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केजीएमयू में बिना टिटनस इंजेक्शन हो रहे ऑपरेशन

टिटबैक (टेटनस) गर्भावस्था में लगाने वाला एक जरूरी इंजेक्शन है. यह किसी तरह के चोट लगने, खरोच आने, जलने आदि पर लगाया जाता है ताकि टेटनस ना हो. केजीएमयू के एक डॉक्टर ने बताया कि टेटनस का इंजेक्शन बेहद जरूरी है. टीटी इंजेक्शन टेटनस के साथ डिप्थीरिया की रोकथाम के लिए लगाया जाता है

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Published : Mar 30, 2019, 1:01 PM IST

लखनऊ: केजीएमयू में बिना टेटनस के इंजेक्शन लगाए ऑपरेशन किए जा रहे हैं. यहां करीब दो महीनों से टेटनस के इंजेक्शन की आपूर्ति बनी हुई है. इतना ही नहीं पूरे शहर भर में टेटनस के इंजेक्शन की भारी कमी देखने को पड़ रही है.

इतना ही नहीं आसपास के निजी मेडिकल स्टोर पर भी टेटनस के इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो चुका है. बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल व अन्य सरकारी अस्पतालों में बचे हुए इंजेक्शन से काम चलाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को टेटनस होने का खतरा बना हुआ है.

केजीएमयू में बिना टिटनस इंजेक्शन हो रहे ऑपरेशन.

कांच, लोहा या किसी अन्य चीज से चोट लगने पर टेटनस होने की आशंका रहती है. इससे बचने के लिए तत्काल टिटबैक लगाया जाता है. ऐसी स्थिति में ट्रामा सेंटर में आने वाले दुर्घटना ग्रस्त मरीजों की बिना टिटबैक के इलाज किया जा रहा है. इन मरीजों में टेटनस होने का खतरा बना हुआ है, क्योंकि यहां आने वाले मरीजों के विभिन्न अंग दुर्घटना में लोहे व कांच से कट जाते हैं. इनको टिटबैक लगाना जरूरी होता है.

इसी तरह ऑपरेशन के वक्त भी इसकी जरूरत पड़ती है. इस पूरे मामले पर ईटीवी ने केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एस. एन शंखवार से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने कंपनी द्वारा आपूर्ति ना करने की बात कही.

वहीं जब टेटनस की किल्लत पर लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेंद्र अग्रवाल से बातचीत की गई, तो उन्होंने किल्लत की बात तो कबूली लेकिन कहा कि बचे हुए स्टॉक से काम चलाया जा रहा है.

लखनऊ: केजीएमयू में बिना टेटनस के इंजेक्शन लगाए ऑपरेशन किए जा रहे हैं. यहां करीब दो महीनों से टेटनस के इंजेक्शन की आपूर्ति बनी हुई है. इतना ही नहीं पूरे शहर भर में टेटनस के इंजेक्शन की भारी कमी देखने को पड़ रही है.

इतना ही नहीं आसपास के निजी मेडिकल स्टोर पर भी टेटनस के इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो चुका है. बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल व अन्य सरकारी अस्पतालों में बचे हुए इंजेक्शन से काम चलाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को टेटनस होने का खतरा बना हुआ है.

केजीएमयू में बिना टिटनस इंजेक्शन हो रहे ऑपरेशन.

कांच, लोहा या किसी अन्य चीज से चोट लगने पर टेटनस होने की आशंका रहती है. इससे बचने के लिए तत्काल टिटबैक लगाया जाता है. ऐसी स्थिति में ट्रामा सेंटर में आने वाले दुर्घटना ग्रस्त मरीजों की बिना टिटबैक के इलाज किया जा रहा है. इन मरीजों में टेटनस होने का खतरा बना हुआ है, क्योंकि यहां आने वाले मरीजों के विभिन्न अंग दुर्घटना में लोहे व कांच से कट जाते हैं. इनको टिटबैक लगाना जरूरी होता है.

