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पण्डित रविशंकर पर छापा 'छायानट' का विशेषांक - उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी

'भारत रत्न' पंडित रविशंकर की जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की सांस्कृतिक पत्रिका 'छायानट' ने उन पर विशेषांक निकाला है. इस विशेषांक में गुरु सुमिरन, अनुभूति, आंकलन, संस्मरण, नवोन्वेषण, काव्याभिव्यक्ति, साक्षात्कार और आत्मकथ्य जैसे खण्ड समाहित किए गए हैं.

Special issue of Chhayanat printed on Pandit Ravi Shankar
छायानट का विशेषांक प्रकाशित.
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Published : Apr 7, 2021, 7:19 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की सांस्कृतिक पत्रिका 'छायानट' का 163वां अंक भारत रत्न विख्यात सितार वादक पण्डित रविशंकर को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित किया गया. जानकारी हो कि सात अप्रैल यानि आज पं. रविशंकर की 101वीं जयंती भी है.

राजवीर रतन ने किया सम्पादन
'छायानट' के इस विशेषांक में गुरु सुमिरन, अनुभूति, आंकलन, संस्मरण, नवोन्वेषण, काव्याभिव्यक्ति, साक्षात्कार, अतीत से और आत्मकथ्य जैसे खण्ड समाहित किए गए हैं. कला समीक्षक राजवीर रतन के संपादन में प्रकाशित विशेषांक के इन खण्डों में पण्डितजी की पत्नी सुकन्या शंकर, उनके भांजे नबारुन चटर्जी, प्रमुख शिष्यों में विश्वमोहन भट्ट, शुभेन्द्र राव, प्रो. कृष्णा चक्रवर्ती, मंजू मेहता व सतीश चन्द्र के उनके साथ बिताए अनुभव शामिल हैं.

इन वरिष्ठ कलाकारों के विचार हैं शामिल
इसके अलावा प्रमुख कलाकारों में पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. बिरजू महाराज, मालिनी अवस्थी, संगीत विद्वानों में दिल्ली के डॉ. मुकेश गर्ग, पं. विजय शंकर मिश्र, मंजरी सिन्हा व डॉ. राज्यश्री बनर्जी, वाराणसी के ऋत्विक सान्याल, राजेश कुमार शाह, राजेश्वर आचार्य, गौतम चटर्जी, रविन्द्रनारायण गोस्वामी, मुम्बई के आचार्य अनुपम राय, देवाशीष डे, जयपुर के राजेश कुमार व्यास, रश्मि चौधरी, अभिजीत राय चौधरी, हरि किशोर पाण्डे, अंशुमान पाण्डे इत्यादि के मौलिक लेख व अभिव्यक्तियां शामिल की गई हैं.

पत्रिका में इनका भी मिला सहयोग
अंक में रेजी राॅस, शबाहत हुसैन विजेता, धीरज, राकेश सिन्हा, मुमताज आलम आदि का सहयोग रहा है. इसके अलावा पं. रविशंकर की आत्मकथात्मक पुस्तक 'रविशंकर रागमाला' के अंशों के साथ पं. मदनलाल व्यास का लेख व अन्य सामग्री भी है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की सांस्कृतिक पत्रिका 'छायानट' का 163वां अंक भारत रत्न विख्यात सितार वादक पण्डित रविशंकर को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित किया गया. जानकारी हो कि सात अप्रैल यानि आज पं. रविशंकर की 101वीं जयंती भी है.

राजवीर रतन ने किया सम्पादन
'छायानट' के इस विशेषांक में गुरु सुमिरन, अनुभूति, आंकलन, संस्मरण, नवोन्वेषण, काव्याभिव्यक्ति, साक्षात्कार, अतीत से और आत्मकथ्य जैसे खण्ड समाहित किए गए हैं. कला समीक्षक राजवीर रतन के संपादन में प्रकाशित विशेषांक के इन खण्डों में पण्डितजी की पत्नी सुकन्या शंकर, उनके भांजे नबारुन चटर्जी, प्रमुख शिष्यों में विश्वमोहन भट्ट, शुभेन्द्र राव, प्रो. कृष्णा चक्रवर्ती, मंजू मेहता व सतीश चन्द्र के उनके साथ बिताए अनुभव शामिल हैं.

इन वरिष्ठ कलाकारों के विचार हैं शामिल
इसके अलावा प्रमुख कलाकारों में पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. बिरजू महाराज, मालिनी अवस्थी, संगीत विद्वानों में दिल्ली के डॉ. मुकेश गर्ग, पं. विजय शंकर मिश्र, मंजरी सिन्हा व डॉ. राज्यश्री बनर्जी, वाराणसी के ऋत्विक सान्याल, राजेश कुमार शाह, राजेश्वर आचार्य, गौतम चटर्जी, रविन्द्रनारायण गोस्वामी, मुम्बई के आचार्य अनुपम राय, देवाशीष डे, जयपुर के राजेश कुमार व्यास, रश्मि चौधरी, अभिजीत राय चौधरी, हरि किशोर पाण्डे, अंशुमान पाण्डे इत्यादि के मौलिक लेख व अभिव्यक्तियां शामिल की गई हैं.

पत्रिका में इनका भी मिला सहयोग
अंक में रेजी राॅस, शबाहत हुसैन विजेता, धीरज, राकेश सिन्हा, मुमताज आलम आदि का सहयोग रहा है. इसके अलावा पं. रविशंकर की आत्मकथात्मक पुस्तक 'रविशंकर रागमाला' के अंशों के साथ पं. मदनलाल व्यास का लेख व अन्य सामग्री भी है.

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