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कानपुर चिड़ियाघर में आए ये नन्हे मेहमान, जिमी और जैस्मिन मचाएंगे उछलकूद - KANPUR ZOOLOGICAL PARK

कानपुर चिड़ियाघर बना उत्तर भारत का पहला ऐसा जू जहां अब दर्शक कर सकेंगे कंगारू का दीदार.

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कानपुर चिड़ियाघर (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 12:09 PM IST

Updated : Jan 23, 2025, 12:32 PM IST

कानपुर: यूपी के कानपुर प्राणी उद्यान में आने वाले दर्शकों के लिए एक अच्छी खबर है. अब दर्शक कई नए वन्य जीवों का दीदार कर सकेंगे. गुजरात के वनतारा जू से नए वन्यजीवों को लाया गया है. जू में जो नए वन्यजीव आए हैं उनमें जेब्रा, वलाबी, मकाऊ आदि शामिल हैं, इन नए वन्यजीवों के आने से दर्शकों में भी काफी अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही कानपुर चिड़ियाघर उत्तर भारत का पहला ऐसा चिड़ियाघर बन गया है, जहां पर वालाबी यानी छोटे कंगारू का दर्शक अब दीदार कर सकेंगे.


ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कानपुर जू के क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि, वन्यजीवों की अदला-बदली नियम के तहत यहां से मादा गैंडा गौरी जोकी करीब 15 महीने की है. उसे गुजरात के वनतारा जू में भेजा गया है. वनतारा जू से 10 नए वन्यजीवों को कानपुर जू में लाया गया है. काफी लंबे समय से यहाँ पर जेब्रा नहीं थे. ऐसे में हम जेब्रा की एक जोड़ी जिमी और जैस्मीन को लेकर आए है. जैस्मिन जहां मादा जेब्रा है तो वही जिमी नर जेब्रा है. दोनों की उम्र करीब 2.50 साल के आप-पास है और दोनों ही काफी स्वस्थ और यंग हैं. काफी लंबे अरसे से दर्शकों को कानपुर जू में जेब्रा का दीदार नहीं हो पा रहा था. ऐसे में जब से यह वन्यजीव आए हैं तो लोगों में इनको देखने का रोमांच काफी ज्यादा बढ़ गया है.

जानकारी देते कानपुर जू के क्षेत्रीय वन अधिकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

वलाबी और मकाऊ भी बने कानपुर जू में आकर्षण का केंद्र : क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि, जेब्रा जोड़ी के अलावा चार वालाबी (छोटा कंगारू) और दो जोड़ी मकाऊ को भी लाया गया है. वलाबी एक तरह का कंगारू होता है जोकी कंगारू से हाईट में थोड़ा सा छोटा होता है. वालाबी की जो हाईट होती है.वह करीब ढाई से 3 फीट के आसपास होती है. जबकि कंगारू की जो हाइट होती है वह करीब 5 फीट के आसपास होती है लेकिन देखने में यह बिल्कुल कंगारू की तरह ही प्रतीत होता है.

यह ऑस्ट्रेलिया और नई दिल्ली में पाया जाता है. इसके अगले पैर छोटे व पीछे के पैर बड़े होते हैं. उन्होंने बताया कि, वर्तमान समय में उत्तर भारत के किसी भी जू में वालाबी नहीं है. मादा जेब्रा की मौत के बाद से दर्शक काफी समय से विदेशी वन्यजीवों को यहां पर लाने की लगातार मांग कर रहे थे. इसके लिए वनतारा के अधिकारियों से संपर्क किया गया था. सहमति बनने के बाद वन्यजीवों को यहां कानपुर जू में लाया गया है.


मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुराग सिंह ने बताया कि गुजरात के वनतारा से जो नए वन्य जीवों को कानपुर लाया गया है. वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं हालांकि कैमरों के माध्यम से उनकी निगरानी की जा रही है गुजरात के वनतारा से जू इनका हमे डाइट चार्ट मिला है हम उसी को ही फॉलो कर रहे हैं जेब्रा और वलाबी को वनतारा से लाई गई विशेष खास ही दी जा रही है. जिसे वह बाड़े में लगी घास के साथ खा रहे हैं. मकाऊ को पक्षी घर में रखा गया है जबकि साँप घर के पीछे खाली पड़े बाड़े में वालाबी को रखा गया है, जहां वह शांतिपूर्वक रह रहे हैं.


कानपुर जू 76.56 हेक्टेयर में बना है क्षेत्रफल के हिसाब से अगर हम बात करें तो यह देश का तीसरा बड़ा चिड़ियाघर है, इसकी नींव साल 1971 में पड़ी थी. बच्चे हो या फिर युवा सभी यहां अच्छी खासी संख्या में वन्यजीवों का दीदार करने के लिए पहुंचते हैं वहीं पिकनिक के लिए आने वाले लोगों और वन्य जीव प्रेमियों के लिए भी यह काफी बेहतरीन जगह है.

