लखनऊ : किसानों की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अस्थाई पशु आश्रय स्थल के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया, लेकिन आज यही पशु आश्रय स्थल आवारा पशुओं के लिए कब्रगाह साबित होते नजर आ रहे हैं.
आज हम आपको पशु आश्रय स्थल की हकीकत से रूबरू कराएंगे, जो राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के जबरौली गांव में बना हुआ है. पशु आश्रय स्थल पर काम करने वाले राम लखन ने हमें बताया कि यहां पर लगभग 500 जानवर हैं और पिछले दो दिनों से किसी भी जानवर की मौत नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि उसे सात हजार रूपये महीने की तनख्वाह पर यहां रखा गया लेकिन अभी तक तीन महीने में सिर्फ पांच हजार रूपये ही दिए गए हैं.
इस पशु आश्रय केंद्र में अब तक 40 से 50 जानवरों की मौत हो चुकी है. यह सिलसिला आगे बढ़ता ही जा रहा है. जानवरों के लिए ना तो किसी भी तरह की छाया की कोई व्यवस्था है और ना ही खाने के लिए चारे की. किसानों को आवारा पशुओं से निजात तो मिल गया लेकिन यह पशु आश्रय स्थल पशुओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहे हैं. आए दिन जानवरों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है लेकिन किसी भी अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगती.