लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत लेवल-वन के डॉक्टरों की शासन से जारी हो चुकी नई वरिष्ठता सूची विवादों से भरी नजर आ रही है. इसके बाद दूसरी सूची जारी की जाएगी. जिसमें वर्ष 2020 के बाद लेवल-टू पर सीधी भर्ती से आये विशेषज्ञ डॉक्टर व विभाग के अन्य सभी डॉक्टर होंगे. विवाद की वजह यह है कि प्रोन्नति पाने के बाद 30 साल से ज्यादा नौकरी कर चुके इन डॉक्टरों को दूसरी सूची में सबसे नीचे क्रम से जोड़ा जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की नई सेवा नियमावली के अंतर्गत बनाई गई नई वरिष्ठता सूची में वर्ष 1986 से लेकर वर्ष 2018- तक स्वास्थ्य विभाग में ज्वाइन करने वाले डॉक्टरों को शामिल किया गया है. स्वाभाविक तौर पर साल दर साल क्रमानुसार ज्वाइन करने वाले पुराने चिकित्सकों को ऊपर रखते हुए वरिष्ठता क्रम जारी किया गया है.
नई सूची में पहला नाम वर्ष 1987 में ज्वाइन करने वाली डॉ. अर्चना सिंघल, दूसरा नाम वर्ष 1988 में ज्वाइन करने वाली डॉ. पुष्पा गुप्ता जायसवाल का है. इसी तरह वर्ष 2014 के बाद के सैकड़ों डॉक्टर हैं, जिन्हें शासकीय हीलाहवाली की वजह से पुरानी नियमावली के अनुसार अभी तक वरिष्ठताक्रम ही नहीं दिया गया था. दशकों तक मरीजों की सेवाएं देने के बाद अब ये सभी डॉक्टर वर्ष 2021 में स्तर दो पर सीधे ज्वाइन करने वाले डॉक्टरों से जूनियर रहेंगे. इस तरह के डॉक्टरों की संख्या इक्का-दुक्का नहीं, हजारों में है, जो नए वरिष्ठता क्रम से प्रभावित होंगे. वरिष्ठता सूची जारी होने से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या अन्य सरकारी अस्पतालों में अपनी वरिष्ठता के अनुसार सेवाएं दे रहे पुराने डॉक्टरों में रोष व्याप्त हो गया है. क्योंकि लेवल-टू के नये डॉक्टरों के पहुंचने से उन्हें जूनियर बताया जा रहा है. पुराने वरिष्ठ डॉक्टर नए डॉक्टरों के अधीन रहकर सेवाएं देने का विरोध कर रहे हैं.
स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक प्रशासन डॉ. राजा गणपति ने कहा कि लेवल वन में पुराने डॉक्टर हैं. उन्हें नया वरिष्ठता क्रम जारी किया गया है. अगर किसी डॉक्टर को अपनी नई वरिष्ठता से दिक्कत है, ऐसे सभी चिकित्सकों से 15 फरवरी तक आपत्तियां मांगी गई हैं. आपत्तियां प्राप्त होने के बाद कारण और स्पष्टीकरण देखकर संशोधन का निर्णय लिया जाएगा. उत्तर प्रदेश प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के महासचिव डॉ. अमित सिंह का कहना है कि किसी भी संवर्ग में वरिष्ठता सूची एक ही होनी चाहिए. नई नियमवाली के अनुसार भविष्य में लेवल वन से लेवल-टू में प्रोन्नति पाने के बाद इन डॉक्टरों को दूसरी सूची में नीचे से जोड़ा जाना है. वरिष्ठता को लेकर यह स्थिति विवाद उत्पन्न करने वाली होगी, क्योंकि दशकों सेवाए देने वाले डॉक्टर खुद को नए डॉक्टर से जूनियर नहीं रहना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें : SP Election Preparations : तीन चुनाव हारने के बाद वोट बैंक सहेजने की कोशिश में अखिलेश यादव
Seniority List Of Doctors : विवादों में उलझी डॉक्टरों की पहली वरिष्ठता सूची, 30 साल की नौकरी वाले चिकित्सक बन गए जूनियर - Outrage among senior doctors
शासन से जारी लेवल-वन के डॉक्टरों की नई वरिष्ठता सूची (Seniority List Of Doctors) विवादों से भरी नजर आ रही है. प्रोन्नति पाने के बाद 30 साल से ज्यादा नौकरी कर चुके डॉक्टरों को दूसरी सूची में सबसे नीचे क्रम से जोड़ा जाएगा. इसको लेकर वरिष्ठ चिकित्सकों में आक्रोश फैल गया है.
लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत लेवल-वन के डॉक्टरों की शासन से जारी हो चुकी नई वरिष्ठता सूची विवादों से भरी नजर आ रही है. इसके बाद दूसरी सूची जारी की जाएगी. जिसमें वर्ष 2020 के बाद लेवल-टू पर सीधी भर्ती से आये विशेषज्ञ डॉक्टर व विभाग के अन्य सभी डॉक्टर होंगे. विवाद की वजह यह है कि प्रोन्नति पाने के बाद 30 साल से ज्यादा नौकरी कर चुके इन डॉक्टरों को दूसरी सूची में सबसे नीचे क्रम से जोड़ा जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की नई सेवा नियमावली के अंतर्गत बनाई गई नई वरिष्ठता सूची में वर्ष 1986 से लेकर वर्ष 2018- तक स्वास्थ्य विभाग में ज्वाइन करने वाले डॉक्टरों को शामिल किया गया है. स्वाभाविक तौर पर साल दर साल क्रमानुसार ज्वाइन करने वाले पुराने चिकित्सकों को ऊपर रखते हुए वरिष्ठता क्रम जारी किया गया है.
नई सूची में पहला नाम वर्ष 1987 में ज्वाइन करने वाली डॉ. अर्चना सिंघल, दूसरा नाम वर्ष 1988 में ज्वाइन करने वाली डॉ. पुष्पा गुप्ता जायसवाल का है. इसी तरह वर्ष 2014 के बाद के सैकड़ों डॉक्टर हैं, जिन्हें शासकीय हीलाहवाली की वजह से पुरानी नियमावली के अनुसार अभी तक वरिष्ठताक्रम ही नहीं दिया गया था. दशकों तक मरीजों की सेवाएं देने के बाद अब ये सभी डॉक्टर वर्ष 2021 में स्तर दो पर सीधे ज्वाइन करने वाले डॉक्टरों से जूनियर रहेंगे. इस तरह के डॉक्टरों की संख्या इक्का-दुक्का नहीं, हजारों में है, जो नए वरिष्ठता क्रम से प्रभावित होंगे. वरिष्ठता सूची जारी होने से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या अन्य सरकारी अस्पतालों में अपनी वरिष्ठता के अनुसार सेवाएं दे रहे पुराने डॉक्टरों में रोष व्याप्त हो गया है. क्योंकि लेवल-टू के नये डॉक्टरों के पहुंचने से उन्हें जूनियर बताया जा रहा है. पुराने वरिष्ठ डॉक्टर नए डॉक्टरों के अधीन रहकर सेवाएं देने का विरोध कर रहे हैं.
स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक प्रशासन डॉ. राजा गणपति ने कहा कि लेवल वन में पुराने डॉक्टर हैं. उन्हें नया वरिष्ठता क्रम जारी किया गया है. अगर किसी डॉक्टर को अपनी नई वरिष्ठता से दिक्कत है, ऐसे सभी चिकित्सकों से 15 फरवरी तक आपत्तियां मांगी गई हैं. आपत्तियां प्राप्त होने के बाद कारण और स्पष्टीकरण देखकर संशोधन का निर्णय लिया जाएगा. उत्तर प्रदेश प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के महासचिव डॉ. अमित सिंह का कहना है कि किसी भी संवर्ग में वरिष्ठता सूची एक ही होनी चाहिए. नई नियमवाली के अनुसार भविष्य में लेवल वन से लेवल-टू में प्रोन्नति पाने के बाद इन डॉक्टरों को दूसरी सूची में नीचे से जोड़ा जाना है. वरिष्ठता को लेकर यह स्थिति विवाद उत्पन्न करने वाली होगी, क्योंकि दशकों सेवाए देने वाले डॉक्टर खुद को नए डॉक्टर से जूनियर नहीं रहना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें : SP Election Preparations : तीन चुनाव हारने के बाद वोट बैंक सहेजने की कोशिश में अखिलेश यादव