यह भी पढ़ें : सुभाषचंद्र बोस जयंती: दो बार आगरा आए थे नेताजी, युवाओं ने खून से 'जय हिंद' लिखकर दिया था समर्थन

कानपुर: यूपी के कानपुर प्राणी उद्यान में आने वाले दर्शकों के लिए एक अच्छी खबर है. अब दर्शक कई नए वन्य जीवों का दीदार कर सकेंगे. गुजरात के वनतारा जू से नए वन्यजीवों को लाया गया है. जू में जो नए वन्यजीव आए हैं उनमें जेब्रा, वलाबी, मकाऊ आदि शामिल हैं, इन नए वन्यजीवों के आने से दर्शकों में भी काफी अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही कानपुर चिड़ियाघर उत्तर भारत का पहला ऐसा चिड़ियाघर बन गया है, जहां पर वालाबी यानी छोटे कंगारू का दर्शक अब दीदार कर सकेंगे.


ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कानपुर जू के क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि, वन्यजीवों की अदला-बदली नियम के तहत यहां से मादा गैंडा गौरी जोकी करीब 15 महीने की है. उसे गुजरात के वनतारा जू में भेजा गया है. वनतारा जू से 10 नए वन्यजीवों को कानपुर जू में लाया गया है. काफी लंबे समय से यहाँ पर जेब्रा नहीं थे. ऐसे में हम जेब्रा की एक जोड़ी जिमी और जैस्मीन को लेकर आए है. जैस्मिन जहां मादा जेब्रा है तो वही जिमी नर जेब्रा है. दोनों की उम्र करीब 2.50 साल के आप-पास है और दोनों ही काफी स्वस्थ और यंग हैं. काफी लंबे अरसे से दर्शकों को कानपुर जू में जेब्रा का दीदार नहीं हो पा रहा था. ऐसे में जब से यह वन्यजीव आए हैं तो लोगों में इनको देखने का रोमांच काफी ज्यादा बढ़ गया है.

जानकारी देते कानपुर जू के क्षेत्रीय वन अधिकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

वलाबी और मकाऊ भी बने कानपुर जू में आकर्षण का केंद्र : क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि, जेब्रा जोड़ी के अलावा चार वालाबी (छोटा कंगारू) और दो जोड़ी मकाऊ को भी लाया गया है. वलाबी एक तरह का कंगारू होता है जोकी कंगारू से हाईट में थोड़ा सा छोटा होता है. वालाबी की जो हाईट होती है.वह करीब ढाई से 3 फीट के आसपास होती है. जबकि कंगारू की जो हाइट होती है वह करीब 5 फीट के आसपास होती है लेकिन देखने में यह बिल्कुल कंगारू की तरह ही प्रतीत होता है.

यह ऑस्ट्रेलिया और नई दिल्ली में पाया जाता है. इसके अगले पैर छोटे व पीछे के पैर बड़े होते हैं. उन्होंने बताया कि, वर्तमान समय में उत्तर भारत के किसी भी जू में वालाबी नहीं है. मादा जेब्रा की मौत के बाद से दर्शक काफी समय से विदेशी वन्यजीवों को यहां पर लाने की लगातार मांग कर रहे थे. इसके लिए वनतारा के अधिकारियों से संपर्क किया गया था. सहमति बनने के बाद वन्यजीवों को यहां कानपुर जू में लाया गया है.


मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुराग सिंह ने बताया कि गुजरात के वनतारा से जो नए वन्य जीवों को कानपुर लाया गया है. वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं हालांकि कैमरों के माध्यम से उनकी निगरानी की जा रही है गुजरात के वनतारा से जू इनका हमे डाइट चार्ट मिला है हम उसी को ही फॉलो कर रहे हैं जेब्रा और वलाबी को वनतारा से लाई गई विशेष खास ही दी जा रही है. जिसे वह बाड़े में लगी घास के साथ खा रहे हैं. मकाऊ को पक्षी घर में रखा गया है जबकि साँप घर के पीछे खाली पड़े बाड़े में वालाबी को रखा गया है, जहां वह शांतिपूर्वक रह रहे हैं.


कानपुर जू 76.56 हेक्टेयर में बना है क्षेत्रफल के हिसाब से अगर हम बात करें तो यह देश का तीसरा बड़ा चिड़ियाघर है, इसकी नींव साल 1971 में पड़ी थी. बच्चे हो या फिर युवा सभी यहां अच्छी खासी संख्या में वन्यजीवों का दीदार करने के लिए पहुंचते हैं वहीं पिकनिक के लिए आने वाले लोगों और वन्य जीव प्रेमियों के लिए भी यह काफी बेहतरीन जगह है.

यह भी पढ़ें : सुभाषचंद्र बोस जयंती: दो बार आगरा आए थे नेताजी, युवाओं ने खून से 'जय हिंद' लिखकर दिया था समर्थन

Last Updated : Jan 23, 2025, 12:32 PM IST
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