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संगीत नाटक अकादमी लखनऊ में तरासा जाएगा कला साधकों का हुनर, Anonymous Artists करेंगे यह काम

संगीत नाटक अकादमी ने पांच जिलों के एक-एक माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को संगीत व वाद्य यंत्र की शिक्षा देने का निर्णय लिया है. इसके अलावा विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेज में ऐसी सुविधा दी जाएगी. इसके लिए संगीत नाटक अकादमी प्रशासन ने गुमनामी का जीवन बिता रहे कलाकारों (Anonymous Artists) की मदद लेने की योजना बनाई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 8:57 PM IST

संगीत नाटक अकादमी लखनऊ की विशेष पहल की जानकारी देते निदेशक डाॅ. शोभित कुमार नाहर.

लखनऊ : प्रदेश के दूरस्थ एवं ग्रामीण परिवेश में रह रहे युवा व उम्र दराज लोगों को संगीत सीखने की संभावना को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) अब खुद आगे आया है. संस्थान अब ऐसे कलाकारों को तलाश कर उनकी प्रतिभा को निखारने और उनका प्रदर्शन कराएगी जो मोजूदा वक्त गुमनामी में हैं. संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़ दें तो शेष जिलों में संगीत सीखने की बेहतर व्यवस्था नहीं है. ऐसे में दूरस्थ जिलों की नई पीढ़ी को संगीत से जोड़ने के लिए अकादमी की ओर से एक पहल शुरू की गई है. इसके तहत प्रदेश के शिक्षण संस्थाओं का चयन कर वहां पर बच्चों को संगीत शिक्षा दी जाएगी. साथ ही विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज से अनुबंध कर वहां भी वर्कशॉप कराई जाएंगी.

संगीत नाटक अकादमी की पहल के लिए विश्वविद्यालयों से अनुबंध.
संगीत नाटक अकादमी की पहल के लिए विश्वविद्यालयों से अनुबंध.
संगीत नाटक अकादमी की पहल से प्रतिभाओं का मिलेगा मंच.
संगीत नाटक अकादमी की पहल से प्रतिभाओं का मिलेगा मंच.





पहले चरण में पांच जिलों को किया गया शामिल : एसएनए के डायरेक्टर डॉ. शोभित कुमार नाहर ने बताया कि गायन, वादन और नृत्य से जुड़ी विधाओं को सीखने के लिए प्रदेश के कई जिलों में अब भी सही साधन मौजूद नहीं हैं. विशेष तौर पर छोटे जिलों में तो विद्यालय स्तर पर संगीत की शिक्षा देने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. हालांकि नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 में विद्यालय स्तर पर संगीत शिक्षा देने की बात कही गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए संगीत नाटक अकादमी ने संगीत व उससे जुड़ी चीजों को उभारने के साथ ही ग्रामीण परिवेश के युवा और संगीत प्रेमियों को मौका देने की शुरुआत की है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के पांच जिलों महोबा, शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर और गोंडा के एक-एक माध्यमिक विद्यालय का चयन किया गया है. इन विद्यालयों में एसएनए की तरफ से संगीत विद्या से जुड़े विशेषज्ञों को संगीत शिक्षा देने के लिए भेजा जाएगा.

भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल कलाकार व अतिथि.
भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल कलाकार व अतिथि.


भातखंडे संस्कृति विवि में समारोह : भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में संगीत के मैहर घराने के संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खां की बेटी सितार वादिका अन्नपूर्णा देवी की स्मृति में तीन दिवसीय अन्नपूर्णेश्वरी समारोह की शुरुआत हुई. जिसमें अन्नपूर्णा देवी के शिष्य बांसुरी वादक पं नित्यानंद हल्दीपुर, सरोद वादक पं बसंत काबरा और सितार वादिका विदुषी संध्या आप्टे स्टूडेंट्स को संगीत के गुर सिखा रहे हैं. इससे पहले विश्वविद्यालय परिसर में संगीतज्ञों ने स्टूडेंट्स को संगीत का प्रशिक्षण दिया. अलाउद्दीन खां की जीवन यात्रा पर पं लच्छू महाराज कक्ष में प्रदर्शनी लगाई गई.

भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित प्रदर्शनी.
भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित प्रदर्शनी.

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर माधवी सिंह ने बताया कि बात करने संगीत विश्वविद्यालय का पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है. संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय के पढ़े हुए कई छात्र आज देश-विदेश में अपना नाम कर रहे हैं. बीते कुछ समय से विश्वविद्यालय की प्रगति की गति काफी रुक सी गई थी. अब शासन ने इस विश्वविद्यालय को एक पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा देने के साथ ही यहां के छात्रों और संगीत से जुड़े लोगों को नहीं पहचान देने के लिए काफी प्रयास किया है. यह विश्वविद्यालय पढ़ाई के साथ ही परफॉर्मिंग आर्ट्स और संगीत से जुड़ा विश्वविद्यालय है यहां पर छात्रों को किताबी शिक्षा के महत्व के साथ ही संगीत व गायन का अनुभव इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से मिलना एक बड़ी उपलब्धि है. हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय में पढ़ रहे सभी छात्रों को आने वाले दिनों में इसी तरह सीखे आयोजनों के माध्यम से देश के नामी कलाकारों से सीखने का मौका लगातार मिलता रहे.


प्रो कमलेश दुबे ने बताया कि 3 नवंबर से 5 नवंबर तक विश्वविद्यालय परिसर में संगीत कार्यशालाएं होंगी. कार्यशाला में बांसुरी वादक पं नित्यानंद हल्दीपुर, सरोद वादक पं बसंत काबरा और सितार वादिका विदुषी संध्या आप्टे गुर सिखाएंगे. 4 नवंबर को उस्ताद अलाउद्दीन खां पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई जाएगी. कार्यक्रम के अंतिम दिन विश्वविद्यालय के सभाकर कलामंडलम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी मौजूद होंगी. इसके बाद कार्यक्रम में विदुषी संध्या आप्टे सितार पर पंडित नित्यानंद हल्दी पूरी बांसुरी पंडित वसंत काबरा सरोद पर होंगे. संगत में उस्ताद अकरम खान, डॉ. मनोज कुमार मिश्रा शामिल होंगे.

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र उपेक्षा का शिकार, गुरु बिना कथक सीखने वाले लाचार

पंडित छन्नूलाल समेत काशी की तीन हस्तियों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

संगीत नाटक अकादमी लखनऊ की विशेष पहल की जानकारी देते निदेशक डाॅ. शोभित कुमार नाहर.

लखनऊ : प्रदेश के दूरस्थ एवं ग्रामीण परिवेश में रह रहे युवा व उम्र दराज लोगों को संगीत सीखने की संभावना को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) अब खुद आगे आया है. संस्थान अब ऐसे कलाकारों को तलाश कर उनकी प्रतिभा को निखारने और उनका प्रदर्शन कराएगी जो मोजूदा वक्त गुमनामी में हैं. संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़ दें तो शेष जिलों में संगीत सीखने की बेहतर व्यवस्था नहीं है. ऐसे में दूरस्थ जिलों की नई पीढ़ी को संगीत से जोड़ने के लिए अकादमी की ओर से एक पहल शुरू की गई है. इसके तहत प्रदेश के शिक्षण संस्थाओं का चयन कर वहां पर बच्चों को संगीत शिक्षा दी जाएगी. साथ ही विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज से अनुबंध कर वहां भी वर्कशॉप कराई जाएंगी.

संगीत नाटक अकादमी की पहल के लिए विश्वविद्यालयों से अनुबंध.
संगीत नाटक अकादमी की पहल के लिए विश्वविद्यालयों से अनुबंध.
संगीत नाटक अकादमी की पहल से प्रतिभाओं का मिलेगा मंच.
संगीत नाटक अकादमी की पहल से प्रतिभाओं का मिलेगा मंच.





