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भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे संघी: शाहनवाज आलम

अल्पसंख्यक कांग्रेस ने रविवार को स्पीक अप माइनॉरिटी कैंपेन के 9वें संस्करण में भारत छोड़ो आंदोलन में संघ परिवार द्वारा अंग्रेजों का साथ दिए जाने पर लोगों से संवाद किया. इस दौरान उन्होंने संघ परिवार पर अंग्रेजों की मुखबिरी और जासूसी का आरोप लगाया.

'अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे संघी'
'अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे संघी'
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Published : Aug 8, 2021, 9:55 PM IST

लखनऊः अल्पसंख्यक कांग्रेस ने रविवार को स्पीक अप माइनॉरिटी कैंपेन के 9वें संस्करण में भारत छोड़ों आंदोलन में संघ परिवार द्वारा अंग्रेजों का साथ दिए जाने पर लोगों से संवाद किया. इस दौरान नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आरएसएस पर अंग्रेजों की मुखबिरी और जासूसी करने के ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ बात रखी.

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की 79 वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर अल्पसंख्यक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता 'भारत छोड़ो आंदोलन के ग़द्दार कौन' विषय पर फेस बुक लाइव हुए. इसमें लोगों को बताया गया कि कैसे गांधी, नेहरू, मौलाना आजाद के नेतृत्व में लाखों लोगों ने अंग्रेज़ों भारत छोड़ो के नारे के साथ देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष किया. हजारों लोगों ने शहादत दी और लाखों लोग जेल गए. लेकिन इस पूरे आंदोलन में संघ परिवार और हिंदू महासभा ने अंग्रेज़ों की मुखबिरी की. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग के साथ चल रही बंगाल सरकार के उपमुख्यमंत्री के बतौर अंग्रेजों को पत्र लिख कर इस आंदोलन को दबाने का सुझाव देने का देशद्रोही काम किया. वहीं सावरकर ने अंग्रेज़ों की तरफ से द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय युवाओं को सेना में भर्ती होने का आह्वान कर देश की भावनाओं के खिलाफ काम किया. सावरकर ने देशद्रोही का काम करते हुए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों का साथ दिया. वक्ताओं ने लोगों को यह भी बताया कि कैसे 27 अगस्त 1942 को बटेश्वर में हुए आंदोलनकारियों की बैठक की मुखबिरी अटल बिहारी वाजपेई ने की. 1 सितम्बर 1942 को अपनी मुखबीरी की रिपोर्ट दर्ज कराई. जिसके कारण कांग्रेसी आंदोलनकारी लीलाधर वाजपेयी को जेल जाना पड़ा.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी

इसे भी पढ़ें- गठबंधन पर पत्ते नहीं खोल रहा अपना दल, कृष्णा पटेल सभी से संपर्क की कह रहीं बात

वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह 1942 में महात्मा गांधी देश की आवाज थे. वैसे ही आज राहुल गांधी देश की आवाज हैं. उनके साथ खड़ा होना हर देशभक्त नागरिक की ऐतिहासिक और नैतिक जिम्मेदारी है.

लखनऊः अल्पसंख्यक कांग्रेस ने रविवार को स्पीक अप माइनॉरिटी कैंपेन के 9वें संस्करण में भारत छोड़ों आंदोलन में संघ परिवार द्वारा अंग्रेजों का साथ दिए जाने पर लोगों से संवाद किया. इस दौरान नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आरएसएस पर अंग्रेजों की मुखबिरी और जासूसी करने के ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ बात रखी.

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की 79 वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर अल्पसंख्यक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता 'भारत छोड़ो आंदोलन के ग़द्दार कौन' विषय पर फेस बुक लाइव हुए. इसमें लोगों को बताया गया कि कैसे गांधी, नेहरू, मौलाना आजाद के नेतृत्व में लाखों लोगों ने अंग्रेज़ों भारत छोड़ो के नारे के साथ देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष किया. हजारों लोगों ने शहादत दी और लाखों लोग जेल गए. लेकिन इस पूरे आंदोलन में संघ परिवार और हिंदू महासभा ने अंग्रेज़ों की मुखबिरी की. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग के साथ चल रही बंगाल सरकार के उपमुख्यमंत्री के बतौर अंग्रेजों को पत्र लिख कर इस आंदोलन को दबाने का सुझाव देने का देशद्रोही काम किया. वहीं सावरकर ने अंग्रेज़ों की तरफ से द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय युवाओं को सेना में भर्ती होने का आह्वान कर देश की भावनाओं के खिलाफ काम किया. सावरकर ने देशद्रोही का काम करते हुए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों का साथ दिया. वक्ताओं ने लोगों को यह भी बताया कि कैसे 27 अगस्त 1942 को बटेश्वर में हुए आंदोलनकारियों की बैठक की मुखबिरी अटल बिहारी वाजपेई ने की. 1 सितम्बर 1942 को अपनी मुखबीरी की रिपोर्ट दर्ज कराई. जिसके कारण कांग्रेसी आंदोलनकारी लीलाधर वाजपेयी को जेल जाना पड़ा.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी
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वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह 1942 में महात्मा गांधी देश की आवाज थे. वैसे ही आज राहुल गांधी देश की आवाज हैं. उनके साथ खड़ा होना हर देशभक्त नागरिक की ऐतिहासिक और नैतिक जिम्मेदारी है.

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