इसी तरह ऑपरेशन के वक्त भी इसकी जरूरत पड़ती है. इस पूरे मामले पर ईटीवी ने केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एस. एन शंखवार से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने कंपनी द्वारा आपूर्ति ना करने की बात कही.

वहीं जब टेटनस की किल्लत पर लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेंद्र अग्रवाल से बातचीत की गई, तो उन्होंने किल्लत की बात तो कबूली लेकिन कहा कि बचे हुए स्टॉक से काम चलाया जा रहा है.

Intro:एंकर- केजीएमयू मैं मीना टिटनेस के इंजेक्शन के ऑपरेशन हो रहा है। यहां करीब 2 माह से टिटनेस के इंजेक्शन की आपूर्ति बनाई हुई है। इतना ही नहीं पूरे शहर भर में टिटनेस के इंजेक्शन की भारी कमी झेलनी पड़ रही है।


Body:वी.ओ- केजीएमयू में बिना टेटनेस इंजेक्शन के ऑपरेशन हो रहा है। यहां करीब 2 माह से टिटनेस के इंजेक्शन की आपूर्ति ही नहीं हुई है। इतना ही नहीं आसपास के निजी मेडिकल स्टोर पर यह इंजेक्शन नहीं बचा है। बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल व अन्य सरकारी अस्पतालों में बच्चे इंजेक्शन से काम चलाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को टिटनेस होने का खतरा बना हुआ है कांच लोहा या किसी अन्य चीज से चोट लगने पर टिटनेस होने की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए तत्काल टिटबैक लगाया जाता है ऐसी स्थिति में ट्रामा सेंटर में आने वाले दुर्घटना ग्रस्त मरीजों बिना टिट वैक के इलाज किया जा रहा है। इन मरीजों में टिटनेस होने का खतरा बना हुआ है क्योंकि यहां आने वाले मरीजों के विभिन्न अंग दुर्घटना में लोहे व कांच से कट जाते हैं। इनको टिट वैक लगाना जरूरी होता है और इसी तरह ऑपरेशन के वक्त भी इसकी जरूरत पड़ती है। इस पूरे मामले पर हमले जानकारी के लिए केजीएमयू के सीएमएस से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने कंपनी द्वारा आपूर्ति ना करने की बात कही।

बाइट- डॉ. एस. एन शंखवार,सीएमएस, केजीएमयू

वी.ओ- आपको बता दें कि इस जरूरी क्यों है आखिर टिट वैक गर्भावस्था में लगाने वाला एक जरूरी इंजेक्शन है यह किसी तरह के चोट लगने, खरोच आने ,जलने आदि पर लगाया जाता है। ताकि टिटनेस ना हो केजीएमयू के डॉक्टर हिमांशु से जब हमने बातचीत की टिट वैक लगाना उन्होंने बताया कि बेहद जरूरी है। जबकि टीटी इंजेक्शन फिटनेस के साथ डिप्थीरिया की रोकथाम के लिए लगाया जाता है। चोट लगने वालों को टिटबैक का इंजेक्शन देकर ही हम टिटनेस को रोक सकते हैं। वही जब टिटनेस की किल्लत पर हमने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बातचीत की तो उन्होंने किल्लत की बात तो कबूली लेकिन कहा कि बचे हुए स्टॉक से काम चला रहे हैं।

बाइट- डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, सीएमओ, लखनऊ


Conclusion:वी.ओ- हालांकि सरकारी अस्पतालों में इस तरह की लापरवाही या समय-समय पर सामने आती रहती हैं। लेकिन जान से खेल जाने वाले ऐसे कारनामे सरकारी दावों की पोल खोल देते हैं जिनमें सबके स्वास्थ्य स्वस्थ रहने की योजनाएं बनाई जाती हैं उम्मीद है आने वाले दिनों में हालात सुधरेंगे और तस्वीर भी बदलेगी।
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