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राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब सेशन कोर्ट भी गैर जमानती अपराधों मेंं दे सकेगा अग्रिम जमानत

योगी सरकार ने राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में अग्रिम जमानत से संबंधित धारा 438 को फिर से लागू कर दिया है. इसके तहत, अब गैर जमानती अपराधों में सेशन कोर्ट भी अग्रिम जमानत दे सकता है. आपातकाल के दौरान इस पर रोक लगा दी गई थी.

सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो).
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Published : Jun 12, 2019, 5:46 PM IST

लखनऊ: यूपी में अब गैर जमानती अपराधों में अग्रिम जमानत का रास्ता साफ हो गया है. अब सेशन कोर्ट शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे सकेगा. मांग के आधार पर सरकार ने इसे फिर से लागू किया है. इसके तहत अग्रिम जमानत के लिए जो भी आवेदन आएंगे, उनका आने की तारीख से 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा.

राष्ट्रपति की अनुमति के बाद लागू

  • योगी सरकार ने राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में अग्रिम जमानत से संबंधित धारा 438 को फिर से लागू कर दिया है।
  • इस धारा को आपातकाल के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश) संशोधन अधिनियम 1976 के जरिए निकाल दिया गया था.
  • राज्य विधि आयोग ने 2009 की अपनी रिपोर्ट में भी इस धारा को फिर से लागू करने की सिफारिश की थी.
  • विशेषज्ञों के मुताबिक, अग्रिम जमानत की व्यवस्था एससी/एसटी एक्ट समेत कई गंभीर अपराध के मामलों में लागू नहीं होगी.
  • आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों, ऑफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में भी जमानत नहीं मिल सकेगी.
  • कोर्ट को अंतिम सुनवाई से 7 दिन पहले लोक अभियोजक को नोटिस भेजनी भी अनिवार्य होगी.
  • अग्रिम जमानत से जुड़े मामलों में कोर्ट अभियोग की प्रकृति और गंभीरता आवेदक के इतिहास, उसकी न्याय से भागने की प्रवृत्ति और आवेदक को अपमानित करने के मकसद से लगाए गए आरोप पर विचार कर उसके आधार पर फैसला ले सकती है.
  • अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं है.

लखनऊ: यूपी में अब गैर जमानती अपराधों में अग्रिम जमानत का रास्ता साफ हो गया है. अब सेशन कोर्ट शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे सकेगा. मांग के आधार पर सरकार ने इसे फिर से लागू किया है. इसके तहत अग्रिम जमानत के लिए जो भी आवेदन आएंगे, उनका आने की तारीख से 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा.

राष्ट्रपति की अनुमति के बाद लागू

  • योगी सरकार ने राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में अग्रिम जमानत से संबंधित धारा 438 को फिर से लागू कर दिया है।
  • इस धारा को आपातकाल के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश) संशोधन अधिनियम 1976 के जरिए निकाल दिया गया था.
  • राज्य विधि आयोग ने 2009 की अपनी रिपोर्ट में भी इस धारा को फिर से लागू करने की सिफारिश की थी.
  • विशेषज्ञों के मुताबिक, अग्रिम जमानत की व्यवस्था एससी/एसटी एक्ट समेत कई गंभीर अपराध के मामलों में लागू नहीं होगी.
  • आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों, ऑफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में भी जमानत नहीं मिल सकेगी.
  • कोर्ट को अंतिम सुनवाई से 7 दिन पहले लोक अभियोजक को नोटिस भेजनी भी अनिवार्य होगी.
  • अग्रिम जमानत से जुड़े मामलों में कोर्ट अभियोग की प्रकृति और गंभीरता आवेदक के इतिहास, उसकी न्याय से भागने की प्रवृत्ति और आवेदक को अपमानित करने के मकसद से लगाए गए आरोप पर विचार कर उसके आधार पर फैसला ले सकती है.
  • अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं है.
Intro:लखनऊ। यूपी में अब गैर जमानती अपराधों में अग्रिम जमानत का रास्ता साफ हो गया है अब सेशन कोर्ट शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे सकेगा। मांग के आधार पर सरकार ने इसे फिर से लागू किया है। इसके तहत अग्रिम जमानत के लिए जो भी आवेदन आएंगे उनका आने की तारीख से 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा।


Body:योगी सरकार ने राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में अग्रिम जमानत से संबंधित धारा 438 को फिर से लागू कर दिया है।

इस धारा को आपातकाल के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश) संशोधन अधिनियम 1976 के जरिए निकाल दिया गया था।

राज्य विधि आयोग ने 2009 की अपनी रिपोर्ट में भी इस धारा को फिर से लागू करने की सिफारिश की थी।

विशेषज्ञों के अनुसार अग्रिम जमानत की व्यवस्था एस सी एस टी एक्ट समेत कई गंभीर अपराध के मामलों में लागू नहीं होगी। आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों, ऑफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में भी जमानत नहीं मिल सकेगी।

इसके तहत 30 दिन के अंदर मामले का निस्तारण किया जाएगा। कोर्ट को अंतिम सुनवाई से 7 दिन पहले लोक अभियोजक को नोटिस भेजनी भी अनिवार्य होगी। अग्रिम जमानत से जुड़े मामलों में कोर्ट अभियोग की प्रकृति और गंभीरता आवेदक के इतिहास, उसकी न्याय से भागने की प्रवृत्ति और आवेदक को अपमानित करने के मकसद से लगाए गए आरोप पर विचार कर उसके आधार पर फैसला ले सकती है। अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं है।


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