लखनऊ: कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में 1998 से लेकर 2017 तक सबसे लंबा कार्यकाल पूरा करने के बाद सोनिया गांधी के दूसरे अध्यक्षीय कार्यकाल का सोमवार को एक साल पूरा हो गया है. 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद राहुल ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर फिर से सोनिया गांधी को कमान सौंप दी गई. इस तरह से सोनिया को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष रहते हुए एक साल पूरा हो गया है.
सोनिया गांधी के एक साल के कार्यकाल में यूपी कांग्रेस ने अपने खोए वजूद को पाने के लिए तमाम प्रयास किए. संगठन में तमाम बदलाव किए गए. युवाओं के साथ ही अनुभव को भी तरजीह दी गई. नई कार्यकारिणी में हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया. हर मुद्दे पर यूपी सरकार को घेरने के लिए तमाम अभियान चलाए गए.
कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी की सबसे अनुभवी नेता हैं, शायद इसीलिए जब 2019 में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से लोकसभा चुनाव हारी तो तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस पार्टी के सभी नेताओं ने अध्यक्ष के रूप में फिर से सोनिया गांधी से पार्टी को संभालने का अनुरोध किया. पार्टी नेताओं के अनुरोध पर सोनिया गांधी फिर से 2019 में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बन गईं.
अजय कुमार लल्लू को बनाया यूपी अध्यक्ष
10 अगस्त 2019 को उन्होंने एक बार फिर से अध्यक्ष पदभार संभाला और 1 साल में उत्तर प्रदेश में नए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ओबीसी को प्रतिनिधित्व देते हुए अजय कुमार लल्लू को इस गद्दी पर काबिज कर दिया. सोनिया ने राजनैतिक दांव खेलते हुए ओबीसी को कांग्रेस की तरफ आकर्षित करने के लिए पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया. इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में प्रभारी नियुक्त करने का भी अधिकार सोनिया के पास ही है. सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के अध्यक्षीय कार्यकाल में ही प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश का प्रभारी भी बना दिया था.
प्रिंयका को यूपी की कमान
राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के निर्देश पर ही लगातार प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में राजनीति में सक्रिय हैं. प्रदेश के सभी जिलों के जिला अध्यक्ष नियुक्त करने के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कई कमेटियों के भी नए सदस्य बनाए. राजनैतिक समीकरणों का ध्यान रखते हुए जिले और शहर की कमान जाति बाहुल्य इलाकों को देखकर ही नेताओं को सौंपी गई. जिनमें लखनऊ में ब्राह्मण चेहरे के रूप में वेद प्रकाश त्रिपाठी को जिलाध्यक्ष बनाया, बहराइच में जेपी मिश्रा, गोंडा में पंकज चौधरी, गोंडा सिटी में रफीक राइनी, बदायूं में ओंकार सिंह, बदायूं सिटी में असरार अहमद, पीलीभीत सिटी में मोनिंदर सक्सेना, कासगंज सिटी में राजेंद्र कश्यप, मिर्जापुर सिटी में राजन पाठक, गोरखपुर सिटी में आशुतोष तिवारी, सोनभद्र सिटी में राजीव कुमार त्रिपाठी, जालौन में रेहान सिद्दीकी, आजमगढ़ में नजम खान, उन्नाव में अरुण कुशवाहा, लखीमपुर में सिद्धार्थ त्रिवेदी, मोदीनगर गाजियाबाद में आशीष शर्मा और मुगलसराय चंदौली में रामजी गुप्ता को कार्यभार सौंपा गया. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सलाहकार समिति का भी गठन किया. वहीं कई अनुभवी नेताओं को तरजीह दी गई, जिसमें पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी भी शामिल हैं.
आंदोलन के दिए निर्देश
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अस्वस्थ होने के कारण भले ही उत्तर प्रदेश का दौरा न कर पाई हों, लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मजबूती के लिए संगठन का विस्तार करने के साथ ही सरकार को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को सरकार को हर मुद्दे पर घेरने के लिए अभियान छेड़ने के निर्देश जारी किए. इसके बाद यूपी में कांग्रेस पार्टी जोरदार तरीके से सड़कों पर उतरी और जबरदस्त संघर्ष भी देखने को मिला. कोरोना काल में आम जनता की मदद के साथ ही भ्रष्टाचार, लचर कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों ने जोरदार आंदोलन किए. अभी भी अगस्त क्रांति नाम से कांग्रेस ने सोनिया गांधी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में आंदोलन छेड़ रखा है. कांग्रेसियों को लग रहा है कि आंदोलन के सहारे जनता के बीच पहुंचकर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मजबूती से खड़ा किया जा सकेगा.
राजनीति में एक आदर्श महिला का है स्वरूप
सोनिया गांधी ने कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में 1 साल का सफल कार्यकाल पूरा किया है. जब लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था तब सोनिया गांधी ने वर्किंग प्रेसिडेंट के रूप में समस्त अधिकारों के साथ अपना कार्यकाल संभाला. वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि मुझे सोनिया गांधी का पहला कार्यकाल याद आ रहा है. सीताराम केसरी के कार्यकाल में कांग्रेस अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही थी. कांग्रेस पार्टी विभिन्न राज्यों से सत्ता से बाहर जा रही थी. जनता में एक भ्रम विपक्ष ने फैला दिया कि अब कांग्रेस सत्ता में वापस नहीं लौटेगी. सोनिया गांधी के नेतृत्व में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी और 10 साल चली. कई प्रदेशों में हमारी सरकार वापस आई. आज भी जब नरेंद्र मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है तो भी हम सोनिया गांधी का कार्यकाल याद करते हैं.
काफी बेहतर रहा सोनिया गांधी का कार्यकाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने बताया कि कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी बेहतर कर रही हैं, कांग्रेस मजबूत हो रही है. आने वाला समय कांग्रेस का ही है. अपनी नेता और कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी पर गर्व है. वह इकलौती महिला हैं या इकलौता ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिसने भारत जैसे महान देश और बड़े देश के प्रधानमंत्री पद को विनम्रता पूर्वक ठुकराया. आज ऐसे प्रधानमंत्री जिन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और मुरली मनोहर जोशी जैसे बुजुर्गों को भी ठुकरा दिया. वहीं सोनिया गांधी इकलौती ऐसी शख्सियत हैं, जिन पर राजनीति में व्यक्तिगत रूप से कोई दाग नहीं लगा. राजनीति में एक आदर्श महिला का जो स्वरूप उन्होंने प्रस्तुत किया है, उस पर हम सभी कांग्रेसियों को गर्व है.