लखनऊ: केजीएमयू में बिना टेटनस के इंजेक्शन लगाए ऑपरेशन किए जा रहे हैं. यहां करीब दो महीनों से टेटनस के इंजेक्शन की आपूर्ति बनी हुई है. इतना ही नहीं पूरे शहर भर में टेटनस के इंजेक्शन की भारी कमी देखने को पड़ रही है.
इतना ही नहीं आसपास के निजी मेडिकल स्टोर पर भी टेटनस के इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो चुका है. बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल व अन्य सरकारी अस्पतालों में बचे हुए इंजेक्शन से काम चलाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को टेटनस होने का खतरा बना हुआ है.
कांच, लोहा या किसी अन्य चीज से चोट लगने पर टेटनस होने की आशंका रहती है. इससे बचने के लिए तत्काल टिटबैक लगाया जाता है. ऐसी स्थिति में ट्रामा सेंटर में आने वाले दुर्घटना ग्रस्त मरीजों की बिना टिटबैक के इलाज किया जा रहा है. इन मरीजों में टेटनस होने का खतरा बना हुआ है, क्योंकि यहां आने वाले मरीजों के विभिन्न अंग दुर्घटना में लोहे व कांच से कट जाते हैं. इनको टिटबैक लगाना जरूरी होता है.
इसी तरह ऑपरेशन के वक्त भी इसकी जरूरत पड़ती है. इस पूरे मामले पर ईटीवी ने केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एस. एन शंखवार से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने कंपनी द्वारा आपूर्ति ना करने की बात कही.
वहीं जब टेटनस की किल्लत पर लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेंद्र अग्रवाल से बातचीत की गई, तो उन्होंने किल्लत की बात तो कबूली लेकिन कहा कि बचे हुए स्टॉक से काम चलाया जा रहा है.