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सहकारिता भर्ती घोटाला: पूर्व आईएएस ने रचा था षड्यंत्र, सपा एमएलसी का बेटा रडार पर

सहकारिता भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के अनुसार, परीक्षा लेने वाली एजेंसी और अफसरों के बीच मिलीभगत नजर आ रही है. जांच में सामने आ रहा कि एक पूर्व आईएएस और सपा एमएलसी के बेटे ने मिलकर फर्जीवाड़ किया है.

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Published : May 30, 2021, 3:21 PM IST

सहकारिता भर्ती घोटाला
सहकारिता भर्ती घोटाला

लखनऊ : सहकारिता विभाग के भर्ती घोटाले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि पंचम तल में ही भर्ती घोटाले का षडयंत्र रचा गया था. पंचम तल के एक पूर्व आईएएस, जो सत्ता के काफी करीबी थे. उन्होंने सपा के पूर्व एमएलसी के बेटे सुधीश कुमार और अपने एक रिश्तेदार को स्थापित कराया और फर्जीवाड़े को अंजाम दिलाया. एसआईटी की राडार पर पूर्व एमएलसी का बेटा है. घोटाले में उसे नामजद भी किया गया है. खुलासा हुआ है कि सपा ही नहीं बल्कि बसपा की पूर्ववर्ती सरकार में भी इसी गठजोड़ का बोल-बाला था. नतीजतन, बसपा शासनकाल में भी इसी तर्ज पर फर्जीवाड़ा कर भर्तियां हुईं. भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार में भी आरोप लगे लेकिन जांचें नहीं हुईं.

पूर्व आईएएस ने अपने रिश्तेदार को भर्ती और परिणाम बनाने का दिलाया था काम

तत्कालीन पूर्व आईएएस ने ही अपने रिश्तेदार राम प्रवेश को ही भर्ती के लिए कंप्यूटर स्कैनिंग आदि के साथ परिणाम बनाने का काम दिलाया था. उनके ही इशारे पर वर्ष 2015 से 2017 के बीच अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में भी अपने रिश्तेदार को धड़ल्ले से काम दिलाया. फिलहाल राम प्रवेश अभी जेल में है. उसे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुए भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया था. एसआईटी उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करने का मन बना रही है. एसआईटी का दावा है कि पूछताछ में कई बड़े खुलासे होंगे.

अपर निबंधक से रिटायर होकर बने एमएलसी, बेटे की कराई भर्ती

एसआईटी ने सहकारिता भर्ती घोटाले में 6 एफआईआर दर्ज कराई है. इनमें से ग्रामीण सहकारी बैंक में हुई भर्तियों में पूर्व एमएलसी (अब दिवंगत) का बेटा सुधीश कुमार यादव नामजद है. एसआईटी के मुताबिक, इनके पिता सहकारिता विभाग से अपर निबंधक के पद से रिटायर हुए और बाद में समाजवादी पार्टी के खासे करीबी हो गए. उन्हें पिछली सरकार में समाजवादी पार्टी ने एमएलसी बनाया. एसआईटी के अधिकारियों का कहना है कि सभी भर्तियों के आदेश इन पूर्व एमएलसी की मनमर्जी पर ही अमल में लाए जाते थे. इन पूर्व एमएलसी के बेटे की भर्ती वर्ष 1984 में हुई थी.

भर्ती में विशेष जाति व इटावा, आजमगढ़ और कन्नौज का रहा दबदबा

एसआईटी के अफसरों की मानें तो सहकारिता विभाग की भर्ती में एक विशेष जाति व इटावा, आजमगढ़ और कन्नौज के लोगों का दबदबा रहा. तत्कालीन सरकार के मंत्रियों, अधिकारियों व उनके रिश्तेदारों की जमकर भर्ती कराई गई. इसके एवज में मोटी रकम भी वसूल की गई. सूची ऊपर से आती और अधिकारियों को उसे समायोजित करना पड़ता था. इस वसूली का हिसाब ऊपर तक बताया जाता और एवज में कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने चहेतों-रिश्तेदारों को भर्ती की छूट होती.

बसपा सरकार में भी हुआ फर्जीवाड़ा

सहकारिता भर्ती घोटाले में बसपा सरकार में भी जमकर फर्जीवाड़ा हुआ. एसआईटी की जांच में सामने आया है कि यह गठजोड़ बहुजन समाज पार्टी की सरकार में भी सक्रिय था. सरकार बनने से पहले इन घोटालों की जांच कराने के दावे किए जाते रहे लेकिन, सत्तारूढ़ होने के बाद कुछ नहीं हुआ. बसपा शासन काल में सहकारी ग्राम विकास बैंक के एमडी रहे नवल किशोर पर 99 भर्तियां की गई थी. सहकारिता की शाखा एसआईबी ने उनके खिलाफ एफआईआर की लेकिन भर्तियों की जांच नहीं की गई. उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया. इस भर्ती में बांदा, अतर्रा और झांसी के ज्यादातर लोग थे. वहीं, भाजपा शासनकाल में भी सेवामंडल पर आरोप लगे थे. इनमें मुख्य रूप से सहकारिता विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ सक्रिय रहता था. साथ ही तत्कालीन मंत्री के कुछ नजदीकी रिश्तेदारों पर भी आरोप लगे लेकिन, जांच न होने के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

मुकदमा दर्ज होने के बाद भी विभागीय कामकाज में जुटे हैं एमडी

एसआईटी द्वारा भर्ती घोटाले में नामजद किए गए यूपीसीबी के एमडी भूपेंद्र कुमार विश्नोई, अब भी मुख्यालय से निर्देशों को जारी करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने जिलों के जिला सहकारी बैंकों को अपर मुख्य सचिव सहकारिता द्वारा, एक जून को की जाने वाली वीडियो कांफ्रेसिंग से जुड़ने का पत्र जारी किया. मुकदमा दर्ज होने के बाद अभी तक एमडी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना, विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है.

लखनऊ : सहकारिता विभाग के भर्ती घोटाले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि पंचम तल में ही भर्ती घोटाले का षडयंत्र रचा गया था. पंचम तल के एक पूर्व आईएएस, जो सत्ता के काफी करीबी थे. उन्होंने सपा के पूर्व एमएलसी के बेटे सुधीश कुमार और अपने एक रिश्तेदार को स्थापित कराया और फर्जीवाड़े को अंजाम दिलाया. एसआईटी की राडार पर पूर्व एमएलसी का बेटा है. घोटाले में उसे नामजद भी किया गया है. खुलासा हुआ है कि सपा ही नहीं बल्कि बसपा की पूर्ववर्ती सरकार में भी इसी गठजोड़ का बोल-बाला था. नतीजतन, बसपा शासनकाल में भी इसी तर्ज पर फर्जीवाड़ा कर भर्तियां हुईं. भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार में भी आरोप लगे लेकिन जांचें नहीं हुईं.

पूर्व आईएएस ने अपने रिश्तेदार को भर्ती और परिणाम बनाने का दिलाया था काम

तत्कालीन पूर्व आईएएस ने ही अपने रिश्तेदार राम प्रवेश को ही भर्ती के लिए कंप्यूटर स्कैनिंग आदि के साथ परिणाम बनाने का काम दिलाया था. उनके ही इशारे पर वर्ष 2015 से 2017 के बीच अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में भी अपने रिश्तेदार को धड़ल्ले से काम दिलाया. फिलहाल राम प्रवेश अभी जेल में है. उसे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुए भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया था. एसआईटी उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करने का मन बना रही है. एसआईटी का दावा है कि पूछताछ में कई बड़े खुलासे होंगे.

अपर निबंधक से रिटायर होकर बने एमएलसी, बेटे की कराई भर्ती

एसआईटी ने सहकारिता भर्ती घोटाले में 6 एफआईआर दर्ज कराई है. इनमें से ग्रामीण सहकारी बैंक में हुई भर्तियों में पूर्व एमएलसी (अब दिवंगत) का बेटा सुधीश कुमार यादव नामजद है. एसआईटी के मुताबिक, इनके पिता सहकारिता विभाग से अपर निबंधक के पद से रिटायर हुए और बाद में समाजवादी पार्टी के खासे करीबी हो गए. उन्हें पिछली सरकार में समाजवादी पार्टी ने एमएलसी बनाया. एसआईटी के अधिकारियों का कहना है कि सभी भर्तियों के आदेश इन पूर्व एमएलसी की मनमर्जी पर ही अमल में लाए जाते थे. इन पूर्व एमएलसी के बेटे की भर्ती वर्ष 1984 में हुई थी.

भर्ती में विशेष जाति व इटावा, आजमगढ़ और कन्नौज का रहा दबदबा

एसआईटी के अफसरों की मानें तो सहकारिता विभाग की भर्ती में एक विशेष जाति व इटावा, आजमगढ़ और कन्नौज के लोगों का दबदबा रहा. तत्कालीन सरकार के मंत्रियों, अधिकारियों व उनके रिश्तेदारों की जमकर भर्ती कराई गई. इसके एवज में मोटी रकम भी वसूल की गई. सूची ऊपर से आती और अधिकारियों को उसे समायोजित करना पड़ता था. इस वसूली का हिसाब ऊपर तक बताया जाता और एवज में कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने चहेतों-रिश्तेदारों को भर्ती की छूट होती.

बसपा सरकार में भी हुआ फर्जीवाड़ा

सहकारिता भर्ती घोटाले में बसपा सरकार में भी जमकर फर्जीवाड़ा हुआ. एसआईटी की जांच में सामने आया है कि यह गठजोड़ बहुजन समाज पार्टी की सरकार में भी सक्रिय था. सरकार बनने से पहले इन घोटालों की जांच कराने के दावे किए जाते रहे लेकिन, सत्तारूढ़ होने के बाद कुछ नहीं हुआ. बसपा शासन काल में सहकारी ग्राम विकास बैंक के एमडी रहे नवल किशोर पर 99 भर्तियां की गई थी. सहकारिता की शाखा एसआईबी ने उनके खिलाफ एफआईआर की लेकिन भर्तियों की जांच नहीं की गई. उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया. इस भर्ती में बांदा, अतर्रा और झांसी के ज्यादातर लोग थे. वहीं, भाजपा शासनकाल में भी सेवामंडल पर आरोप लगे थे. इनमें मुख्य रूप से सहकारिता विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ सक्रिय रहता था. साथ ही तत्कालीन मंत्री के कुछ नजदीकी रिश्तेदारों पर भी आरोप लगे लेकिन, जांच न होने के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

मुकदमा दर्ज होने के बाद भी विभागीय कामकाज में जुटे हैं एमडी

एसआईटी द्वारा भर्ती घोटाले में नामजद किए गए यूपीसीबी के एमडी भूपेंद्र कुमार विश्नोई, अब भी मुख्यालय से निर्देशों को जारी करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने जिलों के जिला सहकारी बैंकों को अपर मुख्य सचिव सहकारिता द्वारा, एक जून को की जाने वाली वीडियो कांफ्रेसिंग से जुड़ने का पत्र जारी किया. मुकदमा दर्ज होने के बाद अभी तक एमडी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना, विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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