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हुनर के दम पर ये महिलाएं जिन्‍दगी में भर रहीं खुशहाली के रंग - महिलाएं कर रहीं जैविक खेती

राजधानी लखनऊ के निगोहा क्षेत्र की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों की मदद से आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. ये महिलाएं अपने साथ-साथ दूसरी महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा रहीं हैं.

स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
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Published : Oct 27, 2020, 8:40 AM IST

लखनऊ: महिलाओं को सशक्‍त व आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्‍य सरकार का प्रयास कारगर साबित हो रहा है. आजीविका मिशन के तहत स्‍वंय सहायता समूहों का गठन किया गया. इससे यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को लाभ मिल रहा है. इस दिशा में लखनऊ के निगोहा कस्बा के ग्राम पंचायत मीरखनगर, मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को साबित कर रही हैं. स्वयं सहायता समूहों की आमदनी की बदौलत परिवार की किस्मत चमकाने में जुटी ये महिलाएं बेटियों को तालीम दिलाकर कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में लगी हैं.

LUCKNOW NEWS
लखनऊ के निगोहा के ग्राम पंचायत मीरखनगर, मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं.
जैविक खेती कर गांव में बिखेरी खुशहाली
स्‍वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं. खेती करने के तरीके में इन महिलाओं ने न सिर्फ बदलाव लाया है, बल्‍क‍ि अब दोगुनी तेजी से ये फसल उगा रही हैं. इस काम से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सब्जियां उगाने से लेकर पारम्परिक खेती करने तक हम लोग अधिकतर जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं. जलकुम्भी, गोबर, पुआल समेत दूसरे हरित अवशेषों के प्रयोग से विशेष विधि द्वारा शीवांस खाद का उत्पादन भी स्वयं करते हैं. इसके अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट का भी सहारा लेते हैं. महिलाओं ने बताया कि जरूरत के मुताबिक खाद का उपयोग करने के बाद सभी परिवार बची-खुची खाद दूसरों को बेंचकर अब पहले से अधिक आमदनी हो जाती है.
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स्‍वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं.
छोटी सी पूंजी से हुई शुरूआत, अब लगे आमदनी को पंख
स्वयं सहायता समूह की महिला उमेश कुमारी ने बताया कि हम लोगों ने 80 महिलाओं के समूह का गठन कर छोटी सी पूंजी संग काम की शुरूआत की थी, तब 40 रुपये प्रतिदिन की कमाई होती थी. आज कोराना काल के संकट के बावजूद स्‍वंय सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपये की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं.
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स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ी 160 महिलाएं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से पोषण वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे परिवार अच्‍छी आमदनी संग दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं.
प्रतिदिन तीन सौ लीटर दूध का हो रहा उत्‍पादन
स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ी 160 महिलाएं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से पोषण वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे परिवार अच्‍छी आमदनी संग दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर पैदावर कर आमदनी को दोगुना कर लिया है. स्वयं सहायता समूहों की मदद से पशुपालन के द्वारा मीरखनगर और भैरमपुर की ये महिलाएं गांव में ही प्रतिदिन तकरीबन तीन सौ लीटर दूध का उत्पादन कर डेयरी में बिक्री करती हैं.
गांव की बेटियां कर रहीं एमबीए नर्सिंग कोर्स की पढ़ाई
उमेश कुमारी ने बताया कि योगी सरकार की योजनाओं की बदौलत अब गांव की सूरत में बदलाव आया है. योजनाओं के कारण आमदनी कर परिवार को बेहतर जीवन स्तर मिल रहा है. इतना ही नहीं वह बताती हैं कि गांव में स्‍वयं सहायता समूहों की महिलाएं बेटियों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाने के साथ ही सम्‍मान से जीने के लिए उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं. उन्होंने बताया कि गांव की कुछ बेटियां एमबीए और नर्सिंग कोर्स भी कर रही हैं.
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स्‍वंय सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपये की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं.
दिवाली के लिए तैयार कर रहीं डिजाइनर मोमबत्तियां
मीरखनगर में समूहों की कई महिलाएं अपने हाथ के हुनर के बूते आमदनी कर रही हैं. छोटे छोटे प्रयासों से उन्‍होंने अपने आमदनी के नए जरिए को तलाश लिया है. आत्‍मनिर्भर और सशक्‍त बनने की दिशा में अग्रसर ये महिलाएं पेटिंग, साड़ी की प्रीटिंग, साड़ी की डिजाइनिंग से लेकर परिधानों में रंग भरकर अपनी जिन्‍दगी में खुशहाली के रंग भर रही हैं. दिवाली पर डिजाइनर मोमबत्तियां भी तैयार कर रही महिलाओं ने कहा कि इन सभी कामों से अच्छी आमदनी हो रही है.

