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आजादी के बाद राजधानी में आईं सिर्फ दो बड़ी कंपनियां, एक बंद तो दूसरी बंदी की कगार पर - यूपी समाचार

आजादी के 72 वर्षों में भी लखनऊ में सिर्फ दो बड़ी कंपनियां ही स्थापित हो सकी. इसमें से एक बड़ी कंपनी स्कूटर इंडिया करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है, तो दूसरी बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स बंदी की कगार पर है.

आजादी के बाद स्थापित हुई कंपनियां भी ठप.
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Published : Aug 15, 2019, 12:11 AM IST

लखनऊ: देश को आजाद हुए 72 वर्ष हो गए, लेकिन आजादी के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास की रफ्तार सुस्त ही रही है. आलम यह है कि आजादी के 72 वर्षों में भी लखनऊ में सिर्फ दो बड़ी कंपनियां ही स्थापित हो सकीं. आज की तारीख में एक बड़ी कंपनी करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है, तो दूसरी बंदी की कगार पर है.

आजादी के बाद स्थापित हुईं कंपनियां भी ठप.
लखनऊ में औद्योगिक विकास न के बराबर
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास न के बराबर होने की वजह से लोगों को रोजगार की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है. पिछली और वर्तमान सरकारों की तरफ से भी कुछ ऐसा नहीं किया गया, जिससे बड़ी कंपनियां यहां आकर निवेश कर सकें और लोगों को रोजगार मिल सके.
आजादी के बाद स्थापित हुईं कंपनियां भी ठप
लखनऊ में स्कूटर इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी दो बड़ी कंपनियां आजादी के बाद स्थापित हुईं, लेकिन इनमें से स्कूटर इंडिया करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है और पूरी तरह से उसका काम यहां से सिमट चुका है. वहीं टाटा मोटर्स की हालत भी बहुत ही नाजुक है और आने वाले कुछ महीनों में बंद हो सकती है.
औद्योगिक विकास की रफ्तार सुस्त
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि लखनऊ रेजिडेंशियल सिटी है. ऐसे में औद्योगिक विकास स्थापित होने में यहां बाधा बनी रही और लोगों का रुझान दूसरे अन्य शहरों और अन्य राज्यों में ज्यादा हुआ, जो चिंताजनक है. आजादी के बाद से अब तक सिर्फ और सिर्फ 2 बड़े उद्योग ही लखनऊ में लगाए जा सके. उनमें से एक पूरी तरह से बंद हो चुका है तो दूसरा बंदी की कगार पर है. यह राजधानी लखनऊ के लिए एक बहुत ही बड़ी विडंबना है.

आजादी के बाद से औद्योगिक इकाइयों के नाम पर लखनऊ में सिर्फ स्कूटर इंडिया लिमिटेड और टाटा मोटर्स ही लगे हैं और कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान लखनऊ में स्थापित नहीं हो पाया, जिसको हम देश के स्तर पर उसकी पहचान समझ सकें.
-संदीप सक्सेना, सदस्य, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ

लखनऊ: देश को आजाद हुए 72 वर्ष हो गए, लेकिन आजादी के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास की रफ्तार सुस्त ही रही है. आलम यह है कि आजादी के 72 वर्षों में भी लखनऊ में सिर्फ दो बड़ी कंपनियां ही स्थापित हो सकीं. आज की तारीख में एक बड़ी कंपनी करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है, तो दूसरी बंदी की कगार पर है.

आजादी के बाद स्थापित हुईं कंपनियां भी ठप.
लखनऊ में औद्योगिक विकास न के बराबर
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास न के बराबर होने की वजह से लोगों को रोजगार की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है. पिछली और वर्तमान सरकारों की तरफ से भी कुछ ऐसा नहीं किया गया, जिससे बड़ी कंपनियां यहां आकर निवेश कर सकें और लोगों को रोजगार मिल सके.
आजादी के बाद स्थापित हुईं कंपनियां भी ठप
लखनऊ में स्कूटर इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी दो बड़ी कंपनियां आजादी के बाद स्थापित हुईं, लेकिन इनमें से स्कूटर इंडिया करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है और पूरी तरह से उसका काम यहां से सिमट चुका है. वहीं टाटा मोटर्स की हालत भी बहुत ही नाजुक है और आने वाले कुछ महीनों में बंद हो सकती है.
औद्योगिक विकास की रफ्तार सुस्त
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि लखनऊ रेजिडेंशियल सिटी है. ऐसे में औद्योगिक विकास स्थापित होने में यहां बाधा बनी रही और लोगों का रुझान दूसरे अन्य शहरों और अन्य राज्यों में ज्यादा हुआ, जो चिंताजनक है. आजादी के बाद से अब तक सिर्फ और सिर्फ 2 बड़े उद्योग ही लखनऊ में लगाए जा सके. उनमें से एक पूरी तरह से बंद हो चुका है तो दूसरा बंदी की कगार पर है. यह राजधानी लखनऊ के लिए एक बहुत ही बड़ी विडंबना है.

