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यात्री मास्क लगाने में सुस्त, बस स्टेशन पर व्यवस्थाएं दुरुस्त

उत्तर प्रदेश की राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए शासन की ओर से जिला प्रशासन को सख्ती की हिदायत दी गई थी, लेकिन जिले के बस अड्डों पर कोविड-19 गाइडलाइन का पालन होता नजर नहीं आ रहा है. रोडवेज बस स्टेशन पर अधिकतर लोग बिना मास्क लगाए दिखाई दिए.

चारबाग रोडवेज बस स्टेशन
चारबाग रोडवेज बस स्टेशन
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Published : May 21, 2021, 7:44 AM IST

लखनऊ: राजधानी में धीरे-धीरे कोविड संक्रमित मरीजों के आंकड़ें में कमी आने लगी है. अब पहले जैसे हालात नहीं रह गए हैं. माना जा रहा है कि कोरोना की पहली लहर में लापरवाही बरती गई थी, जिसके चलते दूसरी लहर आई इसमें संक्रमितों की बाढ़ आ गई. उसी तरह की लापरवाही की पुनरावृत्ति एक बार फिर लोग करने लगे हैं. कोविड गाइडलाइंस का पालन करने के बजाय लोग जान की फिक्र न कर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.

बस स्टेशन और बस के अंदर कोविड नियमों का यात्री कितना पालन कर रहे हैं? बस स्टेशन परिसर में उनकी जांच की क्या व्यवस्था है? इसे लेकर 'ईटीवी भारत' ने लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन का रियलिटी चेक किया. इसमें व्यवस्थाएं तो दुरुस्त पाई गईं, लेकिन बस स्टेशन परिसर और बस के अंदर यात्री बिना मास्क लगाए मिले. जब उनसे मास्क न लगाने का कारण पूछा गया तो मुंह फेरने लगे. कुछ ने यहां तक कहा कि उलझन होती है, इसलिए मास्क हटाया. हालांकि उन्हें नहीं पता कि उनकी यही उलझन किसी और को परेशानी में डाल सकती है.

रोडवेज बसों में कोविड नियमों का उल्लंघन.
बस स्टेशन पर जांच के साथ ऑटोमेटिक मशीन की व्यवस्था चारबाग बस स्टेशन पर यात्री बस पकड़ने के लिए आते हैं. परिसर में प्रवेश करने से पहले ही यहां पर एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है. बाकायदा पहले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है. किसी का टेंपरेचर ज्यादा होता है तो उसे 10 मिनट तक मुंह धुलवाकर आराम की सलाह दी जाती है. इसके बाद जांच करने पर अगर तापमान सही हुआ तो ठीक, नहीं तो मौके पर एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल के लिए भेज दिया जाता है.

सैनिटाइजर मशीन से यात्रियों के हाथों को सैनिटाइज किया जाता है. उसके बाद ही परिसर के अंदर प्रवेश दिया जाता है. जब यात्री बस में सवार होने जाते हैं तो कंडक्टर भी उन्हें मास्क लगाने के लिए प्रेरित करते हैं. हालांकि यात्री कभी-कभी उनके कहने से नहीं मानते हैं. बस स्टेशन परिसर के अंदर बस की प्रतीक्षा में बैठे यात्री अगर मास्क नहीं लगाते हैं तो यहां पर एक टीम मुआयना करती रहती है. टीम लोगों को मास्क लगाने के प्रति आगाह करती है. अगर यात्री ऐसा नहीं करते हैं तो जुर्माने भी वसूला जाता है.

इसे भी पढे़ं-संगम नगरी में हुआ ब्लैक फंगस का सफल ऑपरेशन

कैमरा देख लगा लिया मास्क
रियलिटी चेक में बस स्टेशन के अंदर भी कुछ यात्री बिना मास्क के टहलते मिले. बस में सवार एक महिला ने मास्क नहीं लगाया था, लेकिन जैसे ही चेहरे की तरफ कैमरा गया, उसने हड़बड़ाहट में मास्क लगाना शुरू कर दिया. जब महिला से पूछा गया कि आखिर बस के अंदर इतने लोग बैठे हैं तो मास्क क्यों नहीं लगाया? अगर आपके कारण कोरोना फैल गया तो क्या होगा? महिला ने हड़बड़ी में जवाब दिया पान खाए हुए थे. इसलिए थूकना था, तभी मास्क उतारा.

इसे भी पढ़ें-'मेरा गांव कोरोना मुक्त' मिशन के साथ अधिकारी करें कामः सीएम योगी

मास्क नहीं तो बस में एंट्री नहीं
परिचालक हरिराम ने बताया कि यात्रियों को मास्क लगाने के लिए जागरूक किया जाता है. फिर भी अगर यात्री नहीं सुनते हैं तो उन्हें बस से तुरंत उतार देने की धमकी दी जाती है. इसके बाद वे मास्क लगा लेते हैं.

मास्क ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथिया
रियलिटी चेक में कुल मिलाकर रोडवेज की कोरोना से यात्रियों के बचाव के लिए सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गईं, लेकिन यात्रियों की लापरवाही जरूर नजर आई. हालांकि ऐसे यात्रियों की संख्या कम थी जो मास्क पहनने में विश्वास नहीं रख रहे थे. ज्यादातर कोरोना के खौफ से डरे हुए हैं और मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. बता दें कि कोरोना जैसी महामारी पर काबू पाने का सबसे बड़ा हथियार मास्क ही है.

लखनऊ: राजधानी में धीरे-धीरे कोविड संक्रमित मरीजों के आंकड़ें में कमी आने लगी है. अब पहले जैसे हालात नहीं रह गए हैं. माना जा रहा है कि कोरोना की पहली लहर में लापरवाही बरती गई थी, जिसके चलते दूसरी लहर आई इसमें संक्रमितों की बाढ़ आ गई. उसी तरह की लापरवाही की पुनरावृत्ति एक बार फिर लोग करने लगे हैं. कोविड गाइडलाइंस का पालन करने के बजाय लोग जान की फिक्र न कर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.

बस स्टेशन और बस के अंदर कोविड नियमों का यात्री कितना पालन कर रहे हैं? बस स्टेशन परिसर में उनकी जांच की क्या व्यवस्था है? इसे लेकर 'ईटीवी भारत' ने लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन का रियलिटी चेक किया. इसमें व्यवस्थाएं तो दुरुस्त पाई गईं, लेकिन बस स्टेशन परिसर और बस के अंदर यात्री बिना मास्क लगाए मिले. जब उनसे मास्क न लगाने का कारण पूछा गया तो मुंह फेरने लगे. कुछ ने यहां तक कहा कि उलझन होती है, इसलिए मास्क हटाया. हालांकि उन्हें नहीं पता कि उनकी यही उलझन किसी और को परेशानी में डाल सकती है.

रोडवेज बसों में कोविड नियमों का उल्लंघन.
बस स्टेशन पर जांच के साथ ऑटोमेटिक मशीन की व्यवस्था चारबाग बस स्टेशन पर यात्री बस पकड़ने के लिए आते हैं. परिसर में प्रवेश करने से पहले ही यहां पर एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है. बाकायदा पहले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है. किसी का टेंपरेचर ज्यादा होता है तो उसे 10 मिनट तक मुंह धुलवाकर आराम की सलाह दी जाती है. इसके बाद जांच करने पर अगर तापमान सही हुआ तो ठीक, नहीं तो मौके पर एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल के लिए भेज दिया जाता है.

सैनिटाइजर मशीन से यात्रियों के हाथों को सैनिटाइज किया जाता है. उसके बाद ही परिसर के अंदर प्रवेश दिया जाता है. जब यात्री बस में सवार होने जाते हैं तो कंडक्टर भी उन्हें मास्क लगाने के लिए प्रेरित करते हैं. हालांकि यात्री कभी-कभी उनके कहने से नहीं मानते हैं. बस स्टेशन परिसर के अंदर बस की प्रतीक्षा में बैठे यात्री अगर मास्क नहीं लगाते हैं तो यहां पर एक टीम मुआयना करती रहती है. टीम लोगों को मास्क लगाने के प्रति आगाह करती है. अगर यात्री ऐसा नहीं करते हैं तो जुर्माने भी वसूला जाता है.

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कैमरा देख लगा लिया मास्क
रियलिटी चेक में बस स्टेशन के अंदर भी कुछ यात्री बिना मास्क के टहलते मिले. बस में सवार एक महिला ने मास्क नहीं लगाया था, लेकिन जैसे ही चेहरे की तरफ कैमरा गया, उसने हड़बड़ाहट में मास्क लगाना शुरू कर दिया. जब महिला से पूछा गया कि आखिर बस के अंदर इतने लोग बैठे हैं तो मास्क क्यों नहीं लगाया? अगर आपके कारण कोरोना फैल गया तो क्या होगा? महिला ने हड़बड़ी में जवाब दिया पान खाए हुए थे. इसलिए थूकना था, तभी मास्क उतारा.

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मास्क नहीं तो बस में एंट्री नहीं
परिचालक हरिराम ने बताया कि यात्रियों को मास्क लगाने के लिए जागरूक किया जाता है. फिर भी अगर यात्री नहीं सुनते हैं तो उन्हें बस से तुरंत उतार देने की धमकी दी जाती है. इसके बाद वे मास्क लगा लेते हैं.

मास्क ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथिया
रियलिटी चेक में कुल मिलाकर रोडवेज की कोरोना से यात्रियों के बचाव के लिए सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गईं, लेकिन यात्रियों की लापरवाही जरूर नजर आई. हालांकि ऐसे यात्रियों की संख्या कम थी जो मास्क पहनने में विश्वास नहीं रख रहे थे. ज्यादातर कोरोना के खौफ से डरे हुए हैं और मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. बता दें कि कोरोना जैसी महामारी पर काबू पाने का सबसे बड़ा हथियार मास्क ही है.

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