लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बिजली घर अब बिजली से रोशन नहीं होंगे, बल्कि सभी उपकेंद्रों में उजाला सोलर पैनल फैलाएंगे. यानी अब उपकेंद्रों की बिजली बचाई जाएगी और उपभोक्ताओं को सप्लाई की जाएगी. सूर्य की ऊर्जा से उपकेंद्र को प्रकाशित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की तरफ से यूपीनेडा को प्रदेश भर के सभी बिजलीघरों को सोलर पैनल से लैस करने के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है. इन उपकेंद्रों में पावर कारपोरेशन के अलावा पावर ट्रांसमिशन के भी उपकेंद्र शामिल होंगे.
उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सरकारी दफ्तर सोलर पैनल से लैस हैं, जिससे काफी मात्रा में बिजली की बचत हो रही है. अब इन्हीं सरकारी दफ्तरों की ही तरह उत्तर प्रदेश के सभी बिजलीघरों को भी सोलर पैनल से ही लैस किए जाने की तैयारी है. उत्तर प्रदेश में वितरण निगम के कुल 4600 बिजलीघर हैं, जबकि पावर ट्रांसमिशन के 470 कार्यालय हैं. उपकेंद्र के अंदर ट्रांसफार्मर यार्ड भी बना होता है. यार्ड को छोड़कर जिस जगह पर पैनल रखा होता उस छत के ऊपर के एरिया में सोलर पैनल लगाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है. देश में 2027 तक 33% वैकल्पिक ऊर्जा के तहत बिजली का प्रयोग करना है, इसी लक्ष्य के साथ अब यूपी में सभी उपकेंद्रों पर सोलर पैनल लगाने की तैयारी है. उत्तर प्रदेश में अभी तक सिर्फ नौ फीसद ही सोलर या वैकल्पिक ऊर्जा का इस्तेमाल हो पा रहा है. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ के बिजली घरों से सोलर पैनल लगाने की शुरुआत की जाएगी. लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन (लेसा) की अगर बात की जाए तो कुल मिलाकर लखनऊ में ही 159 बिजलीघर हैं. लेसा ट्रांस गोमती क्षेत्र में 64 बिजलीघर है जबकि गोमती नगर में 95 उपकेंद्र हैं. इन सभी उपकेंद्रों में सोलर पैनल लगाकर ऊर्जा की सप्लाई की जाएगी.'
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारोत ने बताया कि 'बिजली घरों को सोलर पैनल से लैस करने की योजना तो है इसके लिए प्रयास भी जारी हैं, लेकिन अधिकतर बिजली घरों में एक बड़ी समस्या ये आ रही है कि अधिकांश उपकेंद्रों पर सोलर पैनल लगाने के लिए पर्याप्त छाया मुक्त स्थान उपलब्ध नहीं हैं. इस समस्या को दूर कराकर सोलर पैनल लगाए जाएंगे.'
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