पहले चरण में पांच जिलों को किया गया शामिल : एसएनए के डायरेक्टर डॉ. शोभित कुमार नाहर ने बताया कि गायन, वादन और नृत्य से जुड़ी विधाओं को सीखने के लिए प्रदेश के कई जिलों में अब भी सही साधन मौजूद नहीं हैं. विशेष तौर पर छोटे जिलों में तो विद्यालय स्तर पर संगीत की शिक्षा देने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. हालांकि नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 में विद्यालय स्तर पर संगीत शिक्षा देने की बात कही गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए संगीत नाटक अकादमी ने संगीत व उससे जुड़ी चीजों को उभारने के साथ ही ग्रामीण परिवेश के युवा और संगीत प्रेमियों को मौका देने की शुरुआत की है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के पांच जिलों महोबा, शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर और गोंडा के एक-एक माध्यमिक विद्यालय का चयन किया गया है. इन विद्यालयों में एसएनए की तरफ से संगीत विद्या से जुड़े विशेषज्ञों को संगीत शिक्षा देने के लिए भेजा जाएगा.

भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल कलाकार व अतिथि.
भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल कलाकार व अतिथि.


भातखंडे संस्कृति विवि में समारोह : भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में संगीत के मैहर घराने के संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खां की बेटी सितार वादिका अन्नपूर्णा देवी की स्मृति में तीन दिवसीय अन्नपूर्णेश्वरी समारोह की शुरुआत हुई. जिसमें अन्नपूर्णा देवी के शिष्य बांसुरी वादक पं नित्यानंद हल्दीपुर, सरोद वादक पं बसंत काबरा और सितार वादिका विदुषी संध्या आप्टे स्टूडेंट्स को संगीत के गुर सिखा रहे हैं. इससे पहले विश्वविद्यालय परिसर में संगीतज्ञों ने स्टूडेंट्स को संगीत का प्रशिक्षण दिया. अलाउद्दीन खां की जीवन यात्रा पर पं लच्छू महाराज कक्ष में प्रदर्शनी लगाई गई.

भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित प्रदर्शनी.
भातखंड संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित प्रदर्शनी.

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर माधवी सिंह ने बताया कि बात करने संगीत विश्वविद्यालय का पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है. संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय के पढ़े हुए कई छात्र आज देश-विदेश में अपना नाम कर रहे हैं. बीते कुछ समय से विश्वविद्यालय की प्रगति की गति काफी रुक सी गई थी. अब शासन ने इस विश्वविद्यालय को एक पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा देने के साथ ही यहां के छात्रों और संगीत से जुड़े लोगों को नहीं पहचान देने के लिए काफी प्रयास किया है. यह विश्वविद्यालय पढ़ाई के साथ ही परफॉर्मिंग आर्ट्स और संगीत से जुड़ा विश्वविद्यालय है यहां पर छात्रों को किताबी शिक्षा के महत्व के साथ ही संगीत व गायन का अनुभव इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से मिलना एक बड़ी उपलब्धि है. हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय में पढ़ रहे सभी छात्रों को आने वाले दिनों में इसी तरह सीखे आयोजनों के माध्यम से देश के नामी कलाकारों से सीखने का मौका लगातार मिलता रहे.


प्रो कमलेश दुबे ने बताया कि 3 नवंबर से 5 नवंबर तक विश्वविद्यालय परिसर में संगीत कार्यशालाएं होंगी. कार्यशाला में बांसुरी वादक पं नित्यानंद हल्दीपुर, सरोद वादक पं बसंत काबरा और सितार वादिका विदुषी संध्या आप्टे गुर सिखाएंगे. 4 नवंबर को उस्ताद अलाउद्दीन खां पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई जाएगी. कार्यक्रम के अंतिम दिन विश्वविद्यालय के सभाकर कलामंडलम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी मौजूद होंगी. इसके बाद कार्यक्रम में विदुषी संध्या आप्टे सितार पर पंडित नित्यानंद हल्दी पूरी बांसुरी पंडित वसंत काबरा सरोद पर होंगे. संगत में उस्ताद अकरम खान, डॉ. मनोज कुमार मिश्रा शामिल होंगे.

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