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बेसिक शिक्षा मंत्री के बयान पर भड़के शिक्षक, पक्षपात का आरोप

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Published : Feb 24, 2021, 11:05 AM IST

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के विधानसभा में शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर दिए बयान से शिक्षकों में काफी नाराजगी है. बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा था कि फिलहाल सरकार के स्तर पर मानदेय बढ़ाने को लेकर कोई विचार नहीं किया जा रहा है.

शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव
शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव

लखनऊ: बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के विधानसभा में शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर दिए गए बयान से शिक्षकों में काफी नाराजगी है. उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ की ओर से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री पर शिक्षा मित्रों के साथ पक्षपातपूर्ण एवं दोयम दर्जे का रवैया अपनाने के आरोप लगाए गए हैं.

शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि "इस बयान से यूपी के एक लाख 68 हजार शिक्षामित्र एवं उनके परिवार जन आज आहत होकर अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरकार से बहुत उम्मीद थी कि वह शिक्षामित्रों के लिए कुछ करेगी. समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षामित्रों का वेतन 40,000 हजार रुपये से घटकर राज्य सरकार ने 10 हजार मानदेय कर दिया था, जिसके कारण 1500 से अधिक शिक्षा मित्रों ने आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब तक आत्म हत्या या जान गंवा चुके हैं. सरकार से बहुत उम्मीदें थी कि कोरोना काल के बाद शिक्षामित्रों के लिए कुछ करेगी, लेकिन आज फिर शिक्षामित्रों की उपेक्षा की जा रही हैं."

कार्य समान और वेतन में जमीन आसमान का अंतर


शिक्षक संघ का कहना है कि "एक ही विद्यालय में एक ही बच्चे को समान पाठ्यपुस्तक पढ़ाने पर एक शिक्षक को 60,000 रुपए वेतन दिया जा रहा है. वहीं, शिक्षामित्र से 10 हजार रुपए के मानदेय पर वह कार्य कराया जा रहा है. शिक्षामित्रों के साथ दोहरी व पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है."

मंत्री के इस बयान से है नाराजगी


विधानसभा में प्रश्न सत्र के दौरान मंगलवार को बसपा के श्याम सुंदर शर्मा ने सरकारी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर सवाल पूछा था. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रही है. इस पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने फिलहाल सरकार के स्तर पर कोई विचार न किए जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शिक्षामित्रों का मानदेय कम किया गया था.

लखनऊ: बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के विधानसभा में शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर दिए गए बयान से शिक्षकों में काफी नाराजगी है. उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ की ओर से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री पर शिक्षा मित्रों के साथ पक्षपातपूर्ण एवं दोयम दर्जे का रवैया अपनाने के आरोप लगाए गए हैं.

शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि "इस बयान से यूपी के एक लाख 68 हजार शिक्षामित्र एवं उनके परिवार जन आज आहत होकर अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरकार से बहुत उम्मीद थी कि वह शिक्षामित्रों के लिए कुछ करेगी. समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षामित्रों का वेतन 40,000 हजार रुपये से घटकर राज्य सरकार ने 10 हजार मानदेय कर दिया था, जिसके कारण 1500 से अधिक शिक्षा मित्रों ने आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब तक आत्म हत्या या जान गंवा चुके हैं. सरकार से बहुत उम्मीदें थी कि कोरोना काल के बाद शिक्षामित्रों के लिए कुछ करेगी, लेकिन आज फिर शिक्षामित्रों की उपेक्षा की जा रही हैं."

कार्य समान और वेतन में जमीन आसमान का अंतर


शिक्षक संघ का कहना है कि "एक ही विद्यालय में एक ही बच्चे को समान पाठ्यपुस्तक पढ़ाने पर एक शिक्षक को 60,000 रुपए वेतन दिया जा रहा है. वहीं, शिक्षामित्र से 10 हजार रुपए के मानदेय पर वह कार्य कराया जा रहा है. शिक्षामित्रों के साथ दोहरी व पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है."

मंत्री के इस बयान से है नाराजगी


विधानसभा में प्रश्न सत्र के दौरान मंगलवार को बसपा के श्याम सुंदर शर्मा ने सरकारी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर सवाल पूछा था. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रही है. इस पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने फिलहाल सरकार के स्तर पर कोई विचार न किए जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शिक्षामित्रों का मानदेय कम किया गया था.

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