लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक तरफ महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित नजर आ रही है तो वहीं दूसरी ओर पुलिस अधिकारी ही इस मुहीम को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. ताजा मामला जिला कारागार से जुड़ा हुआ है. यहां की एक महिला अधिकारी ने जेलर पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसकी जांच के लिए डीजी कारागार के निर्देश पर चार सदस्यीय विशाखा कमेटी बनाई गई थी. वहीं अब मामले में जांच कमेटी के सामने जेल के कई अधिकारी और कर्मचारी अपने बयान से मुकर गए हैं. महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों की करीब दो माह से अधिक समय से जांच चल रही है.
10 सिंतबर को महिला अधिकारी ने की थी शिकायत
महिला जेल अधिकारी ने 10 सितंबर को डीजी कारागार आनंद कुमार से पूरे मामले की लिखित शिकायत की थी. इसके बाद डीजी आनंद कुमार के आदेश पर पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय विशाखा कमेटी का गठन किया गया था.
महिला अधिकारी ने लगाए थे ये आरोप
महिला अधिकारी ने आरोप लगाया था कि जेलर अरुण मिश्रा कमरे में बैठाकर उनके साथ अभद्र और अश्लील बातें किया करता था. दो अन्य महिला अधिकारियों के होते हुए भी अक्सर रात में उनकी ड्यूटी लगाता था. यही नहीं, छुट्टी के दिन भी जानबूझ कर उनकी ड्यूटी लगा दी जाती थी और जब वह इसका विरोध करतीं थी तो उन्हें धमकाया जाता था. इसके अलावा जब जेल अधीक्षक से उन्होंने शिकायत की तो जेलर उनके कक्ष में आकर उनसे अभद्र भाषा में बात की.
जेलर पर किसानों लगाए गंभीर आरोप
मिली जानकारी के मुताबिक, जेलर अरुण मिश्रा की किसान नेताओं ने कारागार मुख्यालय पर शिकायत की थी कि वह मिलाई में उनसे रुपये लेते हैं. इसके अलावा बंदियों से भी रुपये लिया जाता है. इस मामले को लेकर किसानों ने हंगामा भी किया था, जिसके बाद जेलर अरुण मिश्रा को डीजी के आदेश पर हटा दिया गया था. मामले की जांच के भी आदेश हुए थे.
मामले की जांच जारी
डीआइजी जेल संजीव त्रिपाठी के मुताबिक, जेलर अरुण मिश्रा पर महिला जेल अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच विशाखा कमेटी द्वारा की जा रही है. जांच के दौरान कई अधिकारी और कर्मचारी बयान से मुकर गए हैं. अभी जांच जारी है. जल्द ही जांच पूरी करके इसकी रिपोर्ट डीजी कारागार को प्रेषित की जाएगी.