लखनऊ: महिलाओं को सशक्‍त व आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्‍य सरकार का प्रयास कारगर साबित हो रहा है. आजीविका मिशन के तहत स्‍वंय सहायता समूहों का गठन किया गया. इससे यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को लाभ मिल रहा है. इस दिशा में लखनऊ के निगोहा कस्बा के ग्राम पंचायत मीरखनगर, मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को साबित कर रही हैं. स्वयं सहायता समूहों की आमदनी की बदौलत परिवार की किस्मत चमकाने में जुटी ये महिलाएं बेटियों को तालीम दिलाकर कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में लगी हैं.

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लखनऊ के निगोहा के ग्राम पंचायत मीरखनगर, मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं.
जैविक खेती कर गांव में बिखेरी खुशहाली
स्‍वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं. खेती करने के तरीके में इन महिलाओं ने न सिर्फ बदलाव लाया है, बल्‍क‍ि अब दोगुनी तेजी से ये फसल उगा रही हैं. इस काम से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सब्जियां उगाने से लेकर पारम्परिक खेती करने तक हम लोग अधिकतर जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं. जलकुम्भी, गोबर, पुआल समेत दूसरे हरित अवशेषों के प्रयोग से विशेष विधि द्वारा शीवांस खाद का उत्पादन भी स्वयं करते हैं. इसके अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट का भी सहारा लेते हैं. महिलाओं ने बताया कि जरूरत के मुताबिक खाद का उपयोग करने के बाद सभी परिवार बची-खुची खाद दूसरों को बेंचकर अब पहले से अधिक आमदनी हो जाती है.
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स्‍वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं.
छोटी सी पूंजी से हुई शुरूआत, अब लगे आमदनी को पंख
स्वयं सहायता समूह की महिला उमेश कुमारी ने बताया कि हम लोगों ने 80 महिलाओं के समूह का गठन कर छोटी सी पूंजी संग काम की शुरूआत की थी, तब 40 रुपये प्रतिदिन की कमाई होती थी. आज कोराना काल के संकट के बावजूद स्‍वंय सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपये की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं.
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स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ी 160 महिलाएं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से पोषण वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे परिवार अच्‍छी आमदनी संग दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं.
प्रतिदिन तीन सौ लीटर दूध का हो रहा उत्‍पादन
स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ी 160 महिलाएं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से पोषण वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे परिवार अच्‍छी आमदनी संग दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर पैदावर कर आमदनी को दोगुना कर लिया है. स्वयं सहायता समूहों की मदद से पशुपालन के द्वारा मीरखनगर और भैरमपुर की ये महिलाएं गांव में ही प्रतिदिन तकरीबन तीन सौ लीटर दूध का उत्पादन कर डेयरी में बिक्री करती हैं.
गांव की बेटियां कर रहीं एमबीए नर्सिंग कोर्स की पढ़ाई
उमेश कुमारी ने बताया कि योगी सरकार की योजनाओं की बदौलत अब गांव की सूरत में बदलाव आया है. योजनाओं के कारण आमदनी कर परिवार को बेहतर जीवन स्तर मिल रहा है. इतना ही नहीं वह बताती हैं कि गांव में स्‍वयं सहायता समूहों की महिलाएं बेटियों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाने के साथ ही सम्‍मान से जीने के लिए उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं. उन्होंने बताया कि गांव की कुछ बेटियां एमबीए और नर्सिंग कोर्स भी कर रही हैं.
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स्‍वंय सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपये की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं.
दिवाली के लिए तैयार कर रहीं डिजाइनर मोमबत्तियां
मीरखनगर में समूहों की कई महिलाएं अपने हाथ के हुनर के बूते आमदनी कर रही हैं. छोटे छोटे प्रयासों से उन्‍होंने अपने आमदनी के नए जरिए को तलाश लिया है. आत्‍मनिर्भर और सशक्‍त बनने की दिशा में अग्रसर ये महिलाएं पेटिंग, साड़ी की प्रीटिंग, साड़ी की डिजाइनिंग से लेकर परिधानों में रंग भरकर अपनी जिन्‍दगी में खुशहाली के रंग भर रही हैं. दिवाली पर डिजाइनर मोमबत्तियां भी तैयार कर रही महिलाओं ने कहा कि इन सभी कामों से अच्छी आमदनी हो रही है.
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