिद्ध कुछ चौराहों पर एक नजर
1. चौक चौराहा
नवाबी काल की बात हो और चौक का नाम न लिया जाए तो बेमानी होगा. चौक चौराहा लखनऊ की शान है. इस चौराहे के विषय पर इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि 5 हजार से अधिक बड़ी दुकानों वाले इस इलाके में रौनक देखते ही बनती है. 5 सड़कों वाले इस खूबसूरत चौराहे का संबंध पूर्व प्रधानमंत्री और लखनऊ के सांसद स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी से रहा है.
2.कैसरबाग चौराहा
चौराहों की बात हो तो उसमें कैसरबाग चौराहे का नाम लेना तो बनता है. यह चौराहा लखनऊ के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने अपने कार्यकाल 1847 से 1856 के बीच कराया था. इस चौराहे पर 6 सड़कें आकर मिलती हैं.

3.कोनेश्वर चौराहा
चौक इलाके का यह चौराहा शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. मुस्लिम समुदाय क्षेत्र होने के बावजूद भी यह चौराहा गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण है.

4.अटल चौराहा (हजरतगंज चौराहा)
लखनऊ का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज चौराहे को अब अटल चौक के नाम से जाना जाता है. इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने 1827 ई. में चाइना बाजार और कप्तान बाजार को मिलाकर हजरतगंज की स्थापना की थी. इस चौराहे की खासियत यह है कि यहां से 6 सड़कें निकलती हैं.

5.छन्नीलाल चौराहा
योगेश प्रवीण बताते हैं कि महानगर के छन्नीलाल के नाम से मशहूर 'छन्नीलाल चाय की दुकान' अभी भी मौजूद है. इस चौराहे के बारे में यह प्रसिद्ध है कि महानगर में जब नंबर के हिसाब से मकान की तलाश मुश्किल हो जाती थी. तब पता पूछने के लिए लोग छन्नीलाल के पास आते थे. दशकों के बाद भी इस चौराहे को इसी नाम से जाना जाता है. नवाबी काल से शहर के चौराहों की पहचान रही है. नवाबों के शहर में काफी बदलाव हुए उन्हीं में चौराहें भी शामिल हैं. गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल बन रहे यह चौराहे नई इबारत लिख रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊः गुलदाउदी-कोलियस के फूलों की प्रदर्शनी को देखने के लिए दर्शकों का तांता लगा

Intro:special story on लखनऊ के मशहूर चौराहे

लखनऊ। नवाबों के शहर और प्रदेश की राजधानी लखनऊ ऐतिहासिक इमारतों के लिए जितनी मशहूर है उतने ही यहां के चौराहे भी खास हैं।

ऐतिहासिक चौराहे की बात करें तो इनमें सबसे प्रसिद्ध चौक चौराहा है। इन्हीं प्रसिद्ध चौराहों पर देखिए ईटीवी भारत की यह स्पेशल स्टोरी।


Body:विश्वस्तर पर बना रहे अपनी पहचान

नवाबों के नाम या उनके वज़ीर के नाम से बसाए गए चौराहों में भी कई अभी भी अपनी पहचान राजधानी में ही नही बल्कि विश्वस्तर पर बनाये हुए हैं।

आइये डालते हैं ऐसे ही कुछ चौराहों पर एक नज़र

सबसे प्रसिद्ध चौक चौराहा

नवाबी काल की बात हो और चौक का नाम न लिया जाए तो बेमानी होगी। चौक चौराहा लखनऊ की शान है। इस मामले पर इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि 5 हज़ार से अधिक बड़ी दुकानों वाले इस इलाके में रौनक देखते ही बनती है। 5 सड़कों वाले इस खूबसूरत चौराहे का संबंध पूर्व प्रधानमंत्री और लखनऊ के सांसद स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी से गहरा है।

कैसरबाग़ चौराहा भी कम प्रसिद्ध नहीं

चौराहों की बात हो तो उसमें कैसरबाग चौराहे का नाम लेना बनता है। योगेश प्रवीण ने बताया कि अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने अपने कार्यकाल 1847 से 1856 के बीच कराया था। इस चौराहे पर 6 सड़कें आकर मिलती हैं।

कोनेश्वर चौराहा

चौक इलाके का यह चौराहा कोने में पड़ने वाले शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुस्लिम समुदाय क्षेत्र होने के बावजूद भी यह चौराहा गंगा-जमुनी तहज़ीब का उदाहरण है।

अटल चौराहा भी लगा रहा चार चांद

लखनऊ का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज चौराहे को अब अटल चौक के नाम से जाना जाता है। इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि नवाब नसीरुद्दीन हैडर ने 1827 में चाइना बाज़ार और कप्तान बाज़ार को मिलाकर हज़रतगंज की स्थापना की थी। इस चौराहे की खासियत यह है कि यहां से 6 सड़कें निकलती हैं।

इन चौराहों पर भी डालिये एक नज़र

छन्नीलाल चौराहा

योगेश प्रवीण बताते हैं कि महानगर के छन्नीलाल के नाम से मशहूर छन्नीलाल की चाय की दुकान अभी भी मौजूद है। इस चौराहे के बारे में यह प्रसिद्ध है कि महानगर में जब नंबर के हिसाब से मकान की तलाश मुश्किल हो जाती थी तब पता पूछने के लिए लोग छन्नीलाल के पास आते थे। दशकों के बाद भी इस चौराहे को इसी नाम से जाना जाता है।

इतिहासकार योगेश प्रवीण का बयान

नवाबी काल से शहर के चौराहे की पहचान रही है। नवाबों के शहर में काफी बदलाव हुए उन्हीं में चौराहे भी शामिल हैं। गंगा-जमुनी तस्वीर के मिसाल बन रहे यह चौराहे नई इबारत लिख रहे हैं।




Conclusion:कुछ चौराहे नवाबों के शहर लखनऊ में चार चांद लगा रहे हैं। इन चौराहों की बनावट अपने आप में अनूठी है।

अनुराग मिश्र

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