लखनऊ: बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को पावर कारपोरेशन प्रबंधन की तरफ से अब तक विशेष सुविधा दी जा रही है. यह विशेष सुविधा है उनके घरों पर बिना मीटर के ही बिजली आपूर्ति मुहैया कराना, लेकिन अब बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर राज्य विद्युत नियामक आयोग की नजरें टेढ़ी हो गई हैं. लिहाजा, उनकी यह विशेष सुविधा अब खत्म होने वाली है.
सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के परिसरों पर अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने की तैयारी हो रही है. इससे अब अधिकारी और कर्मचारी भी बिजली की फिजूलखर्ची नहीं कर पाएंगे. परिसरों पर मीटर लगाए जाने का इंजीनियर विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि आयोग के फैसले से पार पाना उनके लिए मुश्किल होगा.
यह भी पढ़ें- सपा नेता के कार्यालय से भारी मात्रा में डीजल, पेट्रोल और एथेनॉल केमिकल बरामद
एक लाख से ज्यादा कर्मचारी व पेंशनर्स ले रहे हैं सुविधा
उत्तर प्रदेश में वर्तामन में रियायती बिजली की सुविधा लेने वाले बिजली कर्मियों और पेंशनरों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. पहले अलग-अलग स्तर के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 160 रुपये से लेकर 600 रुपये हर महीने फिक्स चार्ज निर्धारित था. गर्मियों में 600 रुपये प्रति एसी के हिसाब से भुगतान का प्रावधान था. लेकिन अब इस तरह की सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी. लाखों बिजली कर्मियों और पेंशनर्स को आम लोगों की तरह ही बिल का भुगतान करना होगा.
हर साल 450 करोड़ से अधिक खर्च
उत्तर प्रदेश में विभागीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को दी जा रही रियायती बिजली पर हर वर्ष 450 करोड़ रुपये से ज्यादा व्यय हो रहा है. नियामक आयोग ने प्रति उपभोक्ता 600 यूनिट औसत उपभोग मानते हुए 6.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से कर्मचारियों को दी जाने वाली बिजली का राजस्व 450 करोड़ रुपये से अधिक अनुमान लगाया है. अब नियामक आयोग की सख्ती के बाद घरेलू उपभोक्ताओं की तरह बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी बिल चुकाना होगा, जिससे बिजली विभाग को ही अतिरिक्त फायदा मिलेगा.
सीएम भी जारी कर चुके हैं निर्देश
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवंबर 2018 में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर मीटर लगाकर बिजली उपभोग की सीमा निर्धारित करने का निर्देश जारी किया था. इसके बाद पावर कॉर्पोरेशन ने सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को पत्र भेजकर आदेश का पालन कराने को कहा था.
आयोग ने बिजली कंपनियों से जवाब तलब किया है कि अलग श्रेणी समाप्त होने के बाद कितने विभागीय कर्मियों और पेंशनरों को बिल जारी किए? आयोग ने हर बिजली कंपनी से नमूने के तौर पर 10-10 बिल और उसके एवज में जमा की गई राशि का ऑडिटेड ब्योरा भी दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
क्या कहते हैं संगठन के अध्यक्ष
वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष जीवी पटेल का कहना है कि बिजली विभाग अपने कर्मचारियों को जो विशेष सुविधा दे रहा है. अब उसके बदले परिसरों पर मीटर लगाने का कोई विशेष फायदा मिलने वाला नहीं है. इसके पीछे वजह है कि अभी बिजली विभाग को कर्मचारियों के वेतन से एकमुश्त बिल के रूप में पैसा मिल जाता है. वह भी सबसे पहले. ऐसा नहीं है कि बिजली विभाग के कर्मचारियों को मुफ्त में बिजली मिलती हो. समय-समय पर उनके फ्लैट रेट में भी परिवर्तन होता है. एसी के लिए अलग से बिल निर्धारित होता है. उन्होंने कहा कि अगर परिसरों पर मीटर लगा दिया जाता है तो बिजली विभाग को कोई फायदा नहीं होता दिख रहा है. लेकिन कर्मचारियों को बेवजह परेशान जरूर होना पड़ेगा.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप