मथुराः धर्म नगरी वृंदावन में वैष्णव कुम्भ मेला बैठक का विधिवत शुभारंभ 16 फरवरी को बसन्त पंचमी से ध्वजारोहण के साथ हुआ. इससे पूर्व जहां शासन-प्रशासन द्वारा मेला में आने वाले साधु संतों और भक्तों की सुविधा के लिए तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं. वहीं मेला क्षेत्र में सभी अखाड़े, खालसा व संप्रदायों के शिविर सजकर तैयार हो गए हैं. यहां संतों का प्रवास भी शुरू हो गया है.
वहीं ध्वजारोहण की पूर्व संध्या पर सोमवार को ब्रह्मर्षि देवराह बाबा घाट पर यमुना पूजन का आयोजन किया गया. जहां सभी अखाड़े, खालसा एवं संप्रदायों के संतों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य मोक्षदायिनी यमुना मइया का पूजन कर कुंभ मेला को सफलता पूर्वक संपन्न कराने की कामना की गई.
महंत रामस्वरूप दास ब्रह्मचारी ने जानकारी दी
जानकारी देते हुए महंत रामस्वरूप दास ब्रह्मचारी ने बताया कि वैदिक सनातन हिंदू संस्कृति में कुंभ को अनादि कहा जाता है. अनादि इसलिए कहा जाता है दैत्य और देवताओं के बीच अमृत कलश को लेकर के संघर्ष हुआ था, युद्ध हुआ था और उस कलश को गरुड़ जी बचाने के लिए लेकर भागे थे. क्योंकि दैत्य उसका अपरहण कर रहे थे.
कुंभ मेला शुभारंभ की पूर्व संध्या पर हुआ यमुना पूजन
मंगलवार से कुंभ मेले का धर्म नगरी वृंदावन में आयोजन होने जा रहा है, जिसको लेकर शासन प्रशासन द्वारा तैयारियां पूर्ण कर ली गई है. इसी क्रम में सोमवार को ब्रह्मर्षि देवराह बाबा घाट पर यमुना पूजन का आयोजन किया गया. जहां सभी अखाड़े, खालसा एवं संप्रदायों के संतों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य मोक्षदायिनी यमुना मइया का पूजन कर कुंभ मेला को सफलता पूर्वक संपन्न कराने की कामना की गई.