लखनऊ : सर्दियों में शीतलहर काफी चलती है और इसी कड़ाके की सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज भारी संख्या में अस्पताल पहुंचते हैं. इन दिनों सरकारी अस्पतालों के न्यूरोलॉजी विभाग में ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा पहुंच रही है. केजीएमयू, लोहिया जैसे बड़े संस्थानों में रोजाना जहां ओपीडी में करीब 400 मरीज पहुंचते हैं, वहीं इस समय तकरीबन 400 से 600 मरीज पहुंच रहे हैं.
स्ट्रोक के कारण |
- हाई ब्लड प्रेशर होना. |
- अनियमित डायबिटीज होना. |
- कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाना. |
- शराब व सिगरेट की लत होना. |
- अनियमित लाइफ स्टाइल. |
- फिजिकल एक्टिविटी न करना. |
मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ी : विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्रेन में ब्लीडिंग शुरू होने से मौत तक हो सकती है. ऑक्सीजन या ग्लूकोस की कमी से ब्रेन स्ट्रोक होता है. ब्रेन स्ट्रोक में ब्लड फ्लो रुकने से आंखों की रोशनी तक जा सकती है. केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग में सप्ताह में चार ओपीडी होती हैं. एक ओपीडी में 400 से 600 मरीज आते हैं. केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा ने बताया कि इन दिनों पूरा जिला भीषण ठंड की चपेट में है. लगातार बढ़ रही ठंड के साथ ही हार्टअटैक और ब्रेन अटैक (स्ट्रोक) के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ी हुई है. चिकित्सक मरीज व तीमारदारों को ठंड में सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.
ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ जाते हैं मरीज : उन्होंने बताया कि ठंड में ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के मरीज बढ़ जाते हैं. ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग को खून पहुंचाने वाली नसों में थक्का जम जाता है. सिर के जिस हिस्से में खून का थक्का जमता है उससे संबंधित शरीर के अंग में लक्षण सामने आते हैं. स्ट्रोक के शुरुआत में छह घंटे अहम होते हैं. समुचित इलाज से मरीज सामान्य लोगों जैसा जीवन जी सकते हैं. उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के लक्षणों को पहचाने की जरुरत है. उन्होंने बताया कि स्ट्रोक से चेहरा भी टेढ़ा हो सकता है. शारीरिक व्यायाम करने से बचा जा सकता है.
यह हैं स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण, BEFAST रखें याद |
B - बैलेंस (balance) : व्यक्ति को अचानक बैलेंस में परेशानी होना. |
E - आई (eyes) : अचानक धुंधला दिखना. एक या दोनों आंखें भी प्रभावी हो सकती हैं. |
F - फेस (face) : मुस्कुराने पर चेहरे का एक तरफ टेढ़ा होना. |
A - आर्म्स (arms) : दोनों हाथों को ऊपर उठाने पर उन्हें एक हाथ में कमजोरी का अनुभव हो सकता है. |
S - स्पीच (speech) : बोलने पर हकलाहट हो सकती है या व्यक्ति बोलने में असमर्थ हो सकता है. |
T - टाइम (time) : ऐसा होने पर तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं. |
ब्रेन स्ट्रोक का सुबह खतरा अधिक : उन्होंने बताया ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ठंड में ज्यादा होता है, इसलिए सुबह के समय खतरा अधिक बढ़ जाता है. लोगों को ठंडी में मॉर्निंग वॉक से बचना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हाई ब्लडप्रेशर, मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा, तनाव और धूम्रपान करने वालों को अधिक रहता है.
बेहोश होने पर मरीज को तत्काल ले जाएं अस्पताल : उन्होंने बताया कि ब्रेन हेमरेज केस में रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं. ब्रेन में ब्लीडिंग शुरू होने से मौत तक हो सकती है. ऑक्सीजन या ग्लूकोस की कमी से ब्रेन स्ट्रोक होता है. ब्रेन स्ट्रोक में ब्लड फ्लो रुकने से आंखों की रोशनी तक जा सकती है. अचानक से मरीज बेचैनी महसूस करता है या बेहोश हो जाता है. ऐसे लक्षणों पर बिना देरी किए मरीज को अस्पताल पहुंचना ले जाना चाहिए. इलाज जल्द शुरू करने पर मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है. वहीं, बलरामपुर अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि अस्थमा और बीपी के मरीजों को भी सतर्क रहने की जरूरत है.
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