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अब ऑर्गन ट्रांसप्लांट करेगा SGPGI, तैयारी शुरू

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Published : Jun 8, 2021, 9:38 PM IST

यूपी के लखनऊ में संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान कोविड-19 का प्रकोप कम होते ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर कार्य करेगा. संस्थान ने लीवर के अलावा ह्रदय और फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू की है.

एसजीपीजीआई
एसजीपीजीआई

लखनऊ: संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान कोविड-19 का प्रकोप कम होते ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर कार्य करेगा. संस्थान ने लीवर के अलावा ह्रदय और फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू की है. विभाग ऑर्गन डोनेशन के लिए भी गाइडलाइन तैयार कर रहा है, जिससे मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा. मंजूरी मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर कार्य थी पहली प्राथमिकता

प्रोफेसर धीमान ने यह बात तब कही जब उनसे अगले बचे हुए 2 साल के कार्यों के संदर्भ में जानकारी चाही गई. उन्होंने कहा कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट हमारी पहली प्राथमिकता थी, लेकिन कोविड-19 के चलते इसमें विलंब हुआ. एसजीपीजीआई में ऐसे कई विशेषज्ञ सर्जन हैं, जो अच्छा काम कर सकते हैं. प्रोफेसर अनिल अग्रवाल ने 2 दर्जन से अधिक सफल ऑपरेशन किए हैं.


तैयार होगा ट्रामा सेंटर

एसपीजीआई के निदेशक ने कहा कि संस्थान में जल्द ही ट्रामा सेंटर भी तैयार किया जाएगा, ताकि मरीजों को त्वरित इलाज मिल सके. म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस से निपटने में हमने अच्छा काम किया है.

ह्वाइट फंगस ही है ब्लैक फंगस

प्रोफेसर धीमान ने कहा कि ब्लैक फंगस नाम का कोई फंगस होता ही नहीं है. चेहरे पर ब्लैक दिखने वाला फंगस दरअसल ह्वाइट ही है. ब्लैक दिखने के कारण से ब्लैक फंगस नाम दे दिया गया. हमारे माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने इसे सिद्ध किया है. संस्थान ने इसके इलाज में दो और दवाओं के इस्तेमाल का सुझाव सरकार को दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इससे दवाओं की समस्या खत्म हुई है. उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई में फंगस की दवाई और इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है.

लखनऊ: संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान कोविड-19 का प्रकोप कम होते ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर कार्य करेगा. संस्थान ने लीवर के अलावा ह्रदय और फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू की है. विभाग ऑर्गन डोनेशन के लिए भी गाइडलाइन तैयार कर रहा है, जिससे मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा. मंजूरी मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर कार्य थी पहली प्राथमिकता

प्रोफेसर धीमान ने यह बात तब कही जब उनसे अगले बचे हुए 2 साल के कार्यों के संदर्भ में जानकारी चाही गई. उन्होंने कहा कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट हमारी पहली प्राथमिकता थी, लेकिन कोविड-19 के चलते इसमें विलंब हुआ. एसजीपीजीआई में ऐसे कई विशेषज्ञ सर्जन हैं, जो अच्छा काम कर सकते हैं. प्रोफेसर अनिल अग्रवाल ने 2 दर्जन से अधिक सफल ऑपरेशन किए हैं.


तैयार होगा ट्रामा सेंटर

एसपीजीआई के निदेशक ने कहा कि संस्थान में जल्द ही ट्रामा सेंटर भी तैयार किया जाएगा, ताकि मरीजों को त्वरित इलाज मिल सके. म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस से निपटने में हमने अच्छा काम किया है.

ह्वाइट फंगस ही है ब्लैक फंगस

प्रोफेसर धीमान ने कहा कि ब्लैक फंगस नाम का कोई फंगस होता ही नहीं है. चेहरे पर ब्लैक दिखने वाला फंगस दरअसल ह्वाइट ही है. ब्लैक दिखने के कारण से ब्लैक फंगस नाम दे दिया गया. हमारे माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने इसे सिद्ध किया है. संस्थान ने इसके इलाज में दो और दवाओं के इस्तेमाल का सुझाव सरकार को दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इससे दवाओं की समस्या खत्म हुई है. उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई में फंगस की दवाई और इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है.

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