ETV Bharat / state

शब-ए-बरात के अवसर पर करें यह काम, जानिए क्यूं खास है यह दिन

इस्लाम धर्म में कुछ महत्वपूर्ण रातों में से एक शब-ए-बरात की रात भी मानी जाती है. इस वर्ष यह रात शुक्रवार यानी 18 मार्च की रात को मनाई जाएगी. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इस रात की खूबियों के बारे में बता रहे हैं.

etv bharat
शब-ए-बरात
author img

By

Published : Mar 18, 2022, 12:52 PM IST

लखनऊ: इस्लाम धर्म में कुछ महत्वपूर्ण रातों में से एक शब-ए-बरात की रात मानी जाती है. इस रात अपने बुजुर्गों, रिश्तेदारों की मग़फ़िरत और इसाले सवाब के लिए लोग कब्रिस्तान पहुंचते हैं. हदीस के मुताबिक़ अल्लाह अपने बंदों की ज़िंदगी और मौत से जुड़े तमाम फैसले इसी रात में करता है. इस वर्ष यह रात शुक्रवार यानी 18 मार्च की रात को मनाई जाएगी. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मुसलमानों को इस रात अल्लाह की खुसूसी इबादत करना चाहिए और कुरान की तिलावत के साथ ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ भी पढ़ना चाहिए.


इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शब ए बरात की रात शाबान महीने की 14वीं तारीख़ और 15वीं तारीख के बीच मनाई जाती है. इस वर्ष यह रात आज यानी शुक्रवार की रात से शनिवार 19 मार्च के बीच होगी. हिजरी कैलन्डर के अनुसार शब ए बरात की रात हर साल में एक बार शाबान महीने की 14वीं तारीख को मग़रिब यानी सूर्यास्त के बाद शुरू होती है.

शब-ए-बरात

इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस रात को अल्लाह अपने चाहने वालों का हिसाब-किताब रखने के लिए आते हैं. शबे बारात पर मुस्लिम समाज के लोग मस्जिद और कब्रिस्तान में जाकर अपने बुजुर्गों के लिए दुआ करते हैं. मस्जिद में नमाज पढ़कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.

यह भी पढ़ें- धधकती होलिका के बीच से निकला मोनू पंडा, 'प्रहलाद नगरी' फालेन में निभाई गई सदियों पुरानी परंपरा

इबादत के बाद गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के साथ उनको खाना बांटा जाता है. इस्लाम धर्म में अपने पड़ोसियों और गरीबों की मदद को बेहद अच्छा और ज़रूरी अमल माना गया है. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि 19 मार्च यानी शनिवार के दिन सभी रोज़ा रखकर अल्लाह से कौम और मुल्क की तरक्की के लिए विशेष दुआ करें.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: इस्लाम धर्म में कुछ महत्वपूर्ण रातों में से एक शब-ए-बरात की रात मानी जाती है. इस रात अपने बुजुर्गों, रिश्तेदारों की मग़फ़िरत और इसाले सवाब के लिए लोग कब्रिस्तान पहुंचते हैं. हदीस के मुताबिक़ अल्लाह अपने बंदों की ज़िंदगी और मौत से जुड़े तमाम फैसले इसी रात में करता है. इस वर्ष यह रात शुक्रवार यानी 18 मार्च की रात को मनाई जाएगी. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मुसलमानों को इस रात अल्लाह की खुसूसी इबादत करना चाहिए और कुरान की तिलावत के साथ ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ भी पढ़ना चाहिए.


इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शब ए बरात की रात शाबान महीने की 14वीं तारीख़ और 15वीं तारीख के बीच मनाई जाती है. इस वर्ष यह रात आज यानी शुक्रवार की रात से शनिवार 19 मार्च के बीच होगी. हिजरी कैलन्डर के अनुसार शब ए बरात की रात हर साल में एक बार शाबान महीने की 14वीं तारीख को मग़रिब यानी सूर्यास्त के बाद शुरू होती है.

शब-ए-बरात

इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस रात को अल्लाह अपने चाहने वालों का हिसाब-किताब रखने के लिए आते हैं. शबे बारात पर मुस्लिम समाज के लोग मस्जिद और कब्रिस्तान में जाकर अपने बुजुर्गों के लिए दुआ करते हैं. मस्जिद में नमाज पढ़कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.

यह भी पढ़ें- धधकती होलिका के बीच से निकला मोनू पंडा, 'प्रहलाद नगरी' फालेन में निभाई गई सदियों पुरानी परंपरा

इबादत के बाद गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के साथ उनको खाना बांटा जाता है. इस्लाम धर्म में अपने पड़ोसियों और गरीबों की मदद को बेहद अच्छा और ज़रूरी अमल माना गया है. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि 19 मार्च यानी शनिवार के दिन सभी रोज़ा रखकर अल्लाह से कौम और मुल्क की तरक्की के लिए विशेष दुआ करें.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.