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नियामक आयोग की मुहर के बाद भी बिजली कर्मियों के घर नहीं लगे स्मार्ट मीटर

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Published : Jun 25, 2023, 9:06 PM IST

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की मुहर के बाद भी अभी तक बिजली विभाग के कर्मचारियों के घरों में स्मार्ट मीटर नहीं लगाए गए है.वहीं, विद्युत कर्मी बिजली का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें बिल भी नाम मात्र का भरना पड़ रहा है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने आम उपभोक्ताओं की तरह ही बिजली विभाग के कर्मचारियों के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाए जाने पर अपना फैसला सुनाया था. आयोग ने मुहर लगाई थी कि सभी बिजली अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा. लेकिन महीनों बीत गए हैं अब तक स्मार्ट मीटर लगाने की बात तो दूर इस तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया है. यही वजह है कि भीषण गर्मी में बिजली कर्मी बिजली का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें बिल भी नाम मात्र का भरना पड़ रहा है. जबकि आम उपभोक्ताओं पर बिजली के बिल का भार काफी भारी पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि बिजली कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाए जाने का विरोध कई यूनियन नेताओं ने किया है, जिसके चलते अभी पावर कॉरपोरेशन फैसला ही नहीं ले पाया है.

वर्तमान में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए के घाटे में है. इस घाटे की भरपाई हो पाना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है. घाटे को कम करने के लिए लगातार बिजली सप्लाई के एवज में उपभोक्ताओं से बिल वसूली को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन, जिस उम्मीद के साथ पावर कॉरपोरेशन राजस्व वसूली अभियान चल रहा है. वह अभी फिलहाल कामयाब होता नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि राजस्व वसूली के लक्ष्य से उपकेंद्र काफी पीछे रह जा रहे हैं. उपभोक्ता बिजली तो जलाते हैं, लेकिन समय पर बिल जमा करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.

यही कारण है कि पावर कारपोरेशन का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. सिर्फ उपभोक्ता ही नहीं अब बिजली विभाग के कर्मचारी जो जमकर बिजली जलाते हैं और इसके एवज में उन्हें नाम मात्र का बिल भरना पड़ता है, इससे भी कारपोरेशन को काफी नुकसान होता है. इसी को ध्यान में रखकर विद्युत नियामक आयोग ने कुछ माह पहले विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, लेकिन जब बात बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर आई तो अभी तक मीटर लगाने को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा गया है.

घरेलू उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे कर्मचारी: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने अपने फैसले में कहा था कि बिजली कर्मचारियों यानी कि विभागीय कार्मिकों का जो एलएमवी- 10 था, उसे टैरिफ शेड्यूल्ड से बाहर कर दिया गया है. अब सभी बिजली कार्मिक घरेलू विद्युत उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे. सभी बिजली कार्मिकों के घरों पर अनिवार्य रूप से मीटर लगाने का आदेश आयोग की तरफ से दिया गया था.

मीटर की कमी से जूझ रहा कॉरपोरेशन: बिजली विभाग के कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने की कार्रवाई शुरू भी हो तो कैसे जब कारपोरेशन ही मीटरों की कमी से जूझ रहा है. नए उपभोक्ता कनेक्शन के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें पर समय पर कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है इसके पीछे कारण है मीटर की कमी होना. जब उपभोक्ताओं को ही विभाग मीटर नहीं उपलब्ध करा पा रहा है तो कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने में देरी हो भी क्यों नहीं. जब मीटर की आपूर्ति हो तब जाकर कार्मिकों के घर पर मीटर लगने शुरू हो पाएं. फिलहाल मीटर की कमी से कर्मचारी राहत ही महसूस कर रहे हैं.

क्या कहते हैं यूनियन नेता: नियामक आयोग ने जब बिजली कार्मिकों के घर पर मीटर लगाने का फैसला सुनाया तो इसे लेकर विरोध शुरू हो गया. बिजली कर्मचारी नेता अमिताभ सिन्हा का कहना है कि कर्मचारियों के घरों पर मीटर लगाने का कोई फायदा विभाग को नहीं मिलेगा, बल्कि घाटा ही होगा. उनका तर्क है कि अभी तक जिन उपभोक्ताओं के घरों पर मीटर लगे हैं वहां से भी वसूली हो पाने में काफी मुश्किलें आती हैं.

जबकि बिजली विभाग के कर्मचारियों से ऑटोमेटिक बिजली बिल की वसूली हो जाती है. उनके वेतन से ही बिजली बिल का पैसा कट जाता है. इसके एवज में हर माह 210 करोड रुपए बिना किसी मेहनत के पावर कारपोरेशन को मिल जाते हैं. जब मीटर लग जाएंगे तो घर घर जाकर वसूली करनी होगी इससे राजस्व लक्ष्य से और भी पीछे पावर कारपोरेशन रह जाएगा. लिहाजा, कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने का फैसला ठीक नहीं होगा.

असमर्थता जाहिर कर रहे अधिकारी: बिजली विभाग के अधिकारियों से जब बिजली कर्मचारियों के घरों पर कब से मीटर लगेंगे. इसे लेकर सवाल किया गया, तो वे कुछ भी बता पाने में असमर्थता जता रहे हैं. बस यही कहना है कि जल्द ही मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

यह भी पढ़ें: UP Power Corporation : कंपनियों से सस्ता स्मार्ट मीटर खरीदकर उपभोक्ताओं को महंगा देने का प्लान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने आम उपभोक्ताओं की तरह ही बिजली विभाग के कर्मचारियों के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाए जाने पर अपना फैसला सुनाया था. आयोग ने मुहर लगाई थी कि सभी बिजली अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा. लेकिन महीनों बीत गए हैं अब तक स्मार्ट मीटर लगाने की बात तो दूर इस तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया है. यही वजह है कि भीषण गर्मी में बिजली कर्मी बिजली का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें बिल भी नाम मात्र का भरना पड़ रहा है. जबकि आम उपभोक्ताओं पर बिजली के बिल का भार काफी भारी पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि बिजली कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाए जाने का विरोध कई यूनियन नेताओं ने किया है, जिसके चलते अभी पावर कॉरपोरेशन फैसला ही नहीं ले पाया है.

वर्तमान में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए के घाटे में है. इस घाटे की भरपाई हो पाना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है. घाटे को कम करने के लिए लगातार बिजली सप्लाई के एवज में उपभोक्ताओं से बिल वसूली को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन, जिस उम्मीद के साथ पावर कॉरपोरेशन राजस्व वसूली अभियान चल रहा है. वह अभी फिलहाल कामयाब होता नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि राजस्व वसूली के लक्ष्य से उपकेंद्र काफी पीछे रह जा रहे हैं. उपभोक्ता बिजली तो जलाते हैं, लेकिन समय पर बिल जमा करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.

यही कारण है कि पावर कारपोरेशन का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. सिर्फ उपभोक्ता ही नहीं अब बिजली विभाग के कर्मचारी जो जमकर बिजली जलाते हैं और इसके एवज में उन्हें नाम मात्र का बिल भरना पड़ता है, इससे भी कारपोरेशन को काफी नुकसान होता है. इसी को ध्यान में रखकर विद्युत नियामक आयोग ने कुछ माह पहले विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, लेकिन जब बात बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर आई तो अभी तक मीटर लगाने को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा गया है.

घरेलू उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे कर्मचारी: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने अपने फैसले में कहा था कि बिजली कर्मचारियों यानी कि विभागीय कार्मिकों का जो एलएमवी- 10 था, उसे टैरिफ शेड्यूल्ड से बाहर कर दिया गया है. अब सभी बिजली कार्मिक घरेलू विद्युत उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे. सभी बिजली कार्मिकों के घरों पर अनिवार्य रूप से मीटर लगाने का आदेश आयोग की तरफ से दिया गया था.

मीटर की कमी से जूझ रहा कॉरपोरेशन: बिजली विभाग के कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने की कार्रवाई शुरू भी हो तो कैसे जब कारपोरेशन ही मीटरों की कमी से जूझ रहा है. नए उपभोक्ता कनेक्शन के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें पर समय पर कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है इसके पीछे कारण है मीटर की कमी होना. जब उपभोक्ताओं को ही विभाग मीटर नहीं उपलब्ध करा पा रहा है तो कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने में देरी हो भी क्यों नहीं. जब मीटर की आपूर्ति हो तब जाकर कार्मिकों के घर पर मीटर लगने शुरू हो पाएं. फिलहाल मीटर की कमी से कर्मचारी राहत ही महसूस कर रहे हैं.

क्या कहते हैं यूनियन नेता: नियामक आयोग ने जब बिजली कार्मिकों के घर पर मीटर लगाने का फैसला सुनाया तो इसे लेकर विरोध शुरू हो गया. बिजली कर्मचारी नेता अमिताभ सिन्हा का कहना है कि कर्मचारियों के घरों पर मीटर लगाने का कोई फायदा विभाग को नहीं मिलेगा, बल्कि घाटा ही होगा. उनका तर्क है कि अभी तक जिन उपभोक्ताओं के घरों पर मीटर लगे हैं वहां से भी वसूली हो पाने में काफी मुश्किलें आती हैं.

जबकि बिजली विभाग के कर्मचारियों से ऑटोमेटिक बिजली बिल की वसूली हो जाती है. उनके वेतन से ही बिजली बिल का पैसा कट जाता है. इसके एवज में हर माह 210 करोड रुपए बिना किसी मेहनत के पावर कारपोरेशन को मिल जाते हैं. जब मीटर लग जाएंगे तो घर घर जाकर वसूली करनी होगी इससे राजस्व लक्ष्य से और भी पीछे पावर कारपोरेशन रह जाएगा. लिहाजा, कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने का फैसला ठीक नहीं होगा.

असमर्थता जाहिर कर रहे अधिकारी: बिजली विभाग के अधिकारियों से जब बिजली कर्मचारियों के घरों पर कब से मीटर लगेंगे. इसे लेकर सवाल किया गया, तो वे कुछ भी बता पाने में असमर्थता जता रहे हैं. बस यही कहना है कि जल्द ही मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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