आजादी के बाद से औद्योगिक इकाइयों के नाम पर लखनऊ में सिर्फ स्कूटर इंडिया लिमिटेड और टाटा मोटर्स ही लगे हैं और कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान लखनऊ में स्थापित नहीं हो पाया, जिसको हम देश के स्तर पर उसकी पहचान समझ सकें.
-संदीप सक्सेना, सदस्य, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ

Intro:एंकर
लखनऊ। देश को आजाद हुए 72 वर्ष हो गए, लेकिन आजादी के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास की रफ्तार सुस्त ही रही। आलम यह रहा कि इन 72 वर्षों में लखनऊ में सिर्फ दो बड़ी कंपनियां ही स्थापित हो सकी। आज की तारीख में एक बड़ी कंपनी करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है तो दूसरी बड़ी कंपनी की कगार पर है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास ना के बराबर होने की वजह से लोगों को रोजगार की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है सरकारों के स्तर पर इस प्रकार का माहौल नहीं बनाया जा सका इससे बड़ी कंपनियां यहां पर आ सकें और अपने उद्योग स्थापित करें और लोगों को रोजगार मुहैया करा सके।




Body:वीओ
लखनऊ में स्कूटर इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी दो बड़ी कंपनियां आजादी के बाद स्थापित हुई लेकिन इनमें से स्कूटर इंडिया करीब 20 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी है और पूरी तरह से उसका काम यहां से सिमट चुका है जबकि टाटा मोटर्स भी अब लखनऊ से अपने आप को हटा रहे हैं और आने वाले कुछ महीनों में टाटा मोटर्स लखनऊ में बंद हो सकती है।
ऐसा यह जानकार बता रहे हैं ऐसे में समझा जा सकता है कि देश की आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास की रफ्तार सुस्त बनी रहे इसके पीछे सरकार की तरफ से सुविधाएं ना मिलना बड़ी बात आ रही है।
वहीं कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि लखनऊ रेजिडेंशियल सिटी है ऐसे में औद्योगिक विकास स्थापित होने में भी यहां बाधा बनी रही और लोगों का रुझान दूसरे अन्य शहरों व अन्य राज्यों में ज्यादा हुआ लेकिन चिंताजनक है।
आजादी के बाद से अब तक सिर्फ और सिर्फ बड़े उद्योग ही लखनऊ में लगाए जा सके उनमें से एक पूरी तरह से बंद हो चुका है तो दूसरा बंदी की कगार पर है यह बड़ी विडंबना बनी हुई है।


बाईट
संदीप सक्सेना, सदस्य, फिक्की ( भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ)
आजादी के बाद से औद्योगिक इकाइयों के नाम पर लखनऊ में सिर्फ स्कूटर इंडिया लिमिटेड और टाटा मोटर्स ही लगे हैं और कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान लखनऊ में स्थापित नहीं हो पाया जिसको हम देश के स्तर पर उसकी पहचान समझ सके सबसे बड़ी परेशानी उद्योग घरानों के लिए रहती है कंप्लायंसेज की जिसमें बहुत सारी चैलेंज होते हैं मैन पावर की भी समस्या रहती है उद्योग जगत के लिए अच्छा माहौल भी अभी तक नहीं मिल पाया औद्योगिक घरानों के लिए यह बड़ी समस्या रहती है और उन्हें यह स्थिति नहीं दिखती कि आगे क्या होगा अभी वह इन्वेस्टमेंट कर दें और उसके बाद फिर क्या होगा कोई देखने वाला होगा नहीं होगा यह एक बड़ी समस्या बनी रहती है इसी के कारण औद्योगिक इकाइयां स्थापित नहीं हो पाई।



Conclusion:वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ सरकार अब उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर तमाम दावे कर रही है और अभी पिछले दिनों इन्वेस्टर समिट भी आयोजित की गई थी जिसमें काफी संख्या में निवेश की बात कही गई है अब आने वाले दिनों में यह देखने की बात होगी कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कितने उद्योग लगाए जा सकते हैं अभी तक सिर्फ और सिर्फ घोषणाएं ही हुई है।
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