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लखनऊ में आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे आश्रय स्थल

किसानों को आश्रय स्थल बनने से आवारा पशुओं से निजात तो मिल गया लेकिन यह आश्रय स्थल अब पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे हैं. लखनऊ के मोहनलालगंज में आए दिन जानवरों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है.

आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे आश्रय स्थल
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Published : Apr 7, 2019, 6:00 PM IST

लखनऊ : किसानों की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अस्थाई पशु आश्रय स्थल के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया, लेकिन आज यही पशु आश्रय स्थल आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित होते नजर आ रहे हैं.

आज हम आपको पशु आश्रय स्थल की हकीकत से रूबरू कराएंगे, जो राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के जबरौली गांव में बना हुआ है. पशु आश्रय स्थल पर काम करने वाले राम लखन ने हमें बताया कि यहां पर लगभग 500 जानवर हैं और पिछले दो दिनों से किसी भी जानवर की मौत नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि उसे सात हजार रूपये महीने की तनख्वाह पर यहां रखा गया लेकिन अभी तक तीन महीने में सिर्फ पांच हजार रूपये ही दिए गए हैं.

आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे आश्रय स्थल, देखें यह वीडियो

इस पशु आश्रय केंद्र में अब तक 40 से 50 जानवरों की मौत हो चुकी है. यह सिलसिला आगे बढ़ता ही जा रहा है. जानवरों के लिए ना तो किसी भी तरह की छाया की कोई व्यवस्था है और ना ही खाने के लिए चारे की. किसानों को आवारा पशुओं से निजात तो मिल गया लेकिन यह पशु आश्रय स्थल पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे हैं. आए दिन जानवरों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगती.

लखनऊ : किसानों की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अस्थाई पशु आश्रय स्थल के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया, लेकिन आज यही पशु आश्रय स्थल आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित होते नजर आ रहे हैं.

आज हम आपको पशु आश्रय स्थल की हकीकत से रूबरू कराएंगे, जो राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के जबरौली गांव में बना हुआ है. पशु आश्रय स्थल पर काम करने वाले राम लखन ने हमें बताया कि यहां पर लगभग 500 जानवर हैं और पिछले दो दिनों से किसी भी जानवर की मौत नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि उसे सात हजार रूपये महीने की तनख्वाह पर यहां रखा गया लेकिन अभी तक तीन महीने में सिर्फ पांच हजार रूपये ही दिए गए हैं.

आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे आश्रय स्थल, देखें यह वीडियो

इस पशु आश्रय केंद्र में अब तक 40 से 50 जानवरों की मौत हो चुकी है. यह सिलसिला आगे बढ़ता ही जा रहा है. जानवरों के लिए ना तो किसी भी तरह की छाया की कोई व्यवस्था है और ना ही खाने के लिए चारे की. किसानों को आवारा पशुओं से निजात तो मिल गया लेकिन यह पशु आश्रय स्थल पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे हैं. आए दिन जानवरों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगती.

Intro:किसानों की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने गांव में जगह जगह अस्थाई पशु आश्रय स्थल के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया। लेकिन आज यही पशु आश्रय स्थल आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित होते नजर आ रहे हैं।


Body:आज हम आपको पशु आश्रय स्थल की हकीकत से रूबरू कराएंगे जो राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के जबरौली गांव में बना हुआ है।

पशु आश्रय स्थल पर काम करने वाले राम लखन ने हमें बताया कि यहां पर लगभग 500 के जानवर है। और पिछले 2 दिनों से किसी भी जानवर की मौत नहीं हुई है। राम लखन ने भी बताया कि उसे ₹7000 महीने की तनख्वाह पर रखा गया लेकिन अभी तक 3 महीनों में सिर्फ उसे ₹5000 ही दिए गए हैं।

इस पशु आश्रय केंद्र में अब तक 40 से 50 जानवरों की मौत हो चुकी है जो सिलसिला आगे बढ़ता ही जा रहा है। जानवरों के लिए ना तो किसी भी तरह की छाया की कोई व्यवस्था है ना ही खाने के लिए चारे की।

बाइट- राम लखन (पशु आश्रय स्थल में देख रेख करने वाला)
पीटीसी योगेश मिश्रा


Conclusion:किसानों को आवारा पशुओं से निजात तो मिल गया लेकिन यह पशु आश्रय स्थल पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे हैं आए दिन जानवरों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगती। अबे देखने वाली बात होगी कि कब तक पशुओं को आश्रय स्थल में उचित व्यवस्था दी जाती है

योगेश मिश्रा लखनऊ
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