लखनऊ: जब भी दांतों में पायरिया लगता है तो दांत सढ़ के अपने आप ही गिरने लगते हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि दांतों के गिरने की बड़ी वजह पायरिया भी है. लिहाजा पायरिया से पीड़ित मरीज समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लें. ताकि दांतों को गिरने से बचा सकें. अफसोस की बात यह है कि लोग डॉक्टर के पास तब आते हैं, जब दांतों में भीषण दर्द शुरू होता है. यह बातें केजीएमयू में शनिवार को कन्जवेटिव डेंटेस्ट्री एंड इंडोडॉन्टिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. एपी टिक्कू ने कही.
पायरिया की चपेट में 20 से 30 प्रतिशत आबादी
केजीएमयू के ब्राउन हॉल में इंडो अवेयरनेस डे पर आयोजित सेमिनार को संबोधित किया. डॉ. एपी टिक्कू ने कहा कि 20 से 30 प्रतिशत आबादी पायरिया की चपेट में है. पायरिया मसूढ़ों की बीमारी है. इसमें बैक्टीरिया आसानी से पनप आते हैं. इसका असर दांतों की जड़ पर पड़ता है. दांत ढीले पड़ जाते हैं. ध्यान न देने पर दांत गिरने लगते हैं. दांतों को बचाने के लिए साफ-सफाई रखें. सुबह और रात में सोने से पहले ब्रश जरूर करें. रात में ब्रश करने के बाद कुछ भी खाने से बचें.
इसे भी पढ़ें-भगवान भरोसे चल रहे स्कूल, कैसे सच होगा 'कायाकल्प' का सपना
रूट कैनाल ट्रीटमेंट देकर दांतों को कीड़ों से बचाएं
डॉ. रमेश भारती ने कहा कि दांतों में काले दाग-धब्बे नजर आने पर संजीदा हो जाना चाहिए. लोग शुरुआत में इसे नजरअंदाज कर देते हैं. नतीजतन कीड़ा धीरे-धीरे दांतों को खोखला कर देता है. उन्होंने कहा कि कीड़े लगने के बाद भी दांतों को बचाया जा सकता है. रूट कैनाल ट्रीटमेंट देकर दांतों को कीड़ों से आसानी से बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि झोलाछाप के पास दांतों का इलाज करने से बचना चाहिए. क्योंकि उनके पास दांत को उखाड़ाने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है, जबकि दांतों को निकालना अंतिम विकल्प होना चाहिए.
पद्मश्री डॉ. अनिल कोहली ने कहा कि दांतों की परेशानी को नजरअंदाज न करें. समय पर इलाज कराएं. इससे दांतों की बीमारी से हम काफी हद तक खुद को बचा सकते हैं.