लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने मिलकर लड़ा था. अब स्थानीय निकाय चुनाव में भी दोनों पार्टियां एक साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं. निकाय चुनाव के बड़े पदों पर यह समझौता दोनों पार्टियों में हो पाना संभव हो सकता है. महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और पंचायत चेयरमैन के पदों पर दोनों पार्टियों में समझौते की बातचीत चल रही है. जल्द इस पर अंतिम मुहर लग जाएगी.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के दौरान यह एलान कर दिया था कि गठबंधन लंबे समय तक चलेगा. लोकसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ेंगे. अब स्थानीय निकाय चुनाव हैं और इसमें भी दोनों पार्टियां गठबंधन से ही चुनाव मैदान में उतर सकती हैं. इसे लेकर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व में बातचीत हुई हो चुकी है.
राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के पदाधिकारियों की मानें तो स्थानीय स्तर पर दोनों पार्टियों के पार्षद प्रत्याशी चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेंगे लेकिन जब बात महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और पंचायत चेयरमैन की आएगी तो इन बड़े पदों के लिए आपसी समझौते के साथ ही उम्मीदवार तय किया जाएगा. पदाधिकारी ये भी उम्मीद जताते हैं कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की सोच एक जैसी है। ऐसे में बड़े पदों पर प्रत्याशियों के नामों को लेकर सहमति बनने में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी.
गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन किया था और 36 सीटें राष्ट्रीय लोकदल को दी थीं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर आरएलडी के ही प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. कुल आठ प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल हुए थे. वर्तमान में राष्ट्रीय लोक दल के आठ विधायक हैं. इसके अलावा अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को संसद भेजने का वादा भी किया था. अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने में सहयोग किया. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि निकाय चुनाव के लिए भी दोनों पार्टियों के बीच सहमति बनने में शायद ही कोई बाधा हो.
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी का कहना है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन में चुनाव लड़ चुके हैं और परिणाम भी बेहतर रहे हैं. दोनों पार्टियों के अध्यक्ष आगे भी साथ साथ चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं. ऐसे में स्थानीय निकाय चुनाव आ रहे हैं उनमें भी दोनों पार्टी साथ साथ मिलकर मैदान में उतार सकती हैं. हालांकि अपनी-अपनी पार्टियों के पार्षद प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से मैदान में उतारे जा सकेंगे. बड़े पदों पर आपसी सहमति के साथ उम्मीदवारों को मैदान में भेजा जाएगा. जिससे दोनों पार्टियों के आपसी सहयोग से उन्हें जीत दिलाई जा सके.
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