लखनऊ : समाज कल्याण विभाग की तरफ से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में घोटाला सामने आने के बाद विभाग में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाया है. राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप समाज कल्याण विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इस बाबत विभाग ने प्रदेश के सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को निर्देश जारी कर स्कॉलरशिप वाले छात्रों से कियोस्क आधारित पेमेंट बैंक खाते न खुलवाने के निर्देश दिए गए हैं. निर्देश में कहा गया है कि छात्रों के खाते राष्ट्रीयकृत बैंक में या आरबीआई द्वारा लाइसेंस प्रदत्त बैंकों में खुलवाए जाएं. प्रदेश के 22 जिलों में सामने आए छात्रवृत्ति घोटाले में ज्यादातर विद्यार्थियों के बैंक अकाउंट इन्हीं कियोस्क बैंक खातों के नंबर दिए गए थे.
संयुक्त निदेशक समाज कल्याण आरके सिंह के स्तर से जारी आदेश में सभी जिला समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से कहा गया है कि अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों के बैंक खाते कियोस्क आधारित यथा फिनो पेमेंट बैंक, एयरटेल पेमेंट बैंक तथा पेटीएम बैंक में न खुलवाए जाएं. साथ ही आधार नंबर को इन बैंक खातों के साथ न लिंक कराए जाएं. छात्रों के खाते राष्ट्रीयकृत बैंक या फिर आरबीआई द्वारा जिन बैंकों को लाइसेंस जारी किया गया है, उसमें खुलवाए जाएं. बता दें, प्रदेश में स्कॉलरशिप घोटाला सामने आने के बाद प्रदेश के 22 जनपदों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के सत्यापन विभाग द्वारा कराए जा रहे हैं. जिसमें मास्टर डाटा के आधार पर जनपदीय अधिकारियों के साथ-साथ सहायक विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, सुपरवाइजर की टीम शिक्षण संस्थानों में छात्रों की उपस्थिति का सत्यापन कर रही है.
स्कॉलरशिप घोटाले को आरोपी शिक्षण संस्थानों की तरफ से फर्जी दस्तावेजों, फर्जी बैंक अकाउंट, काल्पनिक नाम का इस्तेमाल कर फर्जी सिम के सहारे अंजाम दिया गया. यह राशि करोड़ों में है, जो लाभार्थियों को दिए जाने थे. मामले में फरवरी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के बाद मार्च में लखनऊ पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी. हालांकि प्रकरण को एसआईटी को सौंप दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि धांधली के लिए 3000 फर्जी बैंक अकाउंट खोले गए थे. इसके अलावा पैसों की हेराफेरी के लिए 1200 फर्जी सिम कार्ड और डेबिट कार्ड रखे गए थे. चूंकि फिनो पेमेंट बैंक में खाता सिम नंबर के आधार पर खोलने की सुविधा है, इसलिए इस प्रकार की धांधली हुई. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जांच में पाया गया कि कुछ बैंक अकाउंट नाबालिग और बुजुर्ग लोगों के नाम से खोले गए, जो इस स्कॉलरशिप के दायरे में नहीं आते हैं. इनमें कई नाम ऐसे भी शामिल थे, जिन्हें उनके नाम से बैंक अकाउंट खुलने की जानकारी तक नहीं है.
यह होता है कियोस्क आधारित पेमेंट
हालांकि इस घोटाले में फिनो पेमेंट्स बैंक का नाम आया है. घोटाले में स्कॉलरशिप पाने वाले जिन अपात्र लोगों के नाम मिले हैं, उन सबके अकाउंट फिनो पेमेंट्स बैंक से जुड़े हैं. कियोस्क आधारित पेमेंट के जरिए ग्राहक, बैंक से जुड़े कई सारे कार्य कर सकते हैं. कियोस्क मशीन से पैसे निकालने के अलावा उसके माध्यम से पैसे जमा भी करवाए जा सकते हैं और पैसे दूसरे किसी अकाउंट में भी भेजे जा सकते हैं.
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