लखनऊ (lucknow): प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरते समय जटिल प्रक्रिया को सरल करने के उद्देश्य से राजस्व भूमि के प्रमाण के रूप में खतौनी अपलोड करने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है. इस सुविधा का दुरुपयोग करते हुए यदि कोई अराजक तत्व व गन्ना माफिया गड़बड़ी करते हैं तो उन्हें विभाग आसानी से चिह्नित कर लेगा.
गन्ना आयुक्त ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विभाग द्वारा किसानों के रकबे का मिलान राजस्व विभाग द्वारा प्रदत्त भूलेख एपीआई से अनिवार्य रूप से किया जाएगा. यदि किसी भी किसान द्वारा जानबूझकर अपने रकबे को गलत दर्शाया गया तो गलत डाटा भरने पर संबंधित किसान का सट्टालॉक करते हुए गन्ना मूल्य भुगतान रोक दिया जाएगा. साथ ही सदस्यता खारिज करने की कार्यवाही भी कर दी जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि सट्टा लॉक होने पर किसी भी प्रकार की पर्ची निर्गत नहीं हो पाएगी.
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उल्लेखनीय है कि विभाग के पास गन्ना किसानों का गत 05 वर्ष का महत्वपूर्ण डाटा उपलब्ध है. विभागीय सॉफ्टवेयर में ऐसी व्यवस्था भी उपलब्ध है कि जिस भी किसान ने अपने रकबे में परिवर्तन किया, वह ईआरपी सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्वतः चिह्नित हो जाएंगे.
गन्ना आयुक्त ने किसानों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि खतौनी अपलोड करने की अनिवार्यता को समाप्त करना विभाग द्वारा किसान हित में उठाया हुआ कदम है. इसमें कोई भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. फिर भी यदि शिकायत पाई गयी तो सघन जांच दल द्वारा मौके पर भौतिक सत्यापन कराने के बाद कड़ी कार्यवाही की जाएगी.