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लखनऊ: बल्क वेस्ट जनरेट करने वाले प्रतिष्ठानों को खुद करना होगा कचरे का निस्तारण

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सुझाव पर केंद्र सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में बल्क वेस्ट जनरेट यानी अधिक मात्रा में कूड़ा निकलने वाले संस्थानों को स्वयं से कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था करने की अनिवार्यता की है. जिसे राजधानी लखनऊ में अनिवार्य रूप से लागू किया गया.

लखनऊ नगर निगम.
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Published : Oct 2, 2020, 7:47 PM IST

लखनऊ: ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016 के अनुसार प्रतिदिन 100 किलोग्राम या इससे अधिक कचरा उत्पन्न करने वाले अथवा 5000 वर्ग मीटर से बड़े प्रतिष्ठानों को स्वयं अपने स्तर पर कचरा अलग-अलग करना तथा उसका निस्तारण करना अनिवार्य है. लेकिन लखनऊ नगर निगम में अभी इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. हालांकि अब इसे अनिवार्य रूप से लागू किए जाने के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास दीपक कुमार ने आदेश जारी कर दिया है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सुझाव पर केंद्र सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में बल्क वेस्ट जनरेट यानी अधिक मात्रा में कूड़ा निकलने वाले संस्थानों को स्वयं से कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था करने की अनिवार्यता की है. शहरों में 5000 वर्ग मीटर से बड़े भवन वाले संस्थाओं को कूड़ा निस्तारण की स्वयं व्यवस्था करनी जरूरी है. ऐसा न किए जाने पर उन पर भारी जुर्माना लगाए जाने का भी नियम हैं. लेकिन लखनऊ नगर निगम ऐसा नहीं कर रहा है. इसके चलते कूड़ा निस्तारण प्लांट पर कूड़े के ढेर लगते जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में अभी तक यह व्यवस्था लागू न होने से कूड़ा निस्तारण एजेंसी और नगर निगम फायदा उठा रहे हैं. लेकिन, अब प्रमुख सचिव नगर विकास ने इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी कर दिया है.

उन्होंने कहा है कि 5000 वर्ग मीटर से अधिक वाले केंद्र सरकार के कार्यालय, राज्य सरकार के कार्यालय, निजी क्षेत्र के कार्यालय, अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, कॉलेज, विश्वविवद्याय, होटल, व्यवसायिक संस्थान, मार्केट, वर्कशॉप, स्पोर्ट कांप्लेक्स या फिर इस तरह के किसी भी तरह के संस्थानों में अगर 100 किलो ग्राम से अधिक प्रतिदिन कूड़ा निकल रहा है तो उन्हें कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था अपने यहां अनिवार्य रूप से करनी होगी. वो इसके लिए कूड़े से खाद बनाने का प्लांट लगा सकते हैं या फिर कूड़ा का उपयोग दूसरे कामों में कर सकते हैं. वहीं निस्तारित होने वाले कूड़े से निकलने वाले कचरे को उठाने के लिए ऐसे संस्थानों को निकायों को यूजर चार्ज देना होगा. प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव के साथ विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को यह शासनादेश भेज दिया गया है.

वर्ष 2016 से लागू है नियम
लखनऊ नगर निगम के पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण बताते हैं कि शहर में प्रतिदिन 100 किलो से अधिक कूड़ा उत्पादन करने वाले 4000 से अधिक प्रतिष्ठान हैं. यहां से प्रतिदिन करीब 150-200 टन कूड़ा निकलता है. ऐसे प्रतिष्ठानों में कूड़ा निस्तारण संयंत्र स्थापित किए जाने का नियम वर्ष 2016 से प्रभावी है. अनुपालन न करने वालों से भारी जुर्माना वसूलने का प्रावधान है, लेकिन बड़े प्रतिष्ठान ऐसा बिल्कुल नहीं कर रहे हैं. लखनऊ में इकोग्रीन ही कूड़ा कलेक्शन कर रही है.

लखनऊ: ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016 के अनुसार प्रतिदिन 100 किलोग्राम या इससे अधिक कचरा उत्पन्न करने वाले अथवा 5000 वर्ग मीटर से बड़े प्रतिष्ठानों को स्वयं अपने स्तर पर कचरा अलग-अलग करना तथा उसका निस्तारण करना अनिवार्य है. लेकिन लखनऊ नगर निगम में अभी इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. हालांकि अब इसे अनिवार्य रूप से लागू किए जाने के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास दीपक कुमार ने आदेश जारी कर दिया है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सुझाव पर केंद्र सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में बल्क वेस्ट जनरेट यानी अधिक मात्रा में कूड़ा निकलने वाले संस्थानों को स्वयं से कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था करने की अनिवार्यता की है. शहरों में 5000 वर्ग मीटर से बड़े भवन वाले संस्थाओं को कूड़ा निस्तारण की स्वयं व्यवस्था करनी जरूरी है. ऐसा न किए जाने पर उन पर भारी जुर्माना लगाए जाने का भी नियम हैं. लेकिन लखनऊ नगर निगम ऐसा नहीं कर रहा है. इसके चलते कूड़ा निस्तारण प्लांट पर कूड़े के ढेर लगते जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में अभी तक यह व्यवस्था लागू न होने से कूड़ा निस्तारण एजेंसी और नगर निगम फायदा उठा रहे हैं. लेकिन, अब प्रमुख सचिव नगर विकास ने इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी कर दिया है.

उन्होंने कहा है कि 5000 वर्ग मीटर से अधिक वाले केंद्र सरकार के कार्यालय, राज्य सरकार के कार्यालय, निजी क्षेत्र के कार्यालय, अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, कॉलेज, विश्वविवद्याय, होटल, व्यवसायिक संस्थान, मार्केट, वर्कशॉप, स्पोर्ट कांप्लेक्स या फिर इस तरह के किसी भी तरह के संस्थानों में अगर 100 किलो ग्राम से अधिक प्रतिदिन कूड़ा निकल रहा है तो उन्हें कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था अपने यहां अनिवार्य रूप से करनी होगी. वो इसके लिए कूड़े से खाद बनाने का प्लांट लगा सकते हैं या फिर कूड़ा का उपयोग दूसरे कामों में कर सकते हैं. वहीं निस्तारित होने वाले कूड़े से निकलने वाले कचरे को उठाने के लिए ऐसे संस्थानों को निकायों को यूजर चार्ज देना होगा. प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव के साथ विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को यह शासनादेश भेज दिया गया है.

वर्ष 2016 से लागू है नियम
लखनऊ नगर निगम के पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण बताते हैं कि शहर में प्रतिदिन 100 किलो से अधिक कूड़ा उत्पादन करने वाले 4000 से अधिक प्रतिष्ठान हैं. यहां से प्रतिदिन करीब 150-200 टन कूड़ा निकलता है. ऐसे प्रतिष्ठानों में कूड़ा निस्तारण संयंत्र स्थापित किए जाने का नियम वर्ष 2016 से प्रभावी है. अनुपालन न करने वालों से भारी जुर्माना वसूलने का प्रावधान है, लेकिन बड़े प्रतिष्ठान ऐसा बिल्कुल नहीं कर रहे हैं. लखनऊ में इकोग्रीन ही कूड़ा कलेक्शन कर रही है.

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