नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और जाने-माने अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का शुक्रवार को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया. पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद जयराम रमेश ने भी बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक जताया किया.
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "डॉ बिबेक देबरॉय एक महान विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे. अपने कार्यों के माध्यम से उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी. सार्वजनिक नीति में अपने योगदान से परे, उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करना और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाना पसंद था."
Dr. Bibek Debroy Ji was a towering scholar, well-versed in diverse domains like economics, history, culture, politics, spirituality and more. Through his works, he left an indelible mark on India’s intellectual landscape. Beyond his contributions to public policy, he enjoyed… pic.twitter.com/E3DETgajLr
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2024
जयराम रमेश ने जताया शोक
वहीं, जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बिबेक देबरॉय सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण एक बेहतरीन सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर काम किया और लिखा. उनके पास स्पष्ट व्याख्या करने की एक खास स्किल भी थी, जिससे आम लोग जटिल आर्थिक मुद्दों को आसानी से समझ सकें.
पिछले कुछ साल में उनके पास कई संस्थागत जुड़ाव रहे हैं और उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है. बिबेक एक बहुत ही विपुल और हमेशा विचारोत्तेजक, अर्थशास्त्र से परे सार्वजनिक मुद्दों पर मीडिया में टिप्पणीकार थे "
देबरॉय को आर्थिक नीति और रिसर्च में अपने व्यापक योगदान के लिए सम्मानित किया गया. उन्होंने वित्त मंत्रालय की 'अमृत काल के लिए बुनियादी ढांचे के वर्गीकरण और वित्तपोषण ढांचे के लिए विशेषज्ञ समिति' की भी अध्यक्षता की, जो अगले 25 वर्षों में भारत की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने की पहल है.
A man of unusually wide-ranging interests, Bibek Debroy was first and foremost a fine theoretical and empirical economist who worked and wrote on various aspects of the Indian economy. He also had a special skill for lucid exposition, in a manner that would make laypersons easily…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 1, 2024
शिलांग में एक बंगाली परिवार में हुआ था जन्म
25 जनवरी को शिलांग में एक बंगाली परिवार में जन्मे देबरॉय की शिक्षा यात्रा नरेंद्रपुर के रामकृष्ण मिशन स्कूल से शुरू हुई. इसके बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ट्रिनिटी कॉलेज और कैम्ब्रिज से पढ़ाई की.
उन्होंने अपने चिंग करियर में कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज, पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में कार्य किया. 1993 से 1998 तक, उन्होंने कानूनी सुधारों पर वित्त मंत्रालय और यूएनडीपी परियोजना के निदेशक के रूप में कार्य किया और 1994-95 में, उन्होंने आर्थिक मामलों के विभाग के साथ काम किया.
कानूनी सुधार और रेलवे नीति शामिल रहे
अपने करियर के दौरान, देबरॉय ने अर्थशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें खेल सिद्धांत, आय असमानता, गरीबी, कानूनी सुधार और रेलवे नीति शामिल हैं. वह भारतीय ग्रंथों और संस्कृति के एक प्रसिद्ध विद्वान भी थे, महाभारत के उनके दस-खंड अनुवाद को इसकी स्पष्टता और सुगमता के लिए सराहा गया. देबरॉय एक विचार नेता के रूप में विरासत छोड़ गए हैं जिन्होंने भारत के बौद्धिक और आर्